उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से जुड़े 5 बड़े विवाद

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
बुधवार, 23 जुलाई 2025 (12:24 IST)
Jagdeep Dhankhar news in hindi : भारत के 14वें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के सोमवार को पद से इस्तीफे के बाद, उनके कार्यकाल को लेकर एक बार फिर बहस छिड़ गई है। 11 अगस्त 2022 को पदभार संभालने के बाद से, उनका कार्यकाल विपक्ष के साथ लगातार टकराव, संवैधानिक सीमाओं के कथित उल्लंघन और विवादित बयानों से घिरा रहा। टेलीग्राफ ने उनके कार्यकाल से जुड़े पांच प्रमुख विवादों की एक सूची तैयार की है, जो उनके नेतृत्व पर गंभीर सवाल उठाते हैं।
 
1. विपक्ष से तीखी नोकझोंक और निलंबन
दिसंबर 2023 में मणिपुर हिंसा पर संसद में भारी हंगामे के दौरान, धनखड़ ने "अमर्यादित व्यवहार" का हवाला देते हुए एक दर्जन से अधिक विपक्षी सांसदों को निलंबित कर दिया। कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने इसे "राज्यसभा को खामोश कमरा" बनाने की कोशिश बताया। विपक्ष ने उन पर सत्ता पक्ष को ज़्यादा समय देने और विपक्षी नेताओं को बार-बार टोकने का भी आरोप लगाया। धनखड़ ने अपने बचाव में कहा था, "सदन को नारेबाजी का अखाड़ा नहीं बनने दूंगा। लोकतंत्र का सार बहस है, अव्यवस्था नहीं।"
 
2. 'मूल ढांचा सिद्धांत' पर सवाल, संविधान पर बहस
धनखड़ ने संविधान के 'मूल ढांचा सिद्धांत' पर सवाल उठाकर एक बड़ा संवैधानिक विवाद खड़ा कर दिया। यह सिद्धांत सुप्रीम कोर्ट को संवैधानिक संशोधनों को रद्द करने का अधिकार देता है, जो संविधान की मूल भावना को नष्ट करते हों। धनखड़ ने तर्क दिया था, "संसद की सर्वोच्चता सर्वोपरि है। कोई संस्था संवैधानिक संशोधन को रद्द करने का दावा कैसे कर सकती है?" सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मदन बी. लोकुर ने इसे "बेहद परेशान करने वाला" बताया, जबकि तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने इस सिद्धांत को "संविधान का ध्रुव तारा" करार दिया था।
 
3. JNU दीक्षांत समारोह में विवादित भाषण
दिसंबर 2023 में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के दीक्षांत समारोह में धनखड़ ने न्यायपालिका, नागरिक समाज और मीडिया पर निशाना साधा। उन्होंने "गैर-निर्वाचित संस्थाओं" पर संसद के काम में दखलंदाजी का आरोप लगाया। JNU शिक्षक संघ ने इसे "राजनीतिक मंच" का दुरुपयोग बताया, जिसके बाद छात्रों ने "संविधान बचाओ" और "न्यायपालिका से दूर रहो" जैसे नारों के साथ मौन विरोध प्रदर्शन किया।
 
4. बिना बहस के अहम विधेयकों का पारित होना
धनखड़ पर आरोप है कि उन्होंने कई महत्वपूर्ण विधेयकों को बिना पर्याप्त बहस के पारित करवाया, खासकर तब जब विपक्षी सांसद निलंबित थे। 2024 के मानसून सत्र में, डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल और टेलीकम्युनिकेशन बिल जैसे महत्वपूर्ण कानून मिनटों में पारित हो गए। विपक्ष ने इस प्रक्रिया को "बुलडोजर से कानून पास करवाना" करार दिया।
 
5. किसानों की आलोचना
किसान आंदोलन के दौरान जगदीप धनखड़ ने किसानों की आलोचना की। उन्होंने कहा था कि किसान आंदोलन के नाम पर सड़कों पर बैठक कर राष्ट्र को बदनाम कर रहे है वे किसान नहीं है। जगदीप धनखड़ की इस टिप्पणी पर किसान संगठनों और खाप संगठनों ने आपत्ति जताई। 
 
जगदीप धनखड़ का कार्यकाल इन विवादों के कारण हमेशा सुर्खियों में रहा है। उनके इस्तीफे ने एक बार फिर इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर बहस छेड़ दी है।

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