नई दिल्ली। सेना के वरिष्ठ अधिकारी और पूर्व सैन्यकर्मी फिल्म के मुद्दे पर 'राजनीति' में घसीटे जाने को लेकर क्षुब्ध हैं। मनसे ने पाकिस्तानी कलाकारों को फिल्म में काम देने वाले निर्माताओं से सेना कल्याण कोष में 5 करोड़ रुपए जमा कराने की मांग की। सेना से जुड़े कई लोगों ने इस सौदेबाजी पर कड़ी नाराजगी जाहिर की है।
सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'सभी योगदान (कल्याण कोष) स्वेच्छा से होना चाहिए। जबरन वसूली की अनुमति नहीं है। हम चाहते हैं कि लोग अपनी खुशी से इसमें योगदान करें न कि किसी तरह के दबाव में।
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि सेना किसी आंदोलन से नहीं जुड़ी है। फिल्म पर सौदेबाजी सेना के ध्येय वाक्स के खिलाफ है। क्या यह सेना के नाम पर ब्लैकमेेलिंग नहीं है।
करण जौहर की फिल्म 'ऐ दिल है मुश्किल' को लेकर उस समय विवाद खड़ा हो गया था जब मनसे ने इस फिल्म में पाकिस्तानी कलाकार फवाद खान को काम देने को लेकर विरोध शुरू कर दिया था।
इस फिल्म को तब रिलीज करने की अनुमति दी गई जब फिल्म के निर्माताओं ने मनसे प्रमुख राज ठाकरे की तीन शर्तो को मान लिया जिसमें सेना कल्याण कोषण में 5 करोड़ रुपए भुगतान करने की बात शामिल है।
यह पूछे जाने पर कि क्या वे मनसे की पहल का समर्थन करते हैं, पूर्व सैन्य सचिव लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन (सेवानिवृत) ने कहा, 'हम इसका कभी नहीं समर्थन करते।'
एयर वाइस मार्शल मनमोहन बहादुर (सेवानिवृत) ने ट्वीट किया, 'सैन्य बलों को इस तरह की जवरन वसूली का हिस्सा क्यों बनाया जाए? इस धन को स्वीकार करने से वे दागदार पैसे के प्राप्तकर्ता हो जाएंगे।'
सैन्य सूत्रों ने कहा कि उनके पास सभी तरह के योगदानों को देखने के लिए एक व्यवस्था है और अगर किसी तरह के दबाव से लिए गए धन या जिस व्यक्ति से सेना धन नहीं लेना चाहती है, ऐसे लोगों से पैसा आया है तो सेना उसे अस्वीकार भी कर सकती है। (भाषा)