नई दिल्ली। गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को पूर्व रेल मंत्री लालूप्रसाद यादव पर वर्ष 2002 के गोधरा ट्रेन नरसंहार को एक दुर्घटना के रूप में पेश करने की कोशिश करने का आरोप लगाया जिस घटना की जांच के लिए उन्होंने (लालू प्रसाद यादव) एक नई समिति नियुक्त किया था।
भाजपा सांसद बृजलाल ने आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) विधेयक पर एक बहस के दौरान गोधरा मुद्दे का उल्लेख किया और इस घटना की जांच के लिए सितंबर 2004 में तत्कालीन रेलमंत्री लालूप्रसाद यादव द्वारा यूसी बनर्जी आयोग के गठन पर सवाल उठाया।
गोधरा की घटना का जिक्र करते हुए लाल ने कहा कि साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे में 27 फरवरी 2002 को आग लगा दी गई थी, जिसमें 59 लोग मारे गए थे।
उन्होंने कहा कि राजद के तत्कालीन रेल मंत्री ने यूसी बनर्जी आयोग का गठन किया था जिसने 17 जनवरी, 2005 को एक रिपोर्ट सौंपी थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि आग दुर्घटनावश लगी थी और कोच में कोई आग नहीं लगाई गई थी। आयोग की रिपोर्ट में कहा गया था कि कोच में साधु थे जो नशे वाली चीजों का धूम्रपान कर रहे थे और उसी से गलती से आग लग गई।
उत्तरप्रदेश कैडर के पूर्व आईपीएस अधिकारी लाल ने कहा कि निचली अदालत ने मामले में 11 दोषियों को मौत की सजा सुनाई थी और कुछ विपक्षी दलों पर आतंकवादियों के साथ सहानुभूति रखने का आरोप लगाया था।
बाद में हाईकोर्ट ने 11 दोषियों की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था जबकि 20 अन्य की पहले दी गई उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा था। उनके इस बयान के बाद सदन में हंगामा हुआ ।
राजद सांसद मनोज झा ने कहा कि ऐसी कोई भी घटना, चाहे वह कश्मीर में हुई हो या गोधरा में या दिल्ली में, हम सभी सामूहिक रूप से इसके लिए जिम्मेदार हैं ... आप इसके लिए किसी और को दोषी नहीं ठहरा सकते।
इस पर सदन में मौजूद गृह मंत्री अमित शाह ने उठकर कहा कि शायद झा ने लाल का भाषण नहीं सुना है, जिन्होंने कुछ भी अतार्किक नहीं बोला है।
शाह ने कहा कि उस समय के रेल मंत्री ने उस घटना को अलग कोण देने की कोशिश की थी जिसमें लोगों को जिंदा जला दिया गया था। लालूप्रसाद यादव का नाम लिए बिना शाह ने कहा कि उन्होंने इस तथ्य को जानने के बावजूद कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त एक पूर्व न्यायाधीश द्वारा जांच चल रही थी, उन्होंने रेलवे अधिनियम का उपयोग करके एक नई समिति नियुक्त की।
शाह ने कहा कि समिति ने बताया था कि यह एक दुर्घटना थी और कोई साजिश नहीं थी। सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था। गृहमंत्री ने कहा कि इसलिए उन्होंने (बृज लाल) कहा कि इसे एक अलग दिशा देने का प्रयास किया गया था। इस कमेटी से कुछ भी निकलकर सामने नहीं आया है।
उन्होंने कहा कि अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला है। यह उन सात आरोपियों को बचाने की कोशिश थी जिन्होंने लोगों की हत्या की थी। बृजलाल हमें यही बताना चाहते थे। इसके तुरंत बाद, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, जो सत्र की अध्यक्षता कर रहे थे, ने शाह को आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) विधेयक पर बहस का जवाब देने के लिए बुलाया। (भाषा)