विश्व साइकिल दिवस पर एक यादगार अनुभव

सीमा व्यास
World Bicycle Day
 
’दादाजी, मैं साइकिल चलाना नहीं सीखूंगी।’ 
 
दादाजी ने अखबार से चेहरा निकालते हुए पूछा, ’क्यों? गिर पड़ी क्या?’ 
 
मैंने अपने सही-सलामत कोहनी और घुटने दिखाते हुए कहा, ’नहीं तो! मैं कहां गिरी? ये देख लो।’ 
 
दादाजी ने कहा, ’तो फिर? डर लगता है क्या?’ 
 
नहीं! पर बताओ, मैं साइकिल चलाना सीख भी गई तो चलाऊंगी कहां? सड़क पर तो इतने सारे वाहन रहते हैं। स्कूटर, बस, कार और साइकिल से पूरी सड़क भरी रहती है। इतनी भीड़ में मेरी साइकिल के लिए जगह कहां है?
 
एक गहरी सांस लेते हुए वे बोले, ’भीड़ कहां नहीं है? वो तो जीवन की हर राह में मिलेगी। अपनी जगह तुम्हें खुद बनानी होगी। अपने पर भरोसा करके एक बार भीड़ में साइकिल चलाना शुरू कर दो तो राह बनती जाएगी। 
 
बस, तुम्हें अपने लिए जगह तलाशना और उस राह पर चलकर मंजिल तक सुरक्षित पहुंचना आना चाहिए और शुरुआत तो सड़क पर जगह बनाने से ही करना होगी। तो अब बता साइकिल चलाना सीखेगी ना?’ 
 
’हां, सीखूंगी।’ कहते हुए मैं पुनः साइकिल की ओर दौड़ गई। 
 
दादाजी की बातों ने आंवले और नीम के गुणों की तरह धीरे-धीरे असर दिखाया। जीवन के किसी भी पड़ाव पर मुझे कभी भीड़ से डर नहीं लगा। अपने लिए जगह बनाना जो आ गया! 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

होली का रंग नहीं पड़ेगा स्किन पर भारी, यह घरेलू नुस्खा है सबसे असरदार

होली में अलग-अलग रंगों से खेलने का महत्व

रंगों की वर्षा, गुलाल की फुहार... होली के इन संदेशों को भेजकर मनाइए रंगों का त्योहार

होली खेलने से पहले अपनी स्किन पर लगाएं ये प्रोटेक्टिव परत, रंगों से नहीं होगा नुकसान

होली खेलने का है शौक लेकिन बालों की है चिंता तो अपनाएं ये हेअर केअर टिप्स, रंगों से नहीं होंगे बाल खराब

सभी देखें

नवीनतम

22 मार्च: जल है तो कल है...विश्व जल संरक्षण दिवस पर निबंध, 2025 में क्या है जल दिवस की थीम

इम्युनिटी बढ़ाने के साथ दिन भर तरोताजा रखेंगे ये गोल्डन आइस क्यूब, जानिए कैसे तैयार करें

नागपुर पर एक कविता

दो अफवाहें जिनसे सुलगा नागपुर, सरकार और शहर दोनों आपके, फिर हिंसा की साजिश का आरोप किस पर लगा रही बीजेपी?

गेहूं कटाई से बाजार तक बरतें सावधानी

अगला लेख