हैदराबाद। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने हैदराबाद की मुक्ति का श्रेय शनिवार को सरदार वल्लभभाई पटेल को दिया और वोट बैंक की राजनीति एवं रजाकारों के भय के कारण मुक्ति दिवस मनाने के वादे से मुकर जाने वालों पर निशाना साधा। शाह ने 'हैदराबाद मुक्ति दिवस' पर यहां आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि यदि सरदार पटेल नहीं होते तो हैदराबाद को मुक्त कराने में कई और साल लग जाते।
शाह ने कहा कि पटेल जानते थे कि जब तक निजाम के रजाकारों को हरा नहीं दिया जाता, तब तक अखंड भारत का सपना साकार नहीं होगा। इस कार्यक्रम में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे समेत कई नेता शामिल हुए। शाह ने कहा कि इतने साल बाद इस भूमि के लोगों की इच्छा थी कि 'हैदराबाद मुक्ति दिवस' को सरकार की भागीदारी से मनाया जाना चाहिए, लेकिन दुर्भाग्य की बात की है कि 75 साल बाद भी यहां शासन करने वाले वोट बैंक की राजनीति के कारण 'हैदराबाद मुक्ति दिवस' मनाने का साहस नहीं जुटा पाए।
उन्होंने कहा कि कई लोगों ने चुनावों और विरोध प्रदर्शनों के दौरान मुक्ति दिवस मनाने का वादा किया, लेकिन जब वे सत्ता में आए तो रजाकारों के भय से अपने वादों से मुकर गए। उन्होंने 'हैदराबाद मुक्ति दिवस' मनाने के फैसले के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार जताया। उन्होंने कहा कि जब मोदी ने यह दिन मनाने का फैसला किया तो सभी ने इसका अनुसरण किया।
गृहमंत्री ने कहा कि वे जश्न मनाते हैं, लेकिन 'हैदराबाद मुक्ति दिवस' के रूप में नहीं, उनमें अब भी डर है। मैं उनसे कहना चाहता हूं कि अपने दिल से डर निकाल दो और रजाकार इस देश के लिए फैसले नहीं ले सकते, क्योंकि इसे 75 साल पहले आजादी मिल चुकी है।
उन्होंने कहा कि मैं मोदी को बधाई देना चाहता हूं, क्योंकि उन्होंने कर्नाटक, महाराष्ट्र और तेलंगाना के लोगों की आकांक्षाओं को समझा और हैदराबाद मुक्ति दिवस मनाने का फैसला किया। हैदराबाद राज्य निजाम शासन के अधीन था और पुलिस ने भारत में इसका विलय कराने के लिए 'ऑपरेशन पोलो' नाम से अभियान चलाया था, जो 17 सितंबर, 1948 को समाप्त हुआ था।(भाषा)