Story Of Abide With Me: 70 साल से भारत की गणतंत्र परेड में बजने वाली उदास धुन Abide with Me अब क्‍यों नहीं बजेगी, क्‍या है इसकी कहानी

नवीन रांगियाल
ट्रम्‍पपेड की आवाज, गिरजाघर की घंटि‍यों के टंकाल और एक उदास सी शाम। जगह है देश की राजधानी दिल्‍ली का विजय चौक। यहां 26 जनवरी की परैड के ठीक चार दिनों बाद 29 जनवरी की शाम को दुख में डूबो देने वाली एक उदास धुन बजती है। इस धुन का नाम है Abide With Me. यह ईसाई धर्म की एक लोकप्र‍िय धुन है जिसे Hymn कहा जाता है।

हर साल राजधानी में Beating The Retreat Ceremony में यह धुन सुनाई आती है। यह सिलसिला पिछले करीब 70 साल से चल रहा है। लेकिन शायद साल 2022 की 29 जनवरी को Abide With Me नाम की यह धुन नहीं बजाई जाएगी।

आखि‍र क्‍या है 70 साल से भारत में बज रहे ईसाई धर्म के इस लोकप्रिय धुन Hymn या भजन की कहानी। इसे भारत के गणतत्र दिवस के परैड के मौके पर क्‍यों बजाया जाता है, कैसे हुई शुरुआत, किसने लिखा था इसे और क्‍या है भारत से इसका कनेक्‍शन।

जानते हैं Beating The Retreat में बजने वाले Abide With Me के बारे में सबकुछ।

भारत में हर साल 26 जनवरी पर चार दिवसीय समारोह होता है, जिसमें सबसे आखिरी दिन यानी 29 जनवरी को 'बीटिंग द रिट्रीट' ही होता है, यह विजय चौक पर होता है।

‘बीटिंग द रिट्रीट’ समारोह में नौसेना, वायु सेना और केंद्रीय सशस्‍त्र पुलिस बलों के पारम्‍परिक बैंड अलग अलग धुन बजाते हैं और देश के लिए शहीद हुए जवानों को याद करते हैं। लेकिन, इस बार ‘बीटिंग द रिट्रीट’ में बजाई जाने वाली धुन अबाइड विद मी (Abide With Me) नहीं बजाई जाएगी। अब तक हर साल ये धुन ‘बीटिंग द रिट्रीट‘ में बजाई जाती रही है।

क्या है ‘Beating The Retreat’?

26 जनवरी के समारोह के बाद आखिरी कार्यक्रम ‘बीटिंग द रिट्रीट’ होता है। बीटिंग रिट्रीट एक सदियों पुरानी सैन्य परंपरा है।

दरअसल, इतिहास में यह परंपरा रही है कि जब सेनाएं सूर्यास्त के बाद युद्ध के मैदान से वापस लौटती हैं और सेनाओं की वापसी का बिगुल बजता है, तो लड़ाई रोक दी जाती थी, हथियार वापस हथियार खानों में रख दिए जाते थे और युद्ध स्थल छोड़ दिया जाता था।

ठीक इसी तरह यहां दिल्‍ली में कई तरह के बैंड अपनी धुनों को प्‍ले करते हैं। इसके बाद रिट्रीट का बिगुल वादन होता है, जब बैंड मास्टर राष्ट्रपति के पास पहुंच कर बैंड वापस ले जाने की अनुमति मांगते हैं। तब यह समझा जाता है कि यह समारोह पूरा हो गया है।

तब बजता है Abide With Me, लेकिन अब
इस दौरान वैसे तो कई धुने बजती हैं लेकिन कहा जाता है कि साल 1950 से इस आयोजन के आखि‍र में Abide With Me गाने की धुन बजाई जाती है।

अब कहा जा रहा है कि Abide With Me की धुन नहीं बजाई जाएगी। साल 2020 में भी रिपोर्ट्स आई थीं कि बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी में Abide With Me गाने को नहीं बजाया जाएगा और उसकी जगह वंदे मातरम बजाया जाएगा। हालांकि, ऐसा नहीं हो सका और 2020 और 2021 में भी इसे बजाया गया। लेकिन अब यह धुन इस समारोह में नहीं सुनाई देगी।

क्या है Abide With Me की कहानी?
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह गाना प्री-मॉर्डन वर्ल्ड में स्कॉटलैंड के एंगलिकन मिनिस्टर Henry Francis Lyte ने लिखा था। यह गाना एक तरह से चर्च में गाया जाने वाला धार्मिक गीत है, जिसे हायम (Hymn) कहते हैं। इसके बारे में कहा जाता है कि यह दुख के मौके पर गाया जाने वाला एक तरह का भजन है।
जहां तक इसकी कंपोजिशन का सवाल है तो जानकारी के मुताबिक इसे आमतौर पर अंग्रेजी संगीतकार विलियम हेनरी मोंक की ट्यून पर गाया जाता है।

कि‍सने लिखा था Abide With Me
रिपोर्ट के मुताबिक, Henry Francis Lyte ने यह गाना 1820 में लिखा था। इसके पीछे एक बेहद ही रोचक किस्‍सा है। कहा जाता है कि हैनरी ने यह गाना तब लिखा था जब वो अपने एक दोस्त से मिलने गए थे जो बस अपनी जिंदगी की आखि‍री सांसे ले रहा था। इसलिए इसमें उसके जाने का भी दुख शामिल है। 

यह भी कहा जाता है कि उन्होंने 1847 में अपनी मौत तक ये गाना अपने पास ही रखा था और किसी को बताया नहीं था। पहली बार उनके अंतिम संस्कार के मौके पर ही इसे गाया गया था।

Abide With Me कैसे हुआ लोकप्र‍िय
यह ईसाई धर्म की बेहद लोकप्रिय धुन है और इसे आमतौर पर दुख की  घटनाओं के बाद ही गाया जाता है। रिपोर्ट के मुताबिक टाइटैनिक के डूबने के बाद भी इसे बजाया गया था। वहीं पहले विश्व युद्ध में भी यह काफी बार गाया गया, जिससे यह काफी लोकप्रिय हो गया। इसे न सिर्फ इंडियन आर्मी में गाया जाता है, बल्‍कि कई देशों की सेना इसे अपने शहीदों को याद में बजाती है।

महात्‍मा गांधी और Abide With Me
यह भी कहा जाता है कि Abide With Me महात्मा गांधी के पसंदीदा गीतों में से एक था। गांधी अक्‍सर इसे गुनगुनाते थे। गांधी ने सबसे पहले मैसूर पैलेस बैंड से यह धुन सुनी थी। जिसके बाद कहा गया कि फि‍र गांधी कभी इस धुन को नहीं भूल सके। बाद में यह कहा गया कि गांधी की वजह से ही Abide With Me को सेना में गाया और बजाया जाने लगा।

अब कौनसा गीत बजेगा ‘Beating The Retreat’ में?
भारतीय सेना की ओर से जारी समारोह के शैड्यूल के मुताबिक  इस गाने को 29 जनवरी को होने वाले बीटिंग रिट्रीट समारोह से हटा दिया गया है। इसमें कहा गया है कि इस साल के समारोह का समापन ‘सारे जहां से अच्छा’ की धुन के साथ होगा। पहले बीटिंग रिट्रीट ‘अबाइड विद मी’ की धुन के साथ समाप्त होता था। लेकिन अब यह नहीं बजेगा।

और कौन से गीत बजेंगे
वीर सैनिक’, ‘फैनफेयर बाय बगलर्स’, ‘आईएनएस इंडिया’, ‘यशस्वी’, ‘जय भारती’, ‘केरल’, ‘हिंद की सेना’, ‘कदम कदम बढ़ाए जा’, ‘ड्रमर्स कॉल’, ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ भी उन 26 धुनों का हिस्सा हैं, जिन्हें 29 जनवरी की शाम को बजाया जाएगा।

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