ईदगाह और हामिद का चिमटा... Waqf की बहस में क्यों हुआ प्रेमचंद की इस कहानी का जिक्र?

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
गुरुवार, 3 अप्रैल 2025 (19:15 IST)
लोकसभा में बिल पास होने के बाद अब राज्‍यसभा में Waqf  बिल पर बहस हो रही है। लेकिन इस बीच लोकप्रिय लेखक प्रेमचंद की कहानी का भी जिक्र हुआ। दरअसल, मनोज झा ने अपनी चर्चा के दौरान प्रेमचंद की कहानी ईदगाह के बारे में बताया।

मनोज झा ने आगे कहा कि कल गृह मंत्री को सुन रहा था। बहुत अच्छे से वक्फ का मतलब बता रहे थे। कुछ तो समान है तैयारी के मामले में। आप पहली बार सुधार नहीं कर रहे हैं, सुधार आगे भी होंगे। बाबा साहब को कोट करते हुए कहा कि आज आइसोलेशन और एक्सक्लूजन, दोनों चीजें बहुतायात में हैं। ये उचित नहीं है।
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बता दें कि बुधवार को लोकसभा से पास होने के बाद गुरुवार को राज्यसभा में वक्फ संशोधन बिल पर चर्चा जारी है। राज्यसभा में गुरुवार को कई सांसदों ने वक्फ बिल पर अपनी-अपनी राय रखी। राज्यसभा में हुई बहस के दौरान भाजपा सदस्य राधामोहन दास अग्रवाल के भाषण की खूब चर्चा हुई। राधामोहन दास अग्रवाल ने वक्फ बिल पर अपनी बात रखते हुए कई चुटीले तंज भी कसे। राधामोहन दास अग्रवाल के बाद राज्यसभा में एक बार फिर माहौल तब बना, जब राजद के राज्यसभा सांसद मनोज झा अपनी बात रखी।
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मनोज झा ने की ईदगाह की चर्चा : राजद सांसद मनोज झा तेज-तर्रार वक्ता हैं। उन्होंने वक्फ बिल पर चर्चा के दौरान के राजद सुप्रीमो लालू यादव के वायरल पुराने वीडियो की भी चर्चा की। साथ ही उन्होंने मुंशी प्रेमचंद की कहानी 'ईदगाह' की भी चर्चा की। राजद सांसद मनोज झा ने कहा कि हमारी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एम्स में इलाजरत हैं। कल उनका एक वीडियो कट करके सोशल मीडिया पर खूब चलाया गया। उन्होंने कहा कि देश बंटवारे के बाद ट्रस्ट इश्यू थे। जानता हूं कि दोनों ही पक्ष आए हैं, तैयारियों के साथ। हम गर्दनों के साथ हैं वो आरियों के साथ। देश का माहौल कैसा है, इस पर एक नजर डाला जाए।
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मस्‍जिद के नीचे क्‍या है : मनोज झा ने आगे कहा कि गाहे-बगाहे आर्थिक बायकॉट की बात होती है, गाहे-बगाहे पुरानी मस्जिद के नीचे कुछ ढूंढा जाता है। प्लेस ऑफ वॉरशिप एक्ट पर सवाल उठता है। ऐसे माहौल में आपके बिल का कंटेंट और इंटेंट दोनों मैच करता है तो डर लगता है। आप भी चुनकर आए हैं, हम भी चुनकर आए हैं।

हिंदुओं को मुसलमान की आदत है : इसके बाद मनोज झा ने मुंशी प्रेमचंद की कहानी ईदगाह का जिक्र करते हुए कहा, हममें से हमारे सारे साथियों ने बचपन में इस कहानी को पढ़ा होगा। ईदगाह की कहानी हामिद नामक एक बच्चा होता है। जो ईद के मेले से अपनी दादी के लिए एक चिमटा खरीद कर लाता है। मनोज झा ने आगे कहा कि कोई बता सकता है कि दुकानदार हरखू था या हरेंद्र। हामिद खरीदेगा तो वहीं खरीदेगा, हरखू खरीदेगा तो हरेंद्र के पास जाएगा। इस देश के हिंदूओं को मुसलमान की आदत है, मुसलमानों को हिंदूओं की आदत है। इसाई-सिखों को हिंदू और मुस्लिमों की आदत है। इस आदत को नहीं बदलवाईए
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क्‍या है नए वक्फ बिल में : मौजूदा नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने सहयोगी दलों की मांग को स्वीकार करते हुए नए बिल में कई परिवर्तन किए हैं, जैसे 5 साल तक इस्लाम धर्म का पालन करने वाला ही वक्फ को अपनी संपत्ति दान कर सकेगा। दान की जाने वाली संपत्ति से जुड़ा कोई विवाद होने पर उसकी जांच के बाद ही अंतिम फैसला होगा। इसके साथ ही पुराने कानून की धारा 11 में संशोधन को भी स्वीकार कर लिया गया है, जिसमें कहा गया है कि वक्फ बोर्ड के पदेन सदस्य चाहे वह मुस्लिम हों या गैर मुस्लिम, उसे गैर मुस्लिम सदस्यों की गिनती में शामिल नहीं किया जाएगा। इसका अर्थ यह कि वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिम सदस्यों की संख्या बढ़ सकती है।
Edited By: Navin Rangiyal

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