सत्यमित्रानंद जी शंकराचार्य होंगे यह भविष्यवाणी उज्जैन में ही हुई थी....

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श्रीमती किरण जोशी 
मैं स्वयं को उन सौभाग्यशाली संतानों में मानती हूं जिनके अभिभावक ऐसी यश गाथा लिख कर गए हैं कि उनका पुण्य बच्चे कमा रहे हैं। मैं प्रकांड विद्वान, महान ज्योतिषाचार्य पद्मभूषण पंडित सूर्यनारायण व्यास की पुत्री हूं इस बात पर मुझे सदैव गर्व रहा है पर सिंहस्थ में इस बात की जो गौरवानुभूति मुझे हुई वह शब्दातीत है। कल जब महान संत परम पुजनीय महामंडलेश्वर श्री सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज से मिलना हुआ तो पूरे समय यह अहसास होता रहा कि मैं कितने महान पिता की संतान हूं। 
 
सिर्फ इसलिए कि मैं उनकी संतान हूं उन्होंने मुझे जो आदर और सत्कार दिया वह अविस्मरणीय है। सत्यमित्रानंद जी का कहना था कि जब वे छोटे थे तब पंडित सूर्यनारायण जी ने भविष्यवाणी कर दी थी कि मैं एक दिन शंकराचार्य बनूंगा ... । उस समय इस भविष्यवाणी पर विश्वास करने का कोई कारण नहीं था पर जब ऐसा हुआ तो मैं उन्हें कभी नहीं भूल सका...आज भी अपने प्रवचन से पूर्व मैं उनका स्मरण करता हूं .... और कहता हूं ''बाबा महाकाल की नगरी को प्रणाम करता हूं, कालिदास की उज्जयिनी को प्रणाम करता हूं, मां क्षिप्रा की अवंतिका को प्रणाम करता हूं और फिर पंडित सूर्यनारायण जी व्यास की कर्मभूमि को प्रणाम करता हूं....उनकी उस दूरदर्शिता को नमन करता हूं...सच्ची और पारदर्शी भविष्यवाणी का वंदन करता हूं...., उनकी विद्वत्ता को प्रणाम करता हूं, उनकी दिव्यता के प्रति सम्मान व्यक्त करता हूं....'' वे विस्तार से बताने लगे कि मैं तब 27 वर्ष का था, ब्रह्मचारी था। महाकालेश्वर दर्शन के बाद पंडित जी के झरोखे को देखने निकला पंडित जी बैठे दिखे तो मन हुआ उनसे जन्म पत्रिका बनवा ली जाए। जैसे ही पंडित जी ने मेरी पत्रिका बनाई वे मेरे पैर छुने को बढ़े मैं संकोच से घिर गया कि पंडित जी यह क्या कर रहे हैं, वे बोले एक दिन आप धर्म के बहुत बड़े आचार्य बनने वाले हैं। बाद में उनके ही शुभ प्रयासों से मैं इस पद तक आया। 

मैं अभिभूत सी उन्हें प्रणाम करने को बढ़ी तो उन्होंने मुझसे चरण स्पर्श करवाने से इंकार कर दिया,'' आप उस दिव्य पुरुष की संतान है जिनकी भविष्यवाणी की वजह से मैं आज यहां हूं.... आप में मैं अपनी गुरु माता के दर्शन करता हूं। मुझे पाप का भागीदार न बनाएं, कृपया चरण ना छुएं.... आज के कठोर समय में कौन किसी का अहसान याद रखता है,कहां किसी को फुरसत कि कृतज्ञता ज्ञापित करे..पर इसी वक्त में हमें संत श्री सत्यमित्रानंद जी जैसे लोग भी मिलते हैं जो सालोसाल यह याद रखते हैं कि इसी भूमि पर एक ज्योतिषाचार्य ने कहा था कि एक दिन वे शंकराचार्य बनेंगे.... और ऐसा हुआ भी... मैं अपने पिता के लिए तो नतमस्तक हूं ही पर संतत्व की महान परंपरा का निर्वहन करने वाले आदरणीय श्री सत्यमित्रानंद जी के प्रति भी मैं अपनी गहरी श्रद्धा और आदरभाव निवेदित करती हूं....  

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