Kisan Andolan : सरकार ने किसानों के साथ की वार्ता, 5 वर्षीय समझौते का रखा यह प्रस्ताव

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
सोमवार, 19 फ़रवरी 2024 (12:05 IST)
A committee of Union ministers held talks with farmers : किसानों के साथ वार्ता के बाद 3 केंद्रीय मंत्रियों की एक समिति ने दाल, मक्का और कपास सरकारी एजेंसियों द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदने के लिए 5 वर्षीय समझौते का प्रस्ताव रखा है। किसान नेताओं ने कहा कि वे सोमवार और मंगलवार को अपने मंच पर सरकार के प्रस्ताव को लेकर चर्चा करेंगे और उसके बाद आगे का फैसला लेंगे।
 
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने यह जानकारी दी। चंडीगढ़ में रविवार को मंत्रियों के साथ बैठक के बाद किसान नेताओं ने कहा कि वे सोमवार और मंगलवार को अपने मंच पर सरकार के प्रस्ताव को लेकर चर्चा करेंगे और उसके बाद आगे का फैसला लेंगे। फसल खरीद के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी और अन्य मांगों को लेकर हजारों किसान पंजाब और हरियाणा की सीमा पर डटे हुए हैं।
 
किसानों के मुद्दे पर वाणिज्य और उद्योग मंत्री गोयल, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा और गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने किसान नेताओं के साथ चौथे दौर की बातचीत की। बैठक में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी शामिल हुए। रात आठ बजकर 15 मिनट पर शुरू हुई बैठक करीब चार घंटे तक चली। बैठक के बाद गोयल ने वार्ता के दौरान ‘नवोन्मेषी’ और ‘लीक से हटकर’ सुझाव रखे गए और किसान नेता सोमवार सुबह तक सरकार के प्रस्ताव पर निर्णय लेंगे।
उन्होंने कहा, भारतीय राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ मर्यादित (एनसीसीएफ) और भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) जैसी सहकारी समितियां उन किसानों के साथ एक समझौता करेंगी जो ‘अरहर दाल’, ‘उड़द दाल’, ‘मसूर दाल’ या मक्का के खेती करते हैं ताकि उनकी फसल अगले पांच वर्षों के लिए एमएसपी पर खरीदी जा सके। उन्होंने कहा, फसल खरीद की मात्रा की कोई सीमा नहीं होगी और इसके लिए एक पोर्टल भी तैयार किया जाएगा।
 
एमएसपी पर कानून, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें और कर्ज माफी जैसे मुद्दों पर हुई चर्चा : गोयल ने कहा कि इससे पंजाब की खेती बचेगी, भूजल स्तर में सुधार होगा और जमीन को बंजर होने से बचाया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि किसानों ने अपनी बात रखते हुए कहा कि वे मक्के की फसल में विविधता लाना चाहते हैं, लेकिन कीमतें एमएसपी से नीचे जाने के कारण होने वाले नुकसान से भी बचना चाहते हैं। किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि एमएसपी पर कानून, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें और कर्ज माफी जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई।
 
केंद्र के प्रस्ताव पर किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा, हम 19-20 फरवरी को अपने मंचों पर चर्चा करेंगे और इस बारे में विशेषज्ञों की राय लेंगे तथा तदानुसार निर्णय लेंगे। पंधेर ने कहा कि कर्ज माफी और अन्य मांगों पर चर्चा लंबित है और उम्मीद है कि मंगलवार तक इनका समाधान हो जाएगा। उन्होंने कहा कि ‘दिल्ली चलो’ मार्च फिलहाल स्थगित है, लेकिन अगर सभी मुद्दे नहीं सुलझे तो 21 फरवरी को सुबह 11 बजे फिर से शुरू होगा।
 
2004 से 2014 के बीच एमएसपी पर केवल 5.50 लाख करोड़ रुपए ही खर्च किए गए : कृषि क्षेत्र में नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में गोयल ने कहा कि 2014 से 2024 तक सरकार ने एमएसपी पर फसल खरीद के लिए 18 लाख करोड़ रुपए खर्च किए, जबकि 2004 से 2014 के बीच केवल 5.50 लाख करोड़ रुपए ही खर्च किए गए थे। किसानों के साथ एक और बैठक की संभावना पर गोयल ने कहा कि अगर वे सोमवार को कोई निर्णय लेते हैं तो सरकार उसी आधार पर चर्चा करने के लिए आगे बढ़ेगी।
 
हालांकि उन्होंने रेखांकित किया कि किसानों की अन्य मांगें ‘नीति-आधारित’ हैं और गहन चर्चा के बिना समाधान संभव नहीं है। उन्होंने कहा, चुनाव आ रहे हैं और नई सरकार बनेगी, इस तरह के मुद्दों पर चर्चा जारी रहेगी। इस बीच, पंजाब के मुख्यमंत्री ने किसानों के हितों के खातिर फसल खरीद के लिए एमएसपी को कानूनी गारंटी बनाए जाने की वकालत की। मान ने कहा कि उन्होंने बैठक के दौरान मोजाम्बिक और कोलंबिया से दालों के आयात का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि यह आयात दो अरब अमेरिकी डॉलर से भी अधिक का है।
 
उन्होंने कहा कि यदि इस फसल के लिए एमएसपी दिया जाए तो पंजाब दालों के उत्पादन में देश का नेतृत्व कर सकता है और यह दूसरी हरित क्रांति होगी। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि राज्य के किसान कपास और मक्का की खेती के लिए तभी प्रोत्साहित हो सकते हैं जब उन्हें इन फसलों पर एमएसपी की गारंटी मिले। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि इन फसलों का सुनिश्चित विपणन किसानों को फसल विविधीकरण के लिए प्रोत्साहित कर सकता है।
 
विरोध प्रदर्शन के दौरान शांति और कानून व्यवस्था बनाए रखे जाने की अपील : मान ने कहा कि उन्होंने किसानों के पैरोकार के रूप में बैठक में भाग लिया और अंतिम निर्णय हितधारकों को लेना है। उन्होंने कहा कि विरोध प्रदर्शन के दौरान हर तरह से शांति और कानून-व्यवस्था बनाए रखी जानी चाहिए। पंजाब के किसानों ने अपनी मांगों को लेकर केंद्र पर दबाव बनाने के लिए मंगलवार को दिल्ली की ओर मार्च शुरू किया था, लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें हरियाणा-पंजाब की शंभू और खनौरी सीमा पर रोक दिया।
 
एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी के अलावा, किसान कृषकों के कल्याण के लिए स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन तथा कर्ज माफी, लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय, भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को बहाल करने और पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की भी मांग कर रहे हैं। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour

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