नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को अपनी सरकार की पहली फ्लैगशिप योजना ‘प्रधानमंत्री जन धन योजना’ का शुभारंभ करते हुए कहा कि देश में अमीरी और गरीबी के बीच की खाई को पाटने के लिए ‘आर्थिक छुआछूत’ को खत्म करना होगा और इस योजना का यही लक्ष्य है।
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र के नाम अपने पहले संबोधन में इस योजना की घोषणा करने वाले मोदी ने आज यहां विज्ञान भवन में इसका औपचारिक रूप से शुभारंभ किया।
इस अवसर पर देशभर में आज डेढ़ करोड़ लोगों के खाते खोले गए जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। इसके पहले चरण के तहत अगले साल 15 अगस्त तक साढ़े सात करोड़ खाते खोलने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन प्रधानमंत्री ने कहा कि इस लक्ष्य को अगली 26 जनवरी तक पूरा किया जाएगा।
इस मौके पर मोदी ने कहा, आजादी के इतने साल बाद, जो देश गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है, वहां गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ने में अर्थव्यवस्था सबसे महत्वपूर्ण इकाई है, और उससे ही वह (गरीब) अछूत रह जाता है।
मोदी ने कहा, इस शब्द का प्रयोग अच्छा नहीं लग रहा है लेकिन मेरा मन कहता है कि मैं कहूं कि यह फाइनेंशियल अनटचबिलिटी (आर्थिक छुआछूत) है। देश के 40 फीसदी लोग भारत के अर्थव्यवस्था के हकदार नहीं बन पाते और उसके लाभार्थी नहीं बन पाते तो हम गरीबी को मिटाने में कैसे सफल हो सकते हैं।
उन्होंने कहा, महात्मा गांधी ने सामाजिक छुआछूत को मिटाने का प्रयास किया। अगर हमें गरीबी से मुक्ति पानी है तो फाइनेंशियल अनटचबिलिटी (आर्थिक छुआछूत) से भी मुक्ति पानी होगी। हर व्यक्ति को वित्तीय व्यवस्था से जोड़ना होगा। उसी के तहत इस अभियान को पूरी ताकत के साथ उठाया है।
जन धन योजना के तहत खाता खोलने के लिए किसी तरह की न्यूनतम राशि की जरूरत नहीं होगी और खाताधारक को ‘रूपे’ डेबिट कार्ड मिलेगा। साथ ही एक लाख रुपए का अकस्मात दुर्घटना बीमा और 30000 रुपए का जीवन बीमा मिलेगा। बाद में खाताधारकों को 5000 रुपए तक की ओवरड्राफ्ट (कर्ज) सुविधा मिलेगी।
मोदी ने कहा, इस योजना की शुरुआत के साथ ही देशभर में 77000 स्थानों पर खाते खेलने का काम हुआ जिसमें 20 मुख्यमंत्रियों, कई केंद्रीय मंत्रियों तथा अधिकारियों ने हिस्सा लिया।
सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने पुणे, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने चेन्नई, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भोपाल, गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने लखनऊ और मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने सूरत से इसका शुभारंभ किया।
देश में इससे पहले भारत सरकार की ओर से इतने व्यापक पैमाने पर किसी कार्यक्रम की शुरुआत नहीं की गई थी। मोदी ने देश में 45 साल पहले हुए बैंकों के राष्ट्रीयकरण का जिक्र करते हुए कहा कि इसका मकसद गरीबों को लाभ पहुंचाना था, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।
उन्होंने कहा, आप कल्पना कर सकते हैं जब 1969 में बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया तो कैसे-कैसे सपने बोए गए थे। बैंकों का राष्ट्रीयकरण गरीबों के लिए होता है यह पूरे देश के गले उतार दिया गया था। लेकिन आजादी के 68 साल बाद भी देश के 68 फीसदी लोगों का अर्थव्यवस्था के इस हिस्से से कोई संबंध नहीं है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ऐसा लगता है जिस मकसद से इस कार्य का आरंभ हुआ वह वहीं का वहीं रह गया। मैं मानता हूं कि जब कोई व्यक्ति खाता खोलता है तो यह उसके अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा से जुड़ने का पहला कदम बन जाता है। आज जो डेढ़ करोड़ व्यक्ति या परिवार जुड़े हैं वो अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा में पहला कदम रख रहे हैं। यह अर्थव्यस्था को गति देने की दिशा में महत्वपूर्ण सफलता है। (भाषा)