भारत में नरभक्षी हथिनी का आतंक... (वीडियो)

चेतावनी: वीडियो के दृश्य विचलित कर सकते हैं...

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भारत के प. बंगाल में एक हथिनी ने 17 लोगों को जान से मार दिया और क्षेत्र में आतंक का पर्याय बन गई। लेकिन गांववालों और इस क्षेत्र के वन विभाग के अधिकारीयों ने एक ऐसी बात बताई जिसपर कोई विश्वास नहीं करेगा। उन्होंने बताया कि यह हथिनी नरभक्षी हो चुकी था। यह अपने आप में बेहद अनोखी बात थी क्योंकि हथिनी एक शाकाहारी प्राणी होता है।
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इस नरभक्षी हथिनी के आतंक से निपटने के लिए जब वन विभाग ने उसे गोली मार कर खत्म कर दिया तो हथिनी के पोस्टमार्टम से पता चला कि उस हथिनी ने सही में मानव भक्षण किया था। उसके पेट में मानव मांस भी मिला। इस खौफनाक घटना को एक फॉरेस्ट ऑफिसर एनसी बहुगुणा ने अपनी एक किताब "द मैन इटिंग एलीफेंट" में विस्तार से बताया है। इस किताब में बताया गया है हथिनी के हमलों के बारे में विस्तार से। पढ़ें अगले पन्ने पर... (वीडियो अंतिम पन्ने पर..)

बहुगुणा के अपनी किताब में लिखा है कि बताते हैं कि 23 जून 2002 को पश्चिम बंगाल की एक गर्मी से भरी दोपहर में नापानिया जंगलों में एक हथिनी बेहद गुस्से में गांव की ओर दौड़ी। उसने रास्ते में आने वाले हर चीज को रौंद डाला। लेकिन सबसे भयानक नजारा तो तब देखने को मिला जब उसने अपने सामने आए एक 60 साल के आदमी को अपनी सूंड में हवा में उठा लिया। इसके बाद जो हुआ वह सुनकर भी किसी की भी रूह कांप उठे।

उस पगलाई हथिनी ने एक वृद्ध को हवा से जमीन पर पटक-पटक कर मार डाला। इतना ही नहीं लोग आतंक के सिहर उठे जब हथिनी ने मृत शरीर का भक्षण शुरू कर दिया। बहुगुणा बताते हैं कि उस नरभक्षी हथिनी ने इसके बाद अगले एक घंटे में कम से कम पांच और लोगों को अपने गुस्से का निशाना बना कर उनको जान से मार डाला। हर मामले में हथिनी ने उन आदमियों का मानो कचूमर ही निकाल दिया था।

आखिर क्यों हथिनी मांसाहारी बन गई जानिए अगले पन्ने पर...


प्राणी विज्ञानी डेविड सोलमन के अनुसार हथिनी के इस खूंखार व्यवहार के लिए इंसान जिम्मेदार हैं। उन्होंने बताया कि इस मामलें में जब इंसानों द्वारा इस हथिनी के बच्चे को मार दिया गया तो वह बदले पर उतर आई और सामने आने वाले हर इंसान को बुरी तरह रौन्द डाला। अत्यधिक क्रोध में आकर उसने न केवल रौन्दा बल्कि क्षतविक्षत शवों को दांतो से चीर-फाड़ डाला जिससे कुछ मांस उसके पेट में भी चला गया होगा। गौरतलब है कि भारत में वन्य पशुओं के स्वतंत्र विचरण के लिए जंगल नहीं बचे हैं जिसकी वजह से वे मानव आबादी की ओर चले आते हैं। इसका परिणाम अक्सर मनुष्य और जानवर दोनों के लिए घातक होता है।

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