कहानी एक महान वैज्ञानिक की

शरद सिंगी
सितारों की दुनिया का रहस्य समझाने वाला, भौतिक शास्त्र का एक चमकीला सितारा इस माह सितारों की ही दुनिया में विलीन हो गया। हम बात कर रहे हैं प्रसिद्ध भौतिकशास्त्री स्टीफन हॉकिंग्स की।
 
आज हम इस आलेख में उसी महान वैज्ञानिक के विषय में आपने पाठकों को बता रहे हैं। हमारा आग्रह है कि हमारे पाठक इस आलेख को भले ही धीरे-धीरे पढ़ें, पर अवश्य पढ़ें। यह संसार जिन अमर व्यक्तित्वों से सज्जित होता है, यह एक ऐसे ही महा-व्यक्तित्व की कहानी है। माना जाता है कि स्टीफन हॉकिंग्स आइंस्टीन की तरह ही प्रतिभाशाली थे।
 
विशेष उल्लेखनीय बात यह भी है कि दिमाग को छोड़कर हर अंग से अपंग इस वैज्ञानिक की खोजें चमत्कृत करने वाली थीं। 'ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम' के प्रकाशित होने के साथ ही वे विज्ञान की प्रसिद्ध शख्सियत बन गए। इस पुस्तक की अब तक 1 करोड़ से अधिक कॉपियां बिक चुकी हैं और वह सर्वाधिक बिक्री वाली पुस्तकों में शामिल है। किंतु मजे की बात यह है कि बहुत कम लोग हैं, जो इस पुस्तक को पूरी पढ़ पाए हों।
 
आज लगभग सभी वैज्ञानिक मानते हैं कि ब्रह्मांड की रचना महाविस्फोट (बिग बैंग) से हुई। किंतु प्रश्न तो फिर भी है कि ब्रह्मांड बनने से पहले क्या था? शून्य या बिना सितारों वाला आकाश? किंतु यदि खाली जगह भी थी तो वह कहां से आई? जिस सूक्ष्म कण में विस्फोट हुआ वह कहां से आया? अगला प्रश्न है कि भविष्य में यदि ब्रह्मांड नष्ट हो जाए तब क्या बचेगा?
 
वैज्ञानिकों को सबसे अधिक डर लगता है रहस्यमयी कृष्ण पिंडों (ब्लैक होल्स) से, जो कि दिखाई नहीं देते। वे प्रकाश तक को सोख लेते हैं और आसपास से गुजरने वालों ग्रहों और नक्षत्रों को भी अपने उदर में समा लेते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि सूर्य जैसे तारों में जब ईंधन समाप्त हो जाएगा तब वे कृष्ण पिंड (ब्लैक होल) में तब्दील हो जाएंगे और सिकुड़ते जाएंगे। अंत एक विस्फोट के साथ होगा और वे कई नए सितारों को जन्म दे देंगे।
 
हॉकिंग्स के मशहूर होने का कारण भी यही था कि उन्होंने बहुत ही मूल प्रश्न का उत्तर खोजने की कोशिश की। ब्रह्मांड की रचना कैसे हुई? हम जानते हैं कि ब्रह्मांड का विस्तार मनुष्य की कल्पना से भी बहुत परे है। यदि मनुष्य कल्पना लोक में हजारों वर्षों तक भी उड़ता रहे तब भी वह इस ब्रह्मांड की थाह नहीं पा सकता, क्योंकि स्टीफन हॉकिंग्स कहते हैं कि ब्रह्मांड की न तो कोई सीमा है और न ही कोई किनारा। ऐसे में यदि इस ब्रह्मांड की उत्पत्ति और रचना के बारे में तार्किक और वैज्ञानिक दृष्टि से वे कुछ समझाने का प्रयास करते हैं तो वे साधारण मनुष्य नहीं हो सकते।
 
हॉकिंग्स के अनुसार यदि बिग बैंग के बाद ब्रह्मांड के विस्तार की दर 1 सेकंड के खरबवें हिस्से से भी छोटी हो गई होती तो इससे पहले कि ब्रह्मांड अपने वर्तमान आकार पर पहुंच पाता वह पुन: संकुचित होकर शून्य हो जाता। दूसरी तरफ, अगर विस्तार की दर 1 सेकंड के 10 लाखवें अंश से थोड़ी भी अधिक होती है, तो ब्रह्मांड में सितारों और ग्रहों को बनने के लिए जो समय चाहिए वह नहीं मिलता अर्थात बिग बैंग का विस्फोट अकल्पनीय रूप से शुद्ध और सटीक था जिसने ब्रह्मांड को वर्तमान स्वरूप दिया। 
 
आइंस्टीन ने पहले अति सूक्ष्म कणों के गुण धर्म पर रिसर्च की। उन्हें क्वांटम फिजिक्स का नोबेल पुरस्कार भी मिला। किंतु जब उन्होंने देखा कि अति सूक्ष्म कण विज्ञान के नियमों का पालन नहीं करते तब उन्होंने इस विषय को छोड़कर ब्रह्मांड के नियमबद्ध विशाल पिंडों पर काम करना आरंभ कर दिया और दुनिया को प्रसिद्ध सापेक्षतावाद का सिद्धांत दिया।
 
किंतु स्टीफन हॉकिंग्स ने क्वांटम भौतिकी और सापेक्षतावाद में रिश्ता जोड़कर समझाया कि जिस सूक्ष्म कण के विस्फोट ने ब्रह्मांड को जन्म दिया वह विज्ञान के नियमों में बंधा हुआ नहीं था। दूसरा उन्होंने कहा कि ब्लैक होल्स मृत होते हुए भी ऊर्जा के विकिरण छोड़ते हैं जिन्हें अब 'हॉकिंग्स रेडिएशन' के नाम से जाना जाता है।
 
दुनिया का हर वैज्ञानिक हाकिंग्स की खोज से सहमत होते हुए भी यह विडंबना रही कि हॉकिंग्स नोबेल पुरस्कार से वंचित रहे, क्योंकि उनकी खोज को प्रयोगों के आधार पर सिद्ध नहीं किया जा सका। उसे सिद्ध करना अगले कई दशकों तक आसान भी नहीं होगा। दशकों बाद यदि किसी तरीके से प्रयोग कर पाए तब कहीं जाकर उनका नाम नोबेल की सूची में आएगा। ठीक उसी तरह जिस तरह आइंस्टीन द्वारा 100 वर्षों पूर्व गणित के माध्यम से प्रतिपादित नियम अब कहीं जाकर प्रयोगों द्वारा सिद्ध हो रहे हैं।
 
'ईश्वर, ब्रह्मांड के साथ पांसे नहीं खेलता', यह आइंस्टीन की प्रसिद्ध उक्ति है। किंतु स्टीफन ने जवाब में कहा कि 'ईश्वर पांसे खेलता ही नहीं बल्कि कभी-कभी तो ऐसी जगह फेंक देता है, जहां वे दिखाई भी नहीं देते।' आइंस्टीन को ऐसा सुन्दर जवाब स्टीफन हॉकिंग्स ही दे सकते थे। हम तो केवल इन्हें चमत्कृत होकर देख और पढ़ भर सकते हैं। जब भी वैज्ञानिक ऊपर सितारों को देखेंगे तो शायद उनमें उन्हें हॉकिंग्स भी दिखाई देंगें, जो अब सितारों के बीच अमर हो चुके हैं।

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