बांझपन परीक्षण में फेल हुए 9 इंजेक्‍शन, इनमें से 4 इंदौर के, अब कर्नाटक में नहीं बिक सकेंगे

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2025 (19:09 IST)
कर्नाटक में बांझपन के परीक्षण में इस्‍तेमाल किए जाने वाले देशभर के नौ इंजेक्‍शन विफल हो गए हैं। विफल होने वाले इन नौ इंजेक्‍शनों में से 4 इंदौर और खरगोन के हैं। यह चौंकाने वाली जानकारी कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने दी है। उन्‍होंने कहा कि इंजेक्शन से दी जाने वाली नौ दवाएं कर्नाटक सरकार की प्रयोगशालाओं में किए गए बांझपन परीक्षण में विफल रही हैं।

बता दें कि जानकारी देते हुए कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री जेपी नड्डा को पत्र लिखा है। पत्र में राव ने कहा कि उन्होंने अपने विभाग के अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिया है कि ये दवाएं अब कर्नाटक में नहीं बेची जाएंगी।

गुंडू राव ने क्‍या कहा पत्र में : दिनेश गुंडू राव ने बताया कि कुल 9 इंजेक्‍शन उनकी कर्नाटक प्रयोगशाला में फेल हुए हैं। इन इंजेक्‍शनों को बांझपन में परीक्षण के लिए इस्‍तेमाल किया गया था। इसके बाद कर्नाटक सरकार ने इसे अपने यहां बेचने पर रोक लगा दी है। राव ने नड्डा को लिखा कि मैं आपका ध्यान अन्य राज्यों में निर्मित खराब इंजेक्शन की कर्नाटक में बिक्री की बार-बार हो रही घटनाओं की ओर आकर्षित करने के लिए यह लिख रहा हूं।

उन्होंने केन्द्रीय मंत्री से अनुरोध किया कि वे सभी राज्यों और केन्द्रीय प्रयोगशालाओं के लिए एक ऐसी प्रणाली बनाएं, जिससे वे उन दवाओं के बारे में एक-दूसरे के साथ चेतावनी साझा कर सकें जो गुणवत्ता परीक्षण में विफल रही हैं।

कौन कौन से है इंजेक्‍शन : जो इंजेक्‍शन विफल रहे हैं। उनमें पश्चिम बंगाल के बारुईपुर स्थित फार्मा इम्पेक्स प्रयोगशालाओं द्वारा निर्मित मेट्रोनिडाजोल इंजेक्शन, इंदौर (मध्य प्रदेश) स्थित अल्फा प्रयोगशालाओं द्वारा निर्मित डिक्लोफेनाक सोडियम इंजेक्शन, इंदौर (मध्य प्रदेश) स्थित रुसोमा प्रयोगशालाओं द्वारा निर्मित डेक्सट्रोज इंजेक्शन, खरगोन (मध्य प्रदेश) स्थित आईएचएल लाइफसाइंसेज प्राइवेट लिमिटेड द्वारा निर्मित मेट्रोनिडाजोल, हरियाणा के बहादुरगढ़ स्थित पाक्सन्स फार्मास्यूटिकल्स द्वारा निर्मित फ्रूसेमाइड, इंदौर (मध्य प्रदेश) स्थित मॉडर्न प्रयोगशालाओं द्वारा निर्मित पाइपरसिलिन और टैजोबैक्टम, हरियाणा के हिसार स्थित रीगेन प्रयोगशालाओं द्वारा निर्मित कैल्शियम ग्लूकोनेट और ओंडानसेट्रॉन और हिमाचल प्रदेश के सोलन स्थित मार्टिन और ब्राउन बायोसाइंसेज द्वारा निर्मित एस्ट्रोपाइन सल्फेट शामिल हैं।
Edited By: Navin Rangiyal

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