बैडमिंटन भारत में क्रिकेट जितना ही लोकप्रिय होगा - पी. वी. सिंधू

डॉ. प्रवीण तिवारी
वक्त के साथ-साथ बहुत कुछ बदलता है, लेकिन कुछ बातें जस की तस रहती हैं। बीते कुछ सालों में उभरती प्रतिभा के तौर पर पी.वी. सिंधू का नाम लोगों के सामने आया था। उस वक्त सायना नेहवाल ने बैडमिंटन को नई ऊंचाईयां दी थीं और सिंधू के लिए वेे हमेशा एक आदर्श रही हैं।



आज क्रिकेट स्टार विराट कोहली भी बेसब्री से उनके फाइनल का इंतजार कर रहे हैं और उन्हें बधाई देते हुए वीडियो ट्वीट किया है। इस सबके बीच सिंधू के साथ कुछ समय पहले किया गया एक इंटरव्यू याद आया। बैडमिंटन को लेकर उनके जुनून और उम्मीदों का अंदाजा इस बातचीत से भी लगता है। गोपीचंद और सायना को आदर्श मानने वाली सिंधू खुद एक आईकॉन बन गई हैं। सिंधू से कई मुद्दों पर बातचीत हुई थी, जिसे बाद में उनके लेख के तौर पर छापा था। इसे एक बार फिर पढ़ने का बेहतरीन मौका है।
 
पी. वी. सिंधू की जुबानी भारत में बैडमिंटन की कहानी
बैडमिंटन खेलना मेरा जुनून है और जाहिर सी बात है, जब भी मैं कोई टूर्नामेंट जीतती हूं, मुझे बहुत संतुष्टि मिलती है। आने वाले समय में अच्छा प्रदर्शन करने का हौंसला भी हर जीत के साथ बढ़ता जाता है। मुझे फैंस की उम्मीदों का अंदाजा है और मैं यह भी जानती हूं कि अब बैडमिंटन को लेकर भारतीय फैंस की उम्मीदें और बढ़ गई हैं। 
 
सायना नेहवाल ने जिस तरह से देश को कामयाबी दिलवाई है उससे अब बैडमिंटन दूसरे खेलों की तरह भारतीय दर्शकों के लिए एक अहम खेल बन गया है। मेरे कोच गोपीचंद खुद भारतीय बैडमिंटन के आइकॉन हैं और मेरे आदर्श भी हैं। यह मेरी खुशनसीबी है कि मैं उनकी कोचिंग में लगातार अपने प्रदर्शन को निखारने की कोशिश कर रही हूं। 
 
अब हमारे सामने सायन नेहवाल जैसी मिसाल भी हैं। मैं उन्हीं के पदचिन्हों पर चलने की चाहत रखती हूं। सायना ने भारतीय बैडमिंटन का लोहा पूरी दुनिया में मनवा दिया है और अब भारतीय खिलाड़ियों को भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बहुत सम्मान मिल रहा है। गोपीचंद और सायना जैसे खिलाड़ियों की वजह से देश में बैडमिंटन का भविष्य बहुत शानदार दिखाई पड़ता है।
 
बदलते दौर में देश का युवा खेलों के प्रति भी जबरदस्त रूझान दिखा रहा है। ऐसा नहीं है कि हमें सिर्फ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ही प्रतियोगिताओं को जीतना होता है, इससे पहले अपने देश में ही ऐसे कई शानदार खिलाड़ी हैं जिनसे बेहतरीन कॉम्पीटिशन मिलता है। आज का युवा खेलों के प्रति बहुत जागरुक हुआ है और मुझे लगता है यही उभरते हुए युवा भारत की शानदार तस्वीर है। 
 
मेरा मानना है कि आज का युवा भारत एकदम सही दिशा में आगे बढ़ रहा है। आज का भारतीय युवा इस बात को जानता है कि उसके लिए कौन से अवसर सामने हैं। इन अवसरों को हासिल करने के लिए हमारा युवा कड़ी मेहनत कर रहा है, जो एक मजबूत राष्ट्र का निर्माण करने के लिए जरूरी है। प्रतियोगिता ज्यादा है तो अवसर भी हैं और इस प्रतियोगिता की वजह से हमें ज्यादा मजबूत और बेहतर युवा हर फील्ड में मिल रहे हैं। 
 
आज का युवा हर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है और हर क्षेत्र में बड़ी उपलब्धियां भी हासिल कर रहा है जो उभरते युवा भारत के लिए बहुत ही शुभ संकेत है। देश में खेलों का भविष्य बहुत उज्जवल दिखाई पड़ता है। जिस तरह से हमारे खिलाड़ी प्रदर्शन कर रहे हैं और खेलों के प्रति उनका रुझान बढ़ रहा है उससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रदर्शन और मजबूत होगा। 
 
भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को मैं नमन करती हूं जिनके चलते आज की युवतियां और महिलाएं पहले की तरह किसी दायरे में जकड़ी दिखाई नहीं पड़ती हैं। आज हमें अपने दिल की बात पूरी करने की आजादी है। हर क्षेत्र में लड़कियां बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं। सायना नेहवाल जैसे आदर्श हमारे सामने हैं और जब उनसे मेरी तुलना की जाती है तो यह एक सपने के पूरे होने जैसा एहसास देता है।
 
भारत में बैडमिंटन को लेकर रूझान बहुत तेजी से बढ़ा है। खेलों की लोकप्रियता की तुलना हमारे देश में क्रिकेट से ही की जाती है। दरअसल बैडमिंटन एक ऐसा खेल है जिसे हमारे यहां गली-गली में खेला जाता है। इस खेल को बहुत पसंद किया जाता है और इसके लिए क्रिकेट की तरह आपको बड़े मैदान की जरूरत नहीं होती। जब हमारे खिलाड़ी अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धाओं मे अच्छा प्रदर्शन करते हैं तो युवाओं की इसमें भागीदारी के लिए रूझान बढ़ता है। मुझे पूरी उम्मीद है कि बैडमिंटन देश में उतना ही लोकप्रिय हो जाएगा जितना क्रिकेट है।
 
बहुत से युवा इस खेल को अपना रहे हैं। कई घरेलू टूर्नामेंट्स हो रहे हैं और कई प्रतिभाओं को आगे आने का मौका मिल रहा है। मुझे पूरी उम्मीद है कि आने वाले समय मे हमारे देश से कई ऐसे बेहतरीन खिलाड़ी निकलेंगे जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी कड़ी चुनौती पेश करेंगे। मैं देश के युवाओं के जबरदस्त उत्साह और जुनून को देखकर युवा भारत की एक चमकदार तस्वीर अपने सामने देखती हूं।
 
मेरा प्यार सिर्फ और सिर्फ बैडमिंटन ही है। अपने इसी प्यार को मैं आगे बढ़ाना चाहती हूं और देश की उम्मीदों पर खरी उतरना चाहती हूं। अपने बैडमिंटन और इसमें लगातार खुद को निखारने के प्यार की राह में कोई भटकाव कभी नहीं आने दूंगी। 
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