गुरु नानक देव : एक महान संत जिनके उपदेशों का कोई अंत नहीं

Webdunia
गुरुनानक देव के चेहरे पर बाल्यकाल से ही अद्भुत तेज दिखाई देता था। उनका जन्म लाहौर के पास तलवंडी नामक गांव में कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ। उनका परिवार कृषि करके आमदनी करते थे। गुरुनानक का जहां जन्म हुआ था वह स्थान आज उन्हीं के नाम पर अब ननकाना के नाम से जाना जाता है। ननकाना अब पाकिस्तान में है। 
 
बचपन से प्रखर बुद्धिवाले नानक देव सिख धर्म के संस्थापक हैं। वे उम्र के 16वें वर्ष में शादी होने के बाद अपनी पत्नी और दोनों पुत्रों को छोड़कर धर्म के मार्ग पर निकल पड़ें। बचपन से ही उनका मन धर्म और अध्यात्म में लगता था। 
 
कहा जाता है कि गुरुनानक देव ने एक ऐसे विकट समय में जन्म लिया जब भारत में कोई केंद्रीय संगठित शक्ति नहीं थी। विदेशी आक्रमणकारी भारत देश को लूटने में लगे थे। धर्म के नाम पर अंधविश्वास और कर्मकांड चारों तरफ फैले हुए थे। ऐसे समय में नानक एक महान दार्शनिक, विचारक साबित हुए। 
 
उन्होंने अपनी सुमधुर सरल वाणी से जनमानस के हृदय को जीत लिया। लोगों को बेहद सरल भाषा में समझाया सभी इंसान एक दूसरे के भाई है। ईश्वर सबके पिता है, फिर एक पिता की संतान होने के बावजूद हम ऊंच-नीच कैसे हो सकते है? 
 
इन्हीं सभी भ्रांतियों को दूर करने के लिए उन्होंने उपदेशों को अपने जीवन में अमल किया और चारों ओर धर्म का प्रचार कर स्वयं एक आदर्श बने। सामाजिक सद्भाव की मिसाल कायम की। 
 
ऊंच-नीच का भेदभाव मिटाने के लिए लंगर की परंपरा चलाई। जहां कथित अछूत और उच्च जाति के लोग एक साथ लंगर में बैठकर एक पंक्ति में भोजन करते थे। आज भी सभी गुरुद्वारों में यही लंगर परंपरा कायम है। लंगर में बिना किसी भेदभाव के संगत सेवा करती है।
 
गुरु नानक देव ने भारत सहित अनेक देशों की यात्राएं कर धार्मिक एकता के उपदेशों और शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार कर दुनिया को जीवन का नया मार्ग बताया। प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा पर गुरु नानक जयंती मनाई जाती है।

ALSO READ: गुरु नानक देव का प्रकाशोत्‍सव पर्व, इन पवित्र परंपराओं के साथ मनाएं यह उत्सव...

सम्बंधित जानकारी

Show comments

किचन की ये 10 गलतियां आपको कर्ज में डुबो देगी

धन प्राप्ति के लिए मां लक्ष्मी के 12 पावरफुल नाम

रात में नहीं आती है नींद तो इसके हैं 3 वास्तु और 3 ज्योतिष कारण और उपाय

मोहिनी एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा, जानें शुभ मुहूर्त

32 प्रकार के द्वार, हर दरवाजा देता है अलग प्रभाव, जानें आपके घर का द्वार क्या कहता है

Char Dham Yatra : छोटा चार धाम की यात्रा से होती है 1 धाम की यात्रा पूर्ण, जानें बड़ा 4 धाम क्या है?

देवी मातंगी की स्तुति आरती

Matangi Jayanti 2024 : देवी मातंगी जयंती पर जानिए 10 खास बातें और कथा

कबूतर से हैं परेशान तो बालकनी में लगाएं ये 4 पौधे, कोई नहीं फटकेगा घर के आसपास

Panch Kedar Yatra: ये हैं दुनिया के पाँच सबसे ऊँचे शिव मंदिर

अगला लेख