डीएवीवी इंदौर में क्या बोले राष्ट्रपति...

Webdunia
शनिवार, 28 जून 2014 (19:47 IST)
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इंदौर। वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए भारत में शिक्षा की ठोस राष्ट्रीय नीति की जरूरत पर जोर देने के साथ राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शनिवार को कहा कि अंतरराष्ट्रीय जगत में देश की न्यायसंगत जगह बनाने के लिए पढ़ाई-लिखाई के क्षेत्र में व्यापक निवेश भी करना होगा।

मुखर्जी ने देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती वर्ष में आयोजित दीक्षांत समारोह में कहा कि अगर हम अंतरराष्ट्रीय जगत में अपनी न्यायसंगत जगह बनाना चाहते हैं, तो हमें देश में शिक्षा क्षेत्र में न केवल बड़ा निवेश करना होगा बल्कि ऐसी ठोस शिक्षा नीति भी बनानी पड़ेगी, जो समाज और अर्थव्यवस्था की बदलती जरूरतों के मुताबिक खुद को ढालने में सक्षम हो।

राष्ट्रपति ने बताया कि सरकार नई शिक्षा नीति बनाने के लिए एक आयोग के गठन के प्रस्ताव पर विचार कर रही है।

उन्होंने बताया कि भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति में वर्ष 1992 के बाद से बदलाव नहीं हुआ है, जबकि गुजरे ढाई दशक के दौरान देश में खासकर संचार तकनीक और आर्थिक गतिविधियों में बड़े परिवर्तन हो चुके हैं। लिहाजा देश को नई और ठोस शिक्षा नीति की जरूरत है। नई नीति से शिक्षा तंत्र को वैश्विक चुनौतियों के मुताबिक ढाला जा सकेगा। इसके साथ ही- शोध, विकास और नवाचार के समकालीन मुद्दों पर भी विचार किया जा सकेगा।

प्रणब ने कहा कि मैं विश्व के 200 शीर्ष शिक्षा संस्थानों की सूची में एक भी भारतीय विश्वविद्यालय का नाम नहीं होने का सवाल अकादमिक समुदाय के सामने लगातार खड़ा करता रहा हूं। लेकिन मुझे बताते हुए खुशी है कि उच्च शिक्षा के अलग-अलग क्षेत्रों में हमारे कुछ संस्थानों की अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में लगातार सुधार हो रहा है। उन्होंने देश में बड़ी तादाद में मौजूद युवा आबादी के कौशल विकास की जरूरत पर जोर दिया।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमें कड़ी प्रतिस्पर्धा वाली इस दुनिया में ऐसे स्नातक विकसित करने होंगे, जो रोजगार पाने के लायक हों। वरना देश में उच्च शिक्षित बेरोजगारों की तादाद बढ़ने की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी। इससे देश के संसाधनों की बर्बादी होगी।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमें जन सांख्यिकी का लाभ तभी मिल सकेगा, जब हम युवाओं का कौशल विकास करने के साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश करेंगे।

उन्होंने उच्च शिक्षा क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए अकादमिक जगत को स्थानीय उद्योग जगत से जोड़ने और शिक्षक समुदाय के विकास की जरूरत को भी रेखांकित किया।

मुखर्जी ने यह भी कहा कि आदिवासी और ग्रामीण पृष्ठभूमि के विद्यार्थियों को वैश्विक स्तर पर सक्षम बनाने के लिए नीतियों और योजनाओं में उचित बदलाव किए जाने चाहिए।

देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के विशिष्ट अतिथियों में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, मध्यप्रदेश के राज्यपाल रामनरेश यादव और राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शामिल थे।

इस समारोह के दौरान 65 मेधावी विद्यार्थियों को स्वर्ण और रजत पदक प्रदान किए गए। इसके साथ ही, 13 शोधार्थियों को डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी (पीएचडी) की उपाधि प्रदान की गई। (भाषा)

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