एक साथ तीन मोर्चों पर लड़ते हैं सेना के जवान

सुरेश एस डुग्गर
बुधवार, 13 दिसंबर 2017 (16:44 IST)
श्रीनगर। कश्मीर के गुरेज़ और नौगाम सेक्टर में भारी बर्फबारी की वजह से लापता हुए पांच जवानों का 24 घंटे के बाद भी कुछ पता नहीं चल पाया हैं। लापता होने वाले सैनिकों के प्रति एक कड़वी सचाई यह है कि एलओसी के पहाड़ों पर सर्दियों में उन्हें एक साथ तीन मोर्चों पर जूझना पड़ता है। इसमें पाक सेना, आतंकी घुसपैठ के साथ ही प्रकृति का मोर्चा भी है। इस साल वैसे भी 24 जवान बर्फबारी में लापता होने के बाद शहीद हो चुके हैं।
 
 
दरअसल कल इन दोनों जगहों पर सैनिक गश्त के दौरान ढ़लान से नीचे गिर गए। सैनिकों के बचाव के लिए अभियान चलाया जा रहा है लेकिन खराब मौसम की वजह से राहत अभियान में परेशानी आ रही हैं।
 
सेना के मुताबिक रविवार को करीब साढ़े आठ बजे गुरेज़ सेक्टर में दस जवान लाइन ऑफ कंट्रोल के पास गश्त लगा रहे थे उसी दौरान मौसम खराब हो गया और तीन जवान फिसलकर नाले में गिर पड़े। सेना ने तुरंत इन जवानों के बचाने की कारवाई शुरू की लेकिन मौसम की मार की वजह से अब तक जवानों तक सेना के जवान पहुंच नहीं पाए हैं। यह इलाका एलओसी से करीब 5-6 किलो मीटर पहले हैं।
 
वहीं कुपवाड़ा के नौगाम सेक्टर में रविवार शाम पांच बजे सेना के एक अफसर सहित दस जवान पेट्रोल पर थे तभी दो जवान पोस्ट के पास ढ़लान से गिर पड़े। यहां भी सेना की ओर से बचाव अभियान चलाया गया है लेकिन अब तक कोई सफलता नही मिली हैं।
 
खबर है कि इलाक़े में कई फुट बर्फ पड़ चुकी है और रुक-रुककर भारी बारिश भी हो रही हैं जिस वजह से सेना का बचाव कार्य ढंग से नहीं हो पा रहा हैं। वैसे संभावना है कि आज से लापता जवानों के तलाशी अभियान के लिए हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल, सोनामर्ग की टीम लगाई जाएगी जो ऊंची बर्फीली पहाड़ियों पर खराब हालत से निपटने के लिए ट्रेनेड होते हैं।
 
 
यह भी कड़वी सचाई है कि इस वर्ष भारी बर्फबारी से हुए तीन बड़े हादसों में 24 सैनिक शहीद हो चुके हैं। यह सिलसिला अभी भी जारी है। इस वर्ष 26 व 28 जनवरी को उत्तरी कश्मीर में हिमस्खलन के दो मामलों में 20 सैनिक शहीद हुए थे, वहीं अप्रैल में करगिल के बटालिक में ऐसे ही एक हादसे में सेना के तीन जवान शहीद हो गए थे। 
 
25 जनवरी को सोनगर्म में बर्फ में दबने से सेना का एक अधिकारी शहीद हो गया था। इस वर्ष जनवरी में बांडीपोरा के गुरेज में 26 जनवरी को सैन्य चौकी के हिमस्खलन की चपेट में आने से सेना के जवान बर्फ में दब गए थे। इस हादसे में 15 सैनिकों की मौत हो गई थी।
 
 
इस हादसे के दो दिन के बाद उत्तरी कश्मीर के मच्छल में सेना की एक चौकी बर्फ में दब गई। इस दौरान गंभीर हालात में सेना के पांच जवानों को वहां से निकाला गया था, लेकिन अस्पताल में दो दिन रहने के बाद वे वीरगति का प्राप्त हुए थे, वहीं इस वर्ष अप्रैल में कारगिल के बटालिक सेक्टर में सेना की चौकी बर्फ में दब गई थी। इससे यहां तीन सैनिक शहीद हो गए थे।
 
बचाव अभियान के दौरान दो जवानों को बचा लिया गया। इस वर्ष का पहला महीना सेना पर भारी रहा था। गुरेज में हिमस्खलन से ठीक एक दिन पहले 25 जनवरी को बांडीपोरा के सोनमर्ग में हुए हिमस्खलन में सेना का एक अधिकारी शहीद हो गया था।

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