गुवाहाटी। असम के कुछ हिस्सों में रविवार को भूकंप का झटका महसूस किया गया। बुलेटिन के मुताबिक तत्काल भूकंप से किसी के हताहत होने या संपत्ति के नुकसान की जानकारी नहीं मिली है। राष्ट्रीय भूकंप केंद्र की रिपोर्ट के मुताबिक, भूकंप का केंद्र नगांव जिले में ब्रह्मपुत्र नदी के दक्षिणी तट पर था। भूकंप का केंद्र सतह से 10 किलोमीटर की गहराई में था। इसकी तीव्रता 4 मापी गई। रिपोर्ट के मुताबिक, भूकंप का केंद्र गुवाहाटी से 160 किलोमीटर दूर मध्य असम में होजई के पास था।
पश्चिमी कार्बी आंगलॉन्ग, कार्बी आंगलॉन्ग, गोलाघाट और मोरी गांव जिले के लोगों ने भी भूकंप का झटका महसूस किया। इसके अलावा ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तरी किनारे पर स्थित सोनितपुर में बसे लोगों को भी झटका महसूस हुआ। पूर्वोत्तर के सभी राज्य उच्च भूकंप संभावित क्षेत्रों में आते हैं और इलाके में नियमित तौर पर भूकंप के झटके महसूस किए जाते हैं।
छोटे-छोटे भूकंप के झटके : विशेषज्ञों का कहना है कि छोटे-छोटे झटके विवर्तनिक दबाव को कम करने तथा भारत को एक विनाशकारी भूकंप से बचाने में मदद कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि देश में प्रभावी कार्रवाई तथा आपात स्थिति से निपटने की दिशा में एक आदर्श बदलाव देखा गया है।
उन्होंने कहा कि भारत बड़े पैमाने पर भूकंप से निपटने के लिए अच्छी तरह तैयार है क्योंकि उसके पास राष्ट्रीय आपदा राहत बल (एनडीआरएफ) के रूप में समर्पित और प्रशिक्षित बल है।
विशेषज्ञों ने कहा कि अगर लोग तथा संस्थान मजबूत इमारतें बनाने के लिए सख्ती से नियमों का पालन करें तो बड़े पैमाने पर आने वाले भूकंप का असर कम किया जा सकता है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के निदेशक ओपी मिश्रा ने कहा कि पाकिस्तान के साथ लगती सीमा के समीप भारत के पश्चिम की ओर ट्रिपल जंक्शन सूक्ष्म स्तर पर बार-बार भूकंप आने के कारण लगातार दबाव कम कर रहा है। यहां कुछ चार और पांच तीव्रता के भूकंप भी आए हैं।
ट्रिपल जंक्शन तीन टेक्टोनिक प्लेट की सीमाएं मिलने का बिन्दु है। भौगोलिक गतिविधि में ये महत्वपूर्ण क्षेत्र होते हैं और भूकंपीय तथा ज्वालामुखी संबंधी गतिविधि के महत्वपूर्ण स्थल हो सकते हैं।
इन प्लेटों की गतिविधि पृथ्वी की ऊपरी सतह पर दबाव बना सकती हैं जो भूकंप के रूप में सामने आ सकती हैं।
मिश्रा ने कहा कि तुर्किये में दो ट्रिपल जंक्शन थे। उन्होंने कहा कि चूंकि इस क्षेत्र में कोई छोटे भूकंप नहीं आए तो वहां काफी दबाव एकत्रित हो गया।
वैज्ञानिक ने कहा कि भारत भूकंप के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्र है लेकिन हम सौभाग्यशाली हैं कि हमारे यहां हर दिन कई छोटे-छोटे भूकंप आते हैं इसलिए एकत्र हुई ऊर्जा निकल जाती है।
विशेषज्ञों के अनुसार, किसी इमारत की रेजानेंट फ्रीक्वेंसी (गुंजायमान आवृति) भूकंप के दौरान उसे होने वाले नुकसान को कम करने में अहम भूमिका निभा सकती है।
इमारतों में कंपन की प्राकृतिक आवृत्तियां होती है जिसे गुंजायमान आवृत्ति कहा जाता है जो उनके द्रव्यमान, कठोरता और आकार से तय होती हैं। किसी भूकंप के आधार पर जमीनी गतिविधि इन प्राकृतिक आवृत्तियों का बढ़ा सकती है जिससे इमारत अपनी गुंजायमान आवृत्ति पर हिल सकती है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अनुसार, भारत का 59 प्रतिशत भू-भाग भूकंप के लिहाज से संवेदनशील है।
मिश्रा ने कहा कि मंत्रालय भूकंपीय माइक्रोजोनेशन अध्ययन के जरिए देश के भूकंपीय हानिकारक जोनेशन मानचित्र का एकीकरण कर रहा है। अभी पांच लाख तथा उससे अधिक की आबादी वाले 30 शहर भूकंपीय जोन तीन, चार और पांच और इस परियोजना के तहत आते हैं।
उन्होंने बताया कि प्रत्येक राज्य का अपना आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और आपदा मोचन बल है। उन्होंने कहा कि प्रभावी प्रतिक्रिया तथा शमन की ओर आदर्श बदलाव आया है। देश ऐसी आपात स्थितियों से निपटने के लिए अच्छी तरह तैयार है। भाषा Edited By : Sudhir Sharma