सेल्फी विथ डॉटर और सोशल मीडिया मार्केटिंग

डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी
# मॉय हैशटैग
क्या आपने सेल्फी विथ डॉटर सोशल मीडिया पर शेयर की है? यदि हां, तो बताइए इस पूरी प्रक्रिया में आपके जेहन में सबसे कौन आता है? (बेटी तो हमेशा ही आपके जेहन में रहती ही है लेकिन) क्या आपको इंटरनेट कंपनी की याद आती है या मोबाइल नेटवर्क की या फिर आपको अपने मोबाइल या कम्प्यूटर कंपनी की याद आती है? आपका जवाब होगा कि सेल्फी विथ डॉटर क्लिक करते समय और उसे शेयर करते समय आपको केवल नरेन्द्र मोदी की याद आती है। यह कोई मौलिक आइडिया नहीं है, 2013 में कोका कोला के अभियान शेयर विथ कोक की नक़ल है, के लोगों ने अलग तरीके से अपनाया और फिर प्रधानमंत्री ने 'मन की बात' में यह आइडिया स्वीकारने को कहा। 
पूरी प्रक्रिया में आपके मन में यह बात रह जाती है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा सेक्स रेशो को जताई गई चिंता के दौरान उन्होंने जिस सेल्फी विथ डॉटर की बात कहीं थी, वह बहुत ही महत्वपूर्ण थी। मेरा सवाल है कि अगर आपसे कहा जाता है कि सेल्फी विथ डॉटर के साथ ही आपको सौ, पांच सौ या हजार रुपए कन्याओं के कल्याण वाले किसी कार्यक्रम के लिए अनुदान के रूप में देना है, तब आपकी क्या प्रतिक्रिया होती? आप कहते की बेटी मेरी, मोबाइल मेरा, इंटरनेट मेरा; फिर मैं यह दान क्यों दूं? हो सकता है कि आप इस बात को गंभीरता से नहीं लेते या लेते भी तो केवल सेल्फी विथ डॉटर शेयर करने तक। 
 
हम भारतीयों की खूबी है कि ऐसे किसी भी कार्यक्रम में शामिल होने में हमें संकोच नहीं होता, जिसमें हमारी जेब का पैसा नहीं लगता हो। मोबाइल पर मिस कॉल देकर भारतीय जनता पार्टी का सदस्य बनना हो या आम आदमी पार्टी का, हमें पार्टी ज्वाइन करने में देर नहीं लगती। भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता तो 25 साल से चल रही थी। तब करोड़ों लोग सदस्य क्यों नहीं बने? सारे मामले का पेंच यहीं है कि लोगों को किसी न किसी काम में या किसी न किसी शौक में उलझाए रखो, ताकि लोग अपने आपको ब्रांड से जुड़ा महसूस करें। 
 
दुनिया की प्रमुख मार्केटिंग कंपनियां ऐसे प्रयोग करती रहती हैं। 2013 में कोका कोला कंपनी ने शेयर विथ कोक कार्यक्रम शुरू किया था, इससे कोक की बिक्री में अच्छा खासा इजाफा हुआ था। कोक ने पांच प्रॉडक्ट इस रेंज में रखे थे। भारतीय कंपनियां भी इस तरह के प्रयोग छोटे-मोटे स्तर पर करती रहती हैं। कोक ने एक और प्रयोग किया था। इसे भी शेयर विथ कोक नाम ही दिया गया था। इस प्रयोग में कोक के टिन या बोतल के कवर पर कोक ब्रांड लिखा होने के साथ ही कुछ नाम मुद्रित कर दिए जाते थे।
 
कोक अपने प्रचार अभियान में कहता था कि आपके नाम की कोक बोतल एंजाय करें। समझने के लिए आप इसे यूं समझ सकते है कि मान लो भारत में कोका कोला अपने उत्पाद पर कुछ ऐसे लोगों के नाम मुद्रित कर दें, जो अच्छे खासे प्रचलन में हो, जैसे- रमेश, सुरेश, महेश, अनुज, अर्पण, राज, राजेश, दीपेश, दीपक, विजय, प्रियंका, दीपिका, शशि, कविता, पुष्पा, सुनीता, अनिता आदि मुद्रित करना शुरू कर दे और फिर वह कंपनी प्रचारित करे कि अगर आप जो कोक पी रहे हैं, उस पर आपका नाम है तो उसकी सेल्फी लेकर सोशल मीडिया पर शेयर करें। सर्वश्रेष्ठ सौ या दो सौ सेल्फी को पुरस्कृत किया जाएगा। 
 
सोशल मीडिया पर इस तरह की ब्रांडिंग स्थानीय या छोटी कंपनियों के लिए नहीं हैं। सोशल मीडिया की पहुंच वैश्विक होने के कारण बड़े ब्रांड की मार्केटिंग आसान है। स्थानीय दुकानदार इस तरह की मार्केटिंग नहीं कर सकते। कोका कोला कंपनी ने अपने इस अभियान में तमाम सोशल मीडिया वेबसाइट्स पर अपने हेशटेग के विज्ञापन चलवाए। इन हेशटेग से यह पता करना आसान हो गया था कि कौन-कौन इस विज्ञापन से प्रभावित हुआ है।
 
बेहतर इंटरनेट स्पीड के कारण अमेरिका में लोगों ने शेयर विथ कोक की सेल्फी के साथ ही छोटे-छोटे वीडियो भी शेयर किए। कई लोगों ने तो अपने प्रिय डॉग और केट के साथ भी कोक के फोटो और वीडियो शेयर किए, जो वायरल हो गए। इस तरह कोक की पब्लिसिटी कई गुना हो गई और वह भी बहुत मामूली खर्च पर। कोक का पेट इससे भी नहीं भरा, तब उसने तरह-तरह के वोट अभियान भी चलाए। कोक का कौन-सा ब्रांड आप पसंद करते है, कोक किस समय पीना पसंद करते है, कोक किसके साथ पसंद पीना आपको पसंद है आदि। इस इंटीग्रेटेड सोशल एडवरटाइजिंग कैम्पेन के बाद कोक ने यह प्रयोग कुछ और देशों में भी अपनाए। 
 
2016 में सोशल मीडिया पर वीडियो की धाक भारत में भी जमनी शुरू हो जाएगी। बहुत से लोग जो सोशल मीडिया में स्टेटस लिखते है, वे स्टेटस की जगह वीडियो डालना शुरू कर देंगे। इससे इंटरनेट प्रोवाइडर कंपनियों को अच्छी खासी इनकम होगी।
 
एक अंदाज है कि आगामी तीन-चार साल में वीडियो स्टेटस पर हावी हो जाएगा। खासकर किशोर और नौजवान लोग वीडियो का इस्तेमाल जमकर करेंगे। इसके साथ ही सोशल वीडियो शेयरिंग का दौर भी आएगा। लोग इंटरनेट की स्पीड बढ़ते ही भारत में भी सोशल वीडियो शेयर करने लगेंगे। बर्थ-डे पार्टी हो या शादी के जश्न, पूल पार्टी हो या एनिवर्सरी के कार्यक्रम। छोटे-छोटे वीडियो आपके मोबाइल या कम्प्यूटर स्क्रीन पर भरपूर नजर आने लगेंगे। शुरुआत तो हो चुकी है, लेकिन अभी मामूली है। धीरे-धीरे बी 2 सी का दौर शुरू होगा, जिसमें प्राइवेट ग्रुप मैसेजिंग आम हो जाएगी। वी चैट पर ड्यूरेक्स एक्टीविटी के नाम पर ऐसे विज्ञापन अभियान शुरू हो चुकी है।   
 
सोशल मीडिया कोई सोशल मीडिया एक्टीविटी नहीं, पूरी तरह से कमर्शियल एक्टीविटी है। सोशल मीडिया से लोगों को जोड़ने का उद्देश्य उसकी पहुंच बढ़ाना मात्र है। जितने ज्यादा लोगों से सोशल मीडिया जुड़ा हुआ होगा, विज्ञापनों और स्पांसर्ड फीचर्स से आय उतनी ही ज्यादा हो सकेगी।
 
मार्क जकरबर्ग दुनिया के सबसे धनी व्यक्ति ऐसे ही नहीं बन गए है। आप और हम, जो भी सोशल मीडिया फेसबुक, व्हॉट्सएप आदि का यूज करते है, उस सबके स्पांसर्ड फीचर्स से यह आय हुई है। फेसबुक पर 20 लाख विज्ञापनदाता विश्वभर में है। फेसबुक के माध्यम से यह विज्ञापनदाता अलग-अलग ग्रुप में भी विज्ञापन दे सकते है। ये विज्ञापन भाषा और देश की सीमाओं से अलग भी हो सकते है। 

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