हिन्दी कविता : जन्म लेती रहे बेटियां...

स्मृति आदित्य

मुझे अच्छी लगती है 
दूसरे या तीसरे नंबर की वे बेटियां 
जो बेटों के इंतजार में जन्म लेती है....
और जाने कितने बेटों को पीछे कर आगे बढ़ जाती है, 
बिना किसी से कोई उम्मीद या अपेक्षा किए... 
 

क्या कहीं किसी घर में 
बेटी के इंतजार में जन्मे 
बेटे कर पाते हैं यह कमाल....
अगर नहीं 
तो चाहती हूं कि 
हर बार बेटों के इंतजार में 
जन्म लेती रहें बेटियां...
पोंछ कर अपने चेहरे से 
छलकता तमाम 
अपराध बोध... 
आगे बढ़ती रहे बेटियां... 
बार-बार जन्म लेती रहे बेटियां...

 


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