Dharma Sangrah

जरा सोचकर बताइएगा...

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-इतिश्री सिंह राठौर
 
सुबह-सुबह क्या कर रहे हैं आप? नहीं, आप सो नहीं सकते, आप शांति से मार्निंग वॉक पर भी नहीं जा सकते, आप योगा या ध्यान भी कैसे कर सकते? आप कैसे चैन से बैठ सकते हैं, क्योंकि देश का इतना बड़ा फैसला जो रुका हुआ है और आज यह फैसला करना ही होगा, क्योंकि जब किसी अंधेर गलियों में या दिन के उजाले में बेइज्जत होती है कोई लड़की तो अक्सर इस पर बहस होती है। 
 
शायद यह मुद्दा अब राष्ट्रीय मुद्दा बन चुका है कि लड़की को कितने बजे और कितने घंटों के लिए घर से बाहर निकलना चाहिए। जब यह फैसला लिया जाए तो यह भी तय कर दिया जाए कि लड़कियों को कहां जाना चाहिए और क्या पहनना चाहिए? अच्छा होगा कि लड़कियों के लिए एक कोड लागू कर दिया जाए और इस पर संविधान में एक अधिनियम भी बनाया जाए ताकि लड़कियों को यह बार-बार समझाना न पड़े कि उन्हें कब बाहर निकलना है।
 
जब भी किसी लड़की के साथ छेड़खानी, आपत्तिजनक व्यवहार या दुष्कर्म होता है तो साहब लोग उन्हें रात को बाहर न निकलने की सलाह देते हैं। इसमें एक लड़की करे तो क्या करे? जब वो सुबह घर से निकलती है तो उसके साथ छेड़खानी होती है, दोपहर को उसका दुपट्टा खींचा जाता है, शाम को बीच सड़क पर उस पर गालियां फेंकी जाती हैं और रात को लड़के उसका पीछा करते हैं। कई बार बलात्कार करने में सफल होते हैं और कभी बस उसके स्तनों को हाथ लगाकर चले जाते हैं। शायद इसीलिए ये ऐसा करते हैं कि यह बलात्कार की श्रेणी में नहीं आता। 
 
हाल ही में चंडीगढ़ में एक आईएएस अधिकारी की बेटी का दो लड़कों ने रात को पीछा किया। यहां मैं बता दूं कि शायद वो आईएएस अफसर की बेटी न होती तो मामला इतना न उलझता, गलत किया उसने कि वो एक अधिकारी की बेटी है। वो एक गरीब किसान या शिक्षक की बेटी होनी चाहिए थी। अगर ऐसा हुआ होता तो वो कार नहीं चला रही होती और आसानी से उसके साथ दुष्कर्म किया जा सकता था। इसके बाद अगर वो थाने जाती रिपोर्ट लिखवाने तो पुलिस भी उसे परेशान कर पाती, उसे मानसिक रूप से कमजोर बना पाती और प्रभावशाली लोग उसे और उसके परिवार को धमका पाते।
 
सबसे बड़ी बात नेताओं को उसे रात को घर से बाहर न निकलने की सलाह देने का बड़ा मौका मिल जाता (अभी मौका छोटा है) और आसपास के लोग उसे चरित्रहीन लड़की का खिताब दे पाते। लेकिन अफसोस! एक आईएएस अफसर की बेटी ने थोड़ी-सी हिम्मत दिखाकर सभी के इरादों पर पानी फेर दिया। उसने सभी नेताओं को बेरोजगार बना दिया। उस लड़की ने किसी को बयानबाजी करने का मौका ही नहीं दिया। उल्टा, उस हिम्मती लड़की के खिलाफ मामला दर्ज होना चाहिए कि इस देश में रहते उसमें इतना साहस कहां से आया कि वो किसी को सजा दिलाने के लिए सीधे थाने चली गई, व्यवस्था के खिलाफ लड़ बैठी! 
 
मुझे एक बात समझ नहीं आती कि अगर कोई कुत्ता पागल होकर लोगों को काटने दौड़ता है तो क्या हम इंसानों को घर में बंद रहने की सलाह देते हैं? या कि उस कुत्ते को काबू में लाने की कोशिश करते हैं? जरा सोचकर बताइएगा..., कोई जल्दी नहीं है।

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