Corona Positive लोगों के प्रति अपनाएं सकारात्मक रवैया

डॉ. दीपा मनीष व्यास
एक वायरस ने पूरे विश्व मे हाहाकार कर रखा है। इस बीमारी की चपेट में आकर सब कुछ तबाही की ओर जा रहा है। जहां अर्थव्यवस्था डगमगा रही है वहीं सामाजिक भी। हम सब जानते हैं कि इस संकट का मुकाबला हमें अपने घर में रहकर करना है, एकजुट होकर करना है, हम तो हमेशा एक-दूसरे की मदद करने को तैयार रहते हैं, एक-दूसरे का साथ देते हैं तो फिर परायेपन के लिए कोई स्थान ही नहीं है। 
 
अगर हमारे घर के आसपास, गली में, मोहल्ले में, कॉलोनी में या सोसायटी में कोई कोरोना पीड़ित आ जाता है तो उसे नफरत नहीं स्नेह दीजिए, हां एक डर हो सकता है और ये डर होना भी चाहिए क्योंकि हमें सामाजिक दूरी बनाकर ही चलना है पर साथ ही एक-दूसरे को सहारा भी तो देना है। 
 
अभी लगातार हम देख सुन रहे हैं कि यदि कोई परिवार कोरोना पॉजिटिव आ जाता है तो उस परिवार से सभी लोग नफरत करने लगते हैं, जबकि उस वक्त उनको आपकी सहानुभूति या नफरत की नहीं वरन आपके अपनेपन, सहारे की आवश्यकता होती है जो आप दूरी बनाकर भी कर सकते हैं। कम से कम ऐसा व्यवहार तो न करें कि उन्हें अपने आपसे भय लगने लगे या इतनी बड़ी लड़ाई जीतकर आने के बाद भी खुद को हारा हुआ महसूस करें। 
 
हाल फिलहाल में ऐसी कई घटनाएं सामने आई है कि परिवार ने कोरोना से तो जंग जीत ली पर अपनों ने उन्हें हरा दिया। उन्हें बिल्कुल अलग-थलग कर दिया, न दूध वाला दूध दे रहा, न सब्जी वाला सब्जी और ना ही किराने वाला ही मदद कर रहा, यहां तक कि कचरा गाड़ी वाले कचरा तक नहीं ले जा रहे हैं। पहले ही वे बीमारी के तनाव से गुजर रहे हैं, अकेलापन महसूस कर रहे हैं, कुंठित हो रहे हैं और हम मदद करने के स्थान पर उन्हें बेबसी महसूस करवा रहे हैं।
 
ये सारी घटनाएं अमूमन सभी दूर हो रही है। कुछ परिवार तो ऐसे भी है जिनके कुछ सदस्यों को क्वारंटाइन किया गया है और कुछ सदस्य जिनमें बच्चे या बुजुर्ग घर पर ही है, कई मुहल्लों में तो उन्हें भरपूर मदद मिल रही है, अपनापन मिल रहा है पर कुछ जगह तो वे लाचार और बेबस ही नजर आ रहे हैं। ये संस्कृति तो नहीं है हमारी। कम से कम मॉरल सपोर्ट तो दे ही सकते हैं हम। 
 
ये एक बीमारी है जिसे एक-दूसरे की हिम्मत के सहारे ही जीता जा सकता है। जो बीमारी में पॉजिटिव आए हैं उनके साथ आप नेगेटिव व्यवहार मत बनाइए। जब तक मानसिक शांति नहीं होगी, मरीज अपनी रोगप्रतिरोधक क्षमता नहीं बढ़ा पाएगा। अतः उनकी मनःस्थिति को समझिए और उनकी मदद करिए। अभी तक इस बीमारी का कोई इलाज नहीं आया, ये संकट कब तक रहेगा कोई नहीं जानता, हो सकता है आज वो कोरोना पॉजिटिव हो कल हम न हो जाए और तब क्या हम ऐसा व्यवहार बर्दाश्त कर पाएंगे? नहीं ना, तो इसलिए एक-दूसरे के प्रति प्रेम रखिए, उन्हें अहसास दिलाइए कि हम सब साथ है।

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