अरनिया मुठभेड़ खत्म, कुल 11 की मौत हुई

सुरेश एस डुग्गर
शुक्रवार, 28 नवंबर 2014 (17:58 IST)
अरनिया (जम्मू कश्मीर)। जम्मू सीमा के अरनिया सेक्टर में पिछले 36 घंटों से चल रही भीषण मुठभेड़ बचे हुए आतंकी की मौत के साथ ही खत्म हो गई। मुठभेड़ में कुल 11 लोगों की मौत हुई हैं। इनमें 4 आतंकी, 4 नागरिक और 3 सुरक्षाकर्मी भी शामिल हैं। हालांकि प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों पर विश्वास करते हुए सेना और अन्य सुरक्षाबल अन्य आतंकियों की तलाश में अभी भी अभियान छेड़े हुए हैं। 
 
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक 7 से 8 आतंकी नजर आए थे। जम्मू-कश्मीर में फैले आतंकवाद के इतिहास में यह पहला अवसर था कि आतंकियों ने इस प्रकार जम्मू सीमा पर सेना के बंकरों पर कब्जा जमाया था और सेना को उन्हें नेस्तनाबूद करने के लिए टैंकों-बीएमपी का इस्तेमाल करना पड़ा था। मुठभेड़ कल तड़के शुरू हुई थी, जब आतंकवादियों का एक गिरोह जम्मू जिले के अरनिया में घुस आया था। इसके बाद वे आरएस पुरा सेक्टर के पिंड खोटे गांव में खाली पड़े सेना के एक बंकर में घुस गए और वहां से गोलीबारी शुरू कर दी। 
 
पिंड खोटे के उस बंकर से शुक्रवार सुबह एक बार फिर गोलीबारी शुरू हो गई। माना जा रहा है कि भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों में से एक जीवित बचे आतंकवादी ने ही शुक्रवार को गोलीबारी शुरू की। यह गोलीबारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनाव रैली के लिए यहां पहुंचने से पहले शुरू हुई।
 
गोलीबारी अब बंद हो चुकी है। पुलिस ने शुक्रवार को कहा कि उन्होंने पिंड खोटे गांव में सेना के खाली पड़े बंकर को सेना के टैंकों ने भारी गोलाबारी कर नष्ट कर दिया, जहां एक आतंकवादी छिपा था और गोलीबारी कर रहा था। अधिकारियों ने बताया कि मुठभेड़ में अब तक 11 लोगों की मौत हो गई। सुरक्षाबलों ने जहां चार आतंकवादियों को मार गिराया, वहीं इस मुठभेड़ में चार आम नागरिकों की जान भी चली गई और सेना के तीन जवान शहीद हो गए।
 
आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन खत्म हो गया है। सभी आतंकी पाकिस्तान से घुसपैठ कर भारत में दाखिल हुए थे। हमले के लिए आतंकियों ने जिस बंकर का इस्तेमाल किया उसे सेना सिर्फ युद्ध के हालात में इस्तेमाल करती है और अभी वो खाली पड़े थे।
 
आतंकी कहां से आए थे विरोधाभासी वक्तव्य हैं। सेना और पुलिस कहती है कि वे तारबंदी को पार कर आए थे। पर सीमा सुरक्षा बल के अधिकारी इसे मानने के राजी नहीं हैं। बीएसएफ के जम्मू रेंज के आईजी कहते थे कि कहीं कोई तारंबदी से छेड़खानी का निशान नहीं मिला है। ऐसा ही दावा चार साल पहले भी बीएसएफ ने तब भी किया था जब आतंकी सांबा सेक्टर से दाखिल हुए थे और उन्होंने 11 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था।
 
हालांकि पिछले साल सांबा छावनी में आतंकियों द्वारा किए गए फिदाईन हमले में सेना ने अपने बचाव के लिए टैंकों का इस्तेमाल किया था पर यह पहला अवसर था जब सेना को इन टैंकों से बकायदा गोले भी इसलिए दागने पड़े क्योंकि जिस बंकर में आतंकी छुप गए थे उसे टैंक के गोले ही उड़ा सकते थे।
 
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