रांची। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के मुखिया लालू प्रसाद यादव को डोरंडा कोषागार से पैसे की निकासी मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने सोमवार को 5 साल की सजा सुनाई है।
सजा के साथ ही लालू पर 60 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। लालू यादव को इस मामले में 15 फरवरी को ही दोषी ठहराया गया था। इसके बाद अदालत में ही तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल भेज दिया गया था। कोर्ट की यह पूरी कार्रवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई।
क्या है डोरंडा कोषागार मामला? : 950 करोड़ रुपए के देश के बहुचर्चित चारा घोटाले में सबसे बड़े डोरंडा ट्रेजरी से निकासी मामला है। इसमें 139.35 करोड़ रुपए का गबन किया गया था।
1990 से 1995 के बीच डोरंडा कोषागार से 139 करोड़ रुपए की अवैध रूप से निकासी की गई थी। इस मामले में करीब 27 साल बाद कोर्ट ने इस घोटाले पर फैसला सुनाया है। इस मामले में 1996 में केस दर्ज हुआ था।
इस केस में 10 महिलाएं भी आरोपी है। मामले में चार राजनीतिज्ञ, दो वरीय अधिकारी, चार अधिकारी, लेखा कार्यालय के छह, 31 पशुपालन पदाधिकारी स्तर के और 53 आपूर्तिकर्ता आरोपी बनाए गए हैं। अब मामले में लालू यादव समेत 99 आरोपी हैं।
कैसे लिखी अपराध की स्क्रिप्ट? : जांच रिपोर्ट में बताया गया था कि पशुपालन विभाग के पदाधिकारियों-कर्मचारियों, राजनेताओं और आपूर्तिकर्त्ताओं ने फर्जीवाड़े का अनोखा फॉमूर्ला तैयार किया था। घोटाले में कुछ ऐसे दस्तावेज भी सीबीआई को हाथ लगे थे जिसमें 400 सांड को हरियाणा और दिल्ली से कथित तौर पर स्कूटर और मोटरसाइकिल पर रांची तक ढोया गया था।
बता दें कि फर्जी बिल के आधार पर पशुपालन विभाग ने 1990-92 के दौरान 2,35, 250 रुपए में 50 सांड़, 14, 04,825 रुपए में 163 सांड और 65 बछिया खरीदीं थीं। कुल मिलाकर करोड़ों रुपये की निकासी की गई थी। इन वाहनों के नंबर छानबीन सामने आए थे।
15 साल, 575 गवाह : डोरंडा कोषागार मामले में 575 गवाहों का बयान दर्ज कराने में CBI को 15 साल लग गए। 99 आरोपियों में 53 आरोपी आपूर्तिकर्ता हैं, जबकि 33 आरोपी पशुपालन विभाग के तत्कालीन अधिकारी और कर्मचारी हैं।
6 बार जेल जा चुके हैं लालू : चारा घोटाले के चार अन्य मामलों में लालू दोषी करार दिए जा चुके हैं। उनसे जुड़ा यह पांचवां केस है। इससे पहले चाईबासा ट्रेजरी से जुड़े 2 केस और देवघर- दुमका के एक-एक केस में लालू को सजा मिल चुकी है।