चीन को पछाड़कर आत्मनिर्भर बनने का भारत के पास अच्‍छा मौका, पीएम मोदी की बहादुरी को सलाम : कांता मुखर्जी

आर्मी डेंटल कोर में काम कर चुकीं कैप्टन डॉक्टर कांता मुखर्जी से विशेष बातचीत

रूना आशीष
शनिवार, 4 जुलाई 2020 (22:51 IST)
हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साहब को मैं हैट्स ऑफ कहना चाहती हूं। प्रधानमंत्री इतने बहादुर हैं कि वे सीधे लेह पहुंच गए और सेना से मिल लिए। साथ ही मैं उनकी तंदुरुस्ती को भी दाद देना चाहूंगी, वह इसलिए क्योंकि वहां पहुंचने और वहां पर काम करने के बाद भी उन्हें थकान नहीं हुई।

वरना होता यूं है कि आप जब भी अलग-अलग एल्टीट्यूड पर जाते हैं और काम करते हैं तो चाहे वह आम इंसान हो या कोई सैनिक हो उसे थोड़ा समय दिया जाता है ताकि वह वहां की आबोहवा के साथ तालमेल बैठा सके, लेकिन मोदीजी तो वहां गए, सैनिकों से बात की उनकी हौसला अफजाई की और वह भी बिना किसी ब्रेक के। यह कहना है कैप्टन डॉक्टर कांता मुखर्जी का जो शॉर्ट सर्विस कमीशन के साथ आर्मी डेंटल कोर्ट में 5 साल तक काम कर चुकी हैं और इन दिनों उनकी डॉक्टरी की प्रैक्टिस जारी है।
 
वेबदुनिया से खास बातचीत में डॉक्टर कांता ने बताया कि जिस तरीके से भारत सरकार ने चाइना में बने ऐप को बैन कर दिया है, यह बहुत ही काबिलेतारीफ बात है। अब भारत खुद अपने आप बना सकता है और सही मायने में आत्मनिर्भर बनने की ओर बढ़ सकता है।
 
कैप्टन कांता आगे बताती हैं कि वैसे भी देखा जाए तो कुछ समय पहले तक भारत हमेशा अपने लघु और छोटे और कुटीर उद्योगों की वजह से चलता रहा। फिर चीन का जैसे ही भारत में आगमन हुआ, उसके बाद धीरे-धीरे भारत उसी पर निर्भर होने लगा। मेरे हिसाब से एक बहुत अच्छा मौका है जब भारत अपने आप पर एक बार फिर से आत्मनिर्भर हो सके और खुद का प्रोडक्शन फिर से शुरू कर सके।

पिछले कुछ सालों से हम लोग सब सर्विस इंडस्ट्री का बहुत बड़ा नाम बन गए थे। लेकिन अभी भी प्रोडक्शन इंडस्ट्री में हमारा नाम बहुत आगे नहीं था। यह बहुत अच्छा मौका है। जब हम आप अपने आप को न सिर्फ सर्विस इंडस्ट्री बल्कि प्रोडक्ट इंडस्ट्री के तौर पर भी दुनिया के सामने रखे हैं। वह भी मजबूत दावेदारी के साथ।
 
कभी आपने किसी चाइनीस आप का इस्तेमाल किया है? तो कैप्टन कांता ने कहा कि नहीं मुझे चाइना कभी भी पसंद नहीं था देश के रूप में। मैं तो इतने सालों से देखते ही आई हूं। ऐसा लगता है कि जो चीज जो भारत में बन सकती है, उसके लिए चाइना का मुंह क्यों देखना है? गलत है न कि हमारे सारे पैसे चाइना उड़ा ले जाए? 
 
चीन की इन दिनों की रणनीति को लेकर क्या कहेंगे जब वह भारत की सीमा तक आ गया था?
 
कैप्टन कांता का कहना है कि यह पहली बार तो नहीं है, उसके पहले भी कई बार ऐसे काम कर चुका है। और यह उसकी आदत है। यह चीन की सोच रही है कि वह भारत में अपनी सीमा बढ़ाते रहें। यानी जो एक्चुअल लाइन ऑफ कंट्रोल है, उसे धकेलकर अपना हिस्सा बढ़ाते रहे और भारत का हिस्सा कम करते रहे और यह कई सालों से होता चला आ रहा है। लेकिन इस बार भारत में सही जवाब दिया है।

देखिए भारत कभी भी आगे बढ़कर कोई आक्रमण करे या कोई कदम उठाएं ऐसा देश रहा नहीं है। यह काम सिर्फ चीन जैसे देशों ने किया है लेकिन इस बार भारत ने उसे कड़ा जवाब दिया है। आखिर हम सभी को बुरा लगा है जब सीमा पर हमारे 20 जवान शहीद हुए हैं।
 
क्या इसके पहले आपने ऐसा मंजर देखा है?
कैप्टन कांता का कहना है कि बहुत सोचने वाली बात है और अगर सच कहूं तो इसके पहले जितने भी और शासन में सरकारें रही हैं। मुझे ऐसा लगता है कि उन्होंने चीन पर कभी बहुत ज्यादा ध्यान नहीं दिया। उसके इरादों को बहुत ज्यादा टटोला नहीं। और न ही कभी बहुत संजीदगी से सोचकर कोई कदम उठाया, लेकिन यह सरकार।

मैं इसकी तारीफ करना चाहती हूं कि इसने अपनी डिफेंस सर्विसेज को कहा है कि सीमा पर होने वाले किसी भी विवाद के लिए जवाबी कार्रवाई अगर करनी पड़े तो आपको दिल्ली की तरफ मुंह मोड़कर देखने की जरूरत नहीं है। आप उस समय कार्रवाई करें जो सटीक हो, सही हो और देश के हित में हो।
 
आपको नहीं लगता कि इन दिनों चीन की कारस्तानी कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है?
नहीं मुझे नहीं लगता चीन हमेशा से ही ऐसा था। उसकी लड़ाई सिर्फ हम से नहीं बल्कि कई देशों से एक साथ हो जाती है। हांगकांग वाले उसके खिलाफ हैं। आसपास के कई देशों पर अपना कब्जा जमाना चाहता है। और मुझे ऐसा लगता है यह इसके पीछे कोई राजनीतिक कारण भी हो सकता है।

मुझे लगता है कि इस बार के जो राष्ट्रपति हैं, उन्हें बहुत ज्यादा अब पसंद नहीं किया जा रहा है। देश के अंदर से कई विरोध के स्वर उठते दिखाई देने लगे हैं इसलिए वे आस-पास में या सीमा पर हलचल कर देते हैं ताकि लोगों का ध्यान अपने ही देश से निकलकर सीमा विवाद पर चला जाए?

मुझे नहीं लगता उनका शासन अगली बार लौटेगा। पहले भी चाइना हमारे देश से कई बार छुटपुट लड़ाइयां करता आया है। बस फर्क इतना था कि उस समय मीडिया नहीं थी तो ज्यादा बातें होती नहीं थीं। अब मीडिया इतनी ज्यादा है और इतने प्राथमिकता से हमारे देश की सीमा की बातें करती हैं कि हर छोटी-बड़ी बात आम लोगों तक पहुंच रही हैं और पहुंचनी भी चाहिए।

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