आधार के लिए बैंक और मोबाइल कंपनियां नहीं बना सकती हैं आप पर दबाव, ...नहीं तो भरना पड़ सकता है 1 करोड़ का जुर्माना

Webdunia
बुधवार, 19 दिसंबर 2018 (12:33 IST)
केंद्र सरकार आधार कानून में बड़ा संशोधन करने जा रही है। सुप्रीम कोर्ट के हाल के फैसले के बाद यह आवश्यक हो गया है। सरकार ने मोबाइल नंबर तथा बैंक खातों को जैविक पहचान वाले आधार कार्ड से स्वैच्छिक रूप से जोड़ने को कानूनी जामा पहनाने की पहल की। यदि यह संशोधन हो गया तो बैंक और मोबाइल कंपनियां आधार कार्ड के लिए बाध्य नहीं कर सकेंगी।


कैबिनेट ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट और भारतीय टेलीग्राफ एक्ट में संशोधन को मंजूरी दे दी है। सूत्रों के अनुसार अब आपको बैंक में खाता खुलवाने या फिर सिम कार्ड लेने के लिए आधार कार्ड देना आवश्यक नहीं होगा बल्कि पूरी तरह आपकी इच्छा पर ही निर्भर होगा। नवभारत टाइम्स की एक खबर के मुताबिक पहचान और पते के प्रमाण के तौर पर आधार कार्ड के लिए दबाव बनाने पर बैंक और टेलीकॉम कंपनियों को 1 करोड़ रुपए तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है।

आधार से संबंधित दो कानूनों में संशोधन के लिए संसद में विधेयक लाने के प्रस्तावों को सोमवार को मंजूरी दी गई। सूत्रों ने यहां इसकी जानकारी दी। इसके तहत टेलीग्राफ अधिनियम को संशोधित किया जा रहा है। इससे आधार के जरिए सिमकार्ड जारी करने को वैधानिक समर्थन मिलेगा। इसी तरह मनी लांड्रिंग रोकथाम अधिनियम में संशोधन से बैंक खातों से आधार को जोड़ने की प्रक्रिया सुगम होगी। इनके अलावा सरकार ने आधार के डेटा चोरी करने की कोशिश पर 10 साल तक की जेल का प्रस्ताव दिया है। अभी इसके लिए तीन साल की जेल का प्रावधान है।

सूत्रों के मुताबिक इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने टेलीग्राफ अधिनियम और मनी लांड्रिंग रोकथाम अधिनियम में संशोधन के लिए प्रस्तावित विधेयकों के मसौदों को मंजूरी दी। यह निर्णय निजी कंपनियों को ग्राहकों के सत्यापन के लिए जैविक पहचान वाले आधार के इस्तेमाल पर सितंबर में उच्चतम न्यायालय की रोक के बाद लिया गया है।

सूत्रों के मुताबिक दोनों अधिनियमों को संशोधित किया जाएगा ताकि नया मोबाइल नंबर लेने या बैंक खाता खोलने के लिए ग्राहक स्वेच्छा से 12 अंकों वाली आधार संख्या को बता सकें। उच्चतम न्यायालय ने आधार अधिनियम की धारा 57 को निरस्त कर दिया था। यह धारा सिम तथा बैंक खाते के साथ आधार को जोड़ना अनिवार्य बनाती थी।

कानून में हुए संशोधनों के मुताबिक आधार ऑथेंटिकेशन करने वाली कोई संस्था यदि डेटा लीक के लिए जिम्मेदार पाई जाती है तो 50 लाख तक का फाइन और 10 साल तक की सजा हो सकती है। हालांकि राष्ट्रहित में ऐसी जानकारी दी जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने बैंकों और सिम पर आधार की अनिवार्यता पर यह आदेश दिया था कि यूनिक आईडी को सिर्फ वेलफेयर स्कीमों के लिए ही प्रयोग किया जा सकता है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Reels पर तकरार, क्यों लोगों में बढ़ रहा है हर जगह वीडियो बनाने का बुखार?

क्या है 3F का संकट, ऐसा कहकर किस पर निशाना साधा विदेश मंत्री जयशंकर ने

कौन हैं स्‍वाति मालीवाल, कैसे आप पार्टी के लिए बनी मुसीबत, पिता पर लगाए थे यौन शौषण के आरोप?

रायबरेली में सोनिया गांधी की भावुक अपील, आपको अपना बेटा सौंप रही हूं

कांग्रेस, सपा सत्ता में आई तो राम मंदिर पर बुलडोजर चलाएंगी

भारत में महिलाएं क्या सांसद बनने पर भी सुरक्षित नहीं

हरियाणा के नुंह में श्रद्धालुओं से भरी चलती बस में आग, 8 की मौत

Lok Sabha Elections : मतदान के आंकड़े 48 घंटे के भीतर जारी करने की मांग, Supreme Court ने चुनाव आयोग से मांगा जवाब

प्रधानमंत्री मोदी लोकतंत्र खत्म करना चाहते हैं : अरविंद केजरीवाल

कांग्रेस का माओवादी घोषणा पत्र लागू हुआ तो भारत दिवालिया हो जाएगा : प्रधानमंत्री मोदी

अगला लेख