नागपंचमी पर घर के बाहर लिखें 1 महान ऋषि का नाम, कभी नहीं होगा सर्प दंश, जानिए किस वचन से बंधे हैं नागराज

पं. हेमन्त रिछारिया
हमारे हिन्दू समाज में आज भी कई ऐसी पौराणिक मान्यताएं प्रचलित हैं जिनसे व्यक्ति अपने आपको सुरक्षित महसूस करता है। सर्प का नाम सुनते ही जनमानस में भयंकर भय व्याप्त हो जाता है। सर्प को काल (मृत्यु) का प्रत्यक्ष स्वरूप माना जाता है। सर्पदंश होने पर आज भी ग्रामीण अंचल में झाड़-फूंक आदि सहारा लिया जाता है, जो सर्वथा गलत है। सर्पदंश जैसी विकट परिस्थिति में झाड़-फूंक व टोने-टोटके करने के स्थान पर शीघ्रातिशीघ्र चिकित्सक के पास जाना चाहिए।
 
बहरहाल, आज हम प्राचीन समय में प्रचलित एक परंपरा के बारे में 'वेबदुनिया' के पाठकों को अवगत कराएंगे। आपने यदा-कदा घरों की बाहरी दीवार पर 'आस्तिक मुनि की दुहाई' नामक वाक्य लिखा देखा होगा। ग्रामीण अंचलों में इस वाक्य को घर की बाहरी दीवार पर लिखा हुआ देखना आम बात है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस वाक्य को घर के बाहरी दीवारों पर क्यों लिखा जाता है? यदि नहीं, तो आज हम आपको इसकी पूर्ण जानकारी देंगे।
 
'आस्तिक मुनि की दुहाई' नामक वाक्य घर की बाहरी दीवारों पर सर्प से सुरक्षा के लिए लिखा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस वाक्य को घर की दीवार पर लिखने से उस घर में सर्प प्रवेश नहीं करता।
 
इस मान्यता के पीछे एक पौराणिक कथा है। कलियुग के प्रारंभ में जब ऋषि पुत्र के श्राप के कारण राजा परीक्षित को तक्षक नाग ने डस लिया, तो इससे उनकी मृत्यु हो गई। जब यह बात राजा परीक्षित के पुत्र जन्मेजय को पता चली तो उन्होंने क्रुद्ध होकर अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए इस संसार से समस्त नाग जाति का संहार करने के लिए 'सर्पेष्टि यज्ञ' का आयोजन किया। इस 'सर्पेष्टि यज्ञ' के प्रभाव के कारण संसार के कोने-कोने से नाग व सर्प स्वयं ही आकर यज्ञाग्नि में भस्म होने लगे।
 
इस प्रकार नाग जाति को समूल नष्ट होते देख नागों ने आस्तिक मुनि से जाकर अपने संरक्षण हेतु प्रार्थना की। उनकी प्रार्थना से प्रसन्न होकर आस्तिक मुनि ने नागों को बचाने से पूर्व उनसे एक वचन लिया कि जिस स्थान पर नाग उनका नाम लिखा देखेंगे, उस स्थान में वे प्रवेश नहीं करेंगे और उस स्थान से 100 कोस दूर रहेंगे।
 
नागों ने अपने संरक्षण हेतु आस्तिक मुनि को जब यह वचन दिया तब आस्तिक मुनि ने जन्मेजय को समझाया। आस्तिक मुनि के कहने पर जन्मेजय ने 'सर्पेष्टि यज्ञ' बंद कर दिया। इस प्रकार आस्तिक मुनि के हस्तक्षेप के कारण नाग जाति का आसन्न संहार रुक गया।
 
इस कथा के अनुसार ही ऐसी मान्यता प्रचलित है कि आस्तिक मुनि को दिए वचन को निभाने के लिए आज भी सर्प उस स्थान में प्रवेश नहीं करते, जहां आस्तिक मुनि का नाम लिखा होता है। इस मान्यता के कारण ही अधिकांश लोग सर्प से सुरक्षा के लिए अपने घर की बाहरी दीवार पर लिखते हैं- 'आस्तिक मुनि की दुहाई।'
 
-ज्योतिर्विद पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केंद्र
संपर्क: astropoint_hbd@yahoo.com
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Chaitra Navratri 2024 : चैत्र नवरात्रि इन 3 राशियों के लिए रहेगी बहुत ही खास, मिलेगा मां का आशीर्वाद

Cheti chand festival : चेटी चंड 2024 की तारीख व शुभ मुहूर्त

Hindu nav varsh 2024 : 30 साल बाद दुर्लभ संयोग और राजयोग में होगी हिंदू नववर्ष की शुरुआत

Chaitra Navratri 2024 : चैत्र नवरात्रि में किस पर सवार होकर आ रही हैं मां दुर्गा, जानें भविष्यफल

Surya grahan 2024: 8 अप्रैल का खग्रास सूर्य ग्रहण किन देशों में नहीं दिखाई देगा?

Aaj Ka Rashifal: 08 अप्रैल को साल का पहला सूर्य ग्रहण, जानें 12 राशियों पर क्या होगा असर

Solar Eclipse 2024: 08 अप्रैल को साल का पहला सूर्य ग्रहण, पढ़ें विशेष सामग्री (एक क्लिक पर)

08 अप्रैल 2024 : आपका जन्मदिन

08 अप्रैल 2024, सोमवार के शुभ मुहूर्त

08 अप्रैल से शुरू होगा नया सप्ताह, जानें किन राशियों के चमकेंगे सितारे April Weekly Horoscope

अगला लेख