कर-नीति विरोध भाव से मुक्त रखनी होगी : अरुण जेटली

Webdunia
सोमवार, 27 अप्रैल 2015 (15:57 IST)
नई दिल्ली। वित्तमंत्री अरुण जेटली ने विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए देश में कारोबार के अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराने का वादा करते हुए सोमवार को स्पष्ट रूप से कहा कि कोई कर पिछली तारीख से लागू नहीं किया जाएगा और कर-नीति विरोध भाव पर आधारित नहीं होनी होगी।

जेटली ने कहा कि हमारी कर-प्रक्रिया सरल होनी चाहिए, तभी कर वसूली बढ़ेगी। हमे अपनी कर-नीति विरोध भाव से मुक्त रखनी होगी। सरकार का इरादा लोगों पर पिछली तिथि से करारोपण करने का कतई नहीं है।

वित्तमंत्री ने यहां डीपी कोहली स्मारक व्याख्यान देते हुए कहा कि देश में कंपनियों पर आयकर का ढांचा वैश्विक दृष्टि से प्रतिस्पर्धी होना चाहिए। यही कारण है कि सरकार ने इस साल के बजट में कॉर्पोरेट कर की दर 30 से घटाकर 25 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया है।

उन्होंने कहा कि फैसले में और शीघ्रता लाने की आवश्यकता है। राजनीतिक आम राय की प्रक्रिया को व्यापक राजनीतिक दृष्टि के साथ और परिपक्व होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में कृषि और बुनियादी ढांचा क्षेत्र के समक्ष गंभीर चुनौतियां हैं।

वित्तमंत्री जेटली ने कहा कि राजमार्गों का निर्माण कार्य धीमा पड़ चुका है और रेलवे में निवेश नहीं आया है। हमें ढांचागत क्षेत्र में 70,000 करोड़ रुपए का निवेश करना है इसीलिए हम राजकोषीय घाटे को सीमित करने में थोड़ा अधिक समय ले रहे हैं।

गौरतलब है कि सरकार ने राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3 प्रतिशत पर सीमित करने के लक्ष्य को 1 साल बढ़ाकर 2017-18 कर दिया है। वित्तमंत्री ने पिछले दिनों कहा था कि यह लक्ष्य भी चुनौतीपूर्ण है। साथ ही उन्होंने कहा कि हमें भ्रष्टाचार निरोधक कानून-1988 के कुछ प्रावधानों की समीक्षा करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि हमें भ्रष्टाचार निरोधक कानून के प्रावधानों पर फिर से गौर करने की जरूरत है। उन्होंने इसी संदर्भ में इस बात का जिक्र किया कि संबंधित विभाग और सरकारी अधिकारी फैसले करने से कतराते हैं।

उन्होंने कहा कि ‘भ्रष्ट तरीकों’ और ‘लोकहित’ तथा ‘वित्तीय लाभ’ जैसी शब्दावलियों को नए संदर्भों में फिर से परिभाषित करना होगा ताकि भ्रष्टाचार और भूल में फर्क किया जा सके।

वित्तमंत्री ने कहा कि मई 2014 से पहले विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर राजनीतिक आम सहमति बनाने की प्रक्रिया छिन्न-भिन्न हो चुकी थी। इससे हमारी निर्णय की प्रक्रिया की विश्वसनीयता खत्म हो गई और सरकार में अनिर्णय की स्थिति उत्पन्न हो गई थी।

जेटली ने कहा कि एक कमजोर सरकार और सरकार के बाहर एक सत्ता केंद्र से काम नहीं चला है। जाहिरा तौर पर उनका इशारा पिछली संप्रग सरकार की ओर था।

उन्होंने कहा कि इस समय फैसला करने की जिम्मेदारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) पर है, क्योंकि 30 साल बाद स्पष्ट जनादेश प्राप्त हुआ है और एक दल अपने बूते बहुमत में आया है।

उन्होंने नई सरकार द्वारा लिए गए फैसलों का जिक्र करते हुए कहा कि रक्षा उत्पादन एवं जमीन-जायजाद के विकास कारोबार में विदेशी निवेश बढ़ाने की छूट दी गई है।

जेटली ने कहा कि सीबीआई के पास सच्चाई उजागर करने की छठी इंद्री होनी चाहिए और उसके काम में कोई खामी नहीं होनी चाहिए। इस मंच पर उनके अगल-बगल मुख्य सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) बैठे थे।

अरुण जेटली ने कहा कि बहुत सी एजेंसियों से गलती हो सकती है। कोई पूर्ण नहीं होता, लेकिन दो संस्थाएं, न्यायपालिका और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ऐसे हैं जिनमें किसी कमी का जोखिम देश नहीं उठा सकता। (भाषा)
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