Sonam Wangchuk : लद्दाख से दिल्ली क्यों नहीं पहुंच रही रैंचों की आवाज? क्या हैं सोनम वांगचुक की मांगें
बॉर्डर मार्च निकालेंगे वांगचुक
Sonam Wangchuk : सामाजिक कार्यकर्ता, पर्यावरणविद्, इनोवेटर और शिक्षा सुधारक सोनम वांगचुक बीते 6 मार्च 2024 से लेह में भूख हड़ताल कर रहे हैं। वांगचुक ने कहा कि वे बाहरी दुनिया के सामने जमीनी हकीकत लाने के लिए शीघ्र बॉर्डर मार्च (सीमा मार्च) निकालने की योजना बना रहे हैं। उनके साथ कई स्थानीय लोग भी विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। वांगचुक ने इस अनशन को क्लाइमेट फास्ट बताया है।
एक्स से लगातार कह रहे हैं अपनी बात : मैग्सेसे अवॉर्ड से सम्मानित हो चुके वांगचुक लगातार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स के जरिए अपनी बात लोगों तक पहुंचा रहे हैं। एक्स पर पोस्ट किए गए वीडियो में उनकी बिगड़ी सेहत आवाज, चेहरे के भाव और शारीरिक स्थिति से समझी जा सकती है।
रात में लद्दाख का माइनस 10 से माइनस 12 तक पहुंच जाता है। ऐसे में वांगचुक और उनके साथ सैकड़ों लोग जीरो डिग्री तापमान में और खुले आकाश के नीचे अनशन पर बैठे हैं। अभी तक मोदी सरकार की ओर से कोई बयान सामने नहीं आया है।
वांगचुक की चार बड़ी मांगें : सोनम वांगचुक ने चार अहम मांगें उठाई हैं, जो हैं लद्दाख को राज्य का दर्जा, क्षेत्र में संविधान की छठी अनुसूची को लागू कराना। संविधान की छठी अनुसूची जमीन की सुरक्षा और देश के जनजातीय क्षेत्रों के लिए स्वायत्तता की गारंटी देती है।2019 में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था।
अब लद्दाख और जम्मू-कश्मीर दोनों अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश हैं। वांगचुक की मांग है कि लेह और करगिल जिले के लिए अलग-अलग लोकसभा सीट हों और लद्दाख के लिए अलग से पब्लिक सर्विस कमीशन हो।
वांगचुक का दावा है कि केंद्र शासित प्रदेश के टैग के कारण लद्दाख का औद्योगिक शोषण हो रहा है, जो हिमालय क्षेत्र के नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र को तबाह कर सकता है। वेबदुनिया न्यूज