शाह का विपक्ष पर निशाना, कहा- 2024 में तो मोदी ही आएंगे

Webdunia
गुरुवार, 3 अगस्त 2023 (22:00 IST)
Amit Shah targeted the Opposition : केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने दिल्ली सेवा विधेयक का विरोध करने पर विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए गुरुवार को कहा कि इन दलों को न तो लोकतंत्र की चिंता है, न देश की और न ही जनता की चिंता है बल्कि इन्हें सिर्फ अपने गठबंधन की चिंता है लेकिन ये कितने ही गठजोड़ बना लें, 2024 में नरेंद्र मोदी ही आएंगे।
 
'दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र शासन संशोधन विधेयक 2023' पर लोकसभा में हुई चर्चा का जवाब देते हुए गृहमंत्री ने कहा,  पिछले कुछ दिनों में सदन में नौ विधेयक पारित हुए लेकिन विपक्षी दल इसमें शामिल नहीं हुए। वे सभी विधेयक भी महत्वपूर्ण थे, लेकिन आज के विधेयक (दिल्ली सेवा विधेयक) पर सभी (विपक्षी दल) मौजूद हैं क्योंकि सवाल गठबंधन बचाने का है।
 
गृहमंत्री ने कहा, आज भारत आपके (विपक्ष) दोहरे चरित्र को देख है और देखना भी चाहिए। आपके लिए जनता का विधेयक महत्वपूर्ण नहीं है। इनके गठबंधन से एक छोटी सी पार्टी भागकर नहीं चली जाए, इनके लिए इसका बड़ा महत्व है। शाह ने कहा, इनको (विपक्षी दलों को) न ही लोकतंत्र की चिंता है, न देश की चिंता है और न जनता की चिंता है, इन लोगों को सिर्फ अपने गठबंधन की चिंता है, इसलिए ये सारे लोग यहां आए हैं।
 
उन्होंने कहा, विपक्ष का यह गठबंधन सत्ता के स्वार्थ के लिए बना है। कितने ही गठबंधन कर लो, 2024 में आएंगे मोदी ही। मणिपुर के विषय पर गृहमंत्री ने कहा, मैं पहले ही दिन से यहां कह रहा हूं, जितनी भी लंबी चर्चा आपको करनी हो, मणिपुर पर सरकार चर्चा करने के लिए तैयार है। हर चीज का जवाब दिया जाएगा और मैं जवाब दूंगा।
 
उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार नियमों के साथ काम नहीं कर रही, यह विधानसभा के सत्र और मंत्रिमंडल की बैठक नियमित नहीं बुला रही है। शाह ने कहा कि आम आदमी पार्टी नीत दिल्ली सरकार द्वारा दिल्ली सेवा विधेयक का विरोध करने का मकसद विजिलेंस को नियंत्रण में लेकर ‘बंगले’ का और भ्रष्टाचार का सच छिपाना है और ऐसे में सभी दलों को देश और दिल्ली के भले को ध्यान में रखना चाहिए।
 
गृहमंत्री के जवाब के बाद निचले सदन ने इस संबंध में पहले लागू अध्यादेश को अस्वीकार करने के कुछ विपक्षी दलों के सदस्यों के सांविधिक संकल्प को नामंजूर कर दिया और विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार के संबंध में शाह ने कहा, 2015 में दिल्ली में एक ऐसे दल की सरकार आई, जिसका मकसद सेवा करना नहीं बल्कि झगड़ा करना है।
 
उन्होंने कहा कि 1993 के बाद दिल्ली में कभी कांग्रेस और कभी भाजपा की सरकार आईं। शाह ने कहा कि यहां अनेक पार्टियों की सरकार रही, मिलीजुली सरकारें भी रहीं। मगर राष्ट्रसेवा और जनसेवा करने में किसी को भी कोई दिक्कत नहीं आई।

गृहमंत्री ने कहा कि दिल्ली की वर्तमान सरकार को समस्या स्थानांतरण और पदस्थापना के अधिकार को लेकर नहीं है बल्कि इन्होंने जो बंगला बनाया है और जो भ्रष्टाचार हो रहा है, विजिलेंस को नियंत्रण में लेकर उसके सत्य को छिपाना इनका मकसद है।
 
दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार पर निशाना साधते हुए शाह ने कहा, विजिलेंस को निशाना क्यों बनाया गया? इन्होंने इसलिए निशाना बनाया क्योंकि विजिलेंस के पास कई संवेदनशील फाइलें थीं। मैं आपको बताना चाहता हूं कि आबकारी घोटाले से जुड़ी फाइल, शराब घोटाले से जुड़ी फाइल, मुख्यमंत्री (केजरीवाल) के नए बंगले के निर्माण से जुड़ी फाइल, पार्टी के प्रचार के लिए 90 करोड़ रुपए खर्च करने से जुड़ी फाइलें थीं, इसलिए निशाना बनाया गया।
 
गृहमंत्री ने कहा कि उन्होंने दिल्ली में ऐसी पहली सरकार देखी, जहां कैबिनेट नोट पर कैबिनेट सचिव की बजाए मंत्री हस्ताक्षर करता हो। इससे पहले, विधेयक को चर्चा एवं पारित होने के लिए रखते हुए शाह ने विपक्ष के सदस्यों से अपील की कि वे गठबंधन की बजाए दिल्ली के बारे में सोचकर समर्थन या विरोध करें क्योंकि गठबंधन होने के बाद भी पूर्ण बहुमत से नरेंद्र मोदी ही अगली बार प्रधानमंत्री बनने वाले हैं।
 
उन्होंने कहा कि ‘दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र शासन संशोधन विधेयक’ संसद में लाकर उच्चतम न्यायालय के फैसले का किसी तरह से उल्लंघन नहीं किया गया है और संविधान के तहत संसद को दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र से संबंधित किसी भी विषय पर कानून बनाने का पूर्ण अधिकार प्राप्त है।
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शाह ने कहा, दिल्ली न तो पूर्ण राज्य है, न ही पूर्ण संघ शासित प्रदेश है। राष्ट्रीय राजधानी होने के नाते संविधान के अनुच्छेद 239 एए में इसके लिए एक विशेष प्रावधान है। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 239 एए के तहत इस संसद को दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र या इससे संबंधित किसी भी विषय पर कानून बनाने का पूर्ण अधिकार प्राप्त है।
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शाह ने कहा कि कुछ सदस्यों ने कहा कि इस विधेयक को उच्चतम न्यायालय के फैसले का उल्लंघन करके लाया गया है, लेकिन वह उन सदस्यों से कहना चाहते हैं कि न्यायालय के फैसले के मनपसंद हिस्से की बजाए पूरा संदर्भ दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले में पैरा 86, पैरा 95 और पैरा 164 (एफ) में स्पष्ट किया गया है कि अनुच्छेद 239 एए में संसद को दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र के विषय पर कानून बनाने का अधिकार है।
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दिल्ली की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का उल्लेख करते हुए अमित शाह ने कहा कि आजादी के बाद पट्टाभि सीतारमैया समिति ने दिल्ली को राज्य स्तर का दर्जा देने की सिफारिश की थी। गृहमंत्री ने कहा कि जब यह सिफारिश संविधान सभा के समक्ष आई तो पंडित जवाहर लाल नेहरू, सरदार पटेल, राजाजी (राजगोपालाचारी), डॉ. राजेंद्र प्रसाद और बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर जैसे नेताओं ने इसका विरोध किया था और कहा था कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देना उचित नहीं होगा।
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उन्होंने कहा कि डॉ. आंबेडकर का कहना था कि जहां तक दिल्ली का सवाल है, उन्हें ऐसा लगता है कि भारत की राजधानी के रूप में शायद ही किसी स्थानीय प्रशासन को मुक्त अधिकार यहां दिए जा सकते हैं। शाह के अनुसार, पंडित नेहरू ने चर्चा के दौरान कहा था कि 2 साल पहले सदन ने सीतारमैया समिति की नियुक्ति की थी और अब जब रिपोर्ट आई है तो दुनिया, भारत और दिल्ली बदल चुकी है।
 
इसलिए दिल्ली में हुए इन परिवर्तनों को देखते हुए उस समिति की सिफारिशों को स्वीकार नहीं कर सकते और इसे स्वीकार करना वास्तविकता से पूरी तरह मुंह मोड़ लेना होगा। शाह ने विधेयक का विरोध करने वाले कांग्रेस सदस्यों से कहा कि आज वे जिसका विरोध कर रहे हैं, उसकी सिफारिश पंडित नेहरू ने की थी।
 
शाह ने कहा, मेरी सभी सदस्यों से विनती है कि चुनाव जीतने के लिए, किसी का समर्थन हासिल करने के लिए, किसी विधेयक का समर्थन या विरोध करने की राजनीति नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि नया गठबंधन बनाने के अनेक तरीके होते हैं, विधेयक और कानून देश के भले के लिए लाए जाते हैं और इसका विरोध या समर्थन भी देश और दिल्ली के भले के लिए करना चाहिए।
 
शाह ने कहा कि दिल्ली एकमात्र ऐसा संघ राज्य क्षेत्र है जहां की विधानसभा का कभी सत्रावसान नहीं होता। उन्होंने विभिन्न राज्यों और केंद्र स्तर पर अलग-अलग दलों के साथ गठजोड़ को लेकर कुछ विपक्षी दलों पर निशाना भी साधा। शाह ने कहा कि बिहार में राष्ट्रीय जनता दल के खिलाफ जन्म लेने वाली पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) आज उसके साथ बैठी है, केरल में वामदलों के खिलाफ खड़ी कांग्रेस गठबंधन के नाम पर साथ हो गए हैं।
 
उन्होंने कहा कि बालासाहेब ठाकरे के विचारों पर चलने वाली शिवसेना (यूबीटी) आज कांग्रेस के साथ बैठी है, वहीं पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस और ममता बनर्जी का विरोध करने वाली कांग्रेस भी गठबंधन में उसके साथ है। शाह ने कहा, यह स्वार्थ का गठबंधन है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में ‘दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक’ को स्वीकृति दी थी। यह 19 मई को केंद्र द्वारा लाए गए अध्यादेश की जगह लेगा।
 
केंद्र सरकार 19 मई को अध्यादेश लाई थी। इससे एक सप्ताह पहले उच्चतम न्यायालय ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार को सेवा से जुड़े मामलों का नियंत्रण प्रदान कर दिया था, हालांकि उसे पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि से जुड़े विषय नहीं दिए गए। शीर्ष अदालत के 11 मई के फैसले से पहले दिल्ली सरकार के सभी अधिकारियों के स्थानांतरण और तैनाती उपराज्यपाल के कार्यकारी नियंत्रण में थे।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)

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