नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय में आज एक जनहित याचिका दायर कर 500 और 1000 रुपए के मौजूदा नोटों को अमान्य करार दिए जाने के मोदी सरकार के फैसले को रद्द करने की मांग की गई है। याचिका में दलील दी गई है कि सरकार का फैसला नागरिकों के जीवन के अधिकार एवं व्यापार करने के अधिकार सहित कई अन्य चीजों का उल्लंघन करता है। याचिका पर इस हफ्ते सुनवाई हो सकती है।
इस याचिका में केंद्रीय वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग की ओर से कल जारी की गई अधिसूचना को ‘तानाशाही’ करार दिया गया है। याचिका में दावा किया गया कि नागरिकों को 500 और 1000 रूपए के नोटों के विनिमय के लिए उचित समय नहीं दिया गया ताकि बड़े पैमाने पर होने वाली मारामारी और जिंदगी को खतरा पैदा करने वाली मुश्किलों से बचा जा सकता।
दिल्ली के वकील विवेक नारायण शर्मा की ओर से दाखिल अर्जी में अधिसूचना रद्द करने या केंद्र को यह निर्देश दिए जाने की मांग की है कि नागरिकों को मुश्किल से बचाने के लिए ‘उचित समय सीमा’दी जाए ताकि वे 500 और 1000 रुपए के नोटों को बदलवा सकें।
खबरों का हवाला देते हुए याचिका में कहा गया कि 500 और 1000 रुपए के नोटों को अमान्य करार दिए जाने का मतलब होगा कि 15 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा धनराशि बाजार से हटा ली जाएगी। बहरहाल, याचिका में यह भी कहा गया कि याचिकाकर्ता नोटों को अमान्य करार दिए जाने के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन जिस तरीके से यह किया गया उससे घबराहट और आपातकाल जैसे हालात पूरे भारत में पैदा हो गए। (भाषा)