पुणे। सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने शुक्रवार को कहा कि राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) के दरवाजे महिला कैडटों के लिए खोले जाने के साथ ऐसी उम्मीद की जाती है कि पेशेवर भावना के साथ समानता के आधार पर उनका स्वागत किया जाएगा। साथ ही उन्होंने कहा कि महिला कैडटों का एनडीए में शामिल होना सशस्त्र बलों में लैंगिक समानता की ओर पहला कदम होगा।
उन्होंने यह भी कहा कि महिलाओं के शामिल होने से उनका सशक्तिकरण होगा और कम से कम 40 साल बाद वे उस स्थिति में होंगी जहां अभी पुरुष कैडेट हैं। वह यहां एनडीए के 141वें कोर्स की पासिंग आउट परेड की समीक्षा करने के बाद कैडटों को संबोधित कर रहे थे।
जनरल नरवणे ने कहा कि चूंकि हमने एनडीए का दरवाजा महिला कैडटों के लिए खोल दिया है तो हम आपसे पेशेवर भावना के साथ समानता के आधार पर उनका स्वागत करने की उम्मीद करते हैं जिसके लिए भारतीय सशस्त्र बलों को दुनियाभर में जाना जाता है।
उल्लेखनीय है कि रक्षा मंत्रालय ने पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि महिला उम्मीदवारों को भी एनडीए की प्रवेश परीक्षा देने की अनुमति देने वाली एक अधिसूचना अगले साल मई में जारी कर दी जाएगी। शीर्ष अदालत ने कहा था कि एनडीए में महिलाओं के प्रवेश को एक और साल तक नहीं टाला जा सकता और उसने महिला उम्मीदवारों को इस साल नवंबर में परीक्षा देने की अनुमति दे दी।
उन्होंने कहा कि यह लैंगिक समानता की ओर महज पहला कदम है और सेना देश में उठाई गई सभी पहलों के अग्रिम मोर्चे पर रही है। इसके परिणामस्वरूप वे सशक्त भी होंगी। उन्हें अधिक चुनौतीपूर्ण कार्य मिलेंगे।
सेना प्रमुख ने कहा कि ऐसा नहीं है कि हमारे पास महिला अधिकारी नहीं थीं। हमारी महिला अधिकारी चेन्नई में ओटीए (ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी) में प्रशिक्षण ले रही हैं। वे बहुत अच्छा कर रही हैं। मुझे विश्वास है कि अकादमी समृद्ध होती रहेगी और फलती-फूलती रहेगी।
यह पूछने पर कि वह अगले 20 से 30 वर्षों में सशस्त्र बलों में महिलाओं की भूमिकाओं को किस तरह देखते हैं, इस पर उन्होंने कहा कि कम से कम अब से 40 साल बाद वे उस स्थिति में आ पाएंगी जहां मैं खड़ा हूं।