जब भारत रत्न बने हमारे अटल जी. ..

Webdunia
- शोभना जैन
 
'हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा, काल के कपाल पर लिखता और मिटाता हूं, गीत नया गाता हूं।' किसी भी हालात मे हार नहीं मानने और किसी से भी किसी प्रकार के टकराव और तकरार से दूर रहने के जीवन दर्शन के साथ जीने वाले संवेदनशील और करिशमाई व्यक्तित्व, कुशल प्रशासक, प्रखर राजनीतिज्ञ और पूर्व प्रधानमंत्री नेता अटल बिहारी वाजपेयी को जब विधिवत 'भारत रत्न' घोषित कर दिया गया। तब चारों तरफ से मिलजुली प्रतिक्रिया आई थीं.. प्रस्तुत हैं वही पुरानी बातें एक बार फिर से ... 
केंद्र सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री व भारतीय जनता पार्टी भाजपा के वरिष्ठ नेता अटल बिहारी वाजपेयी और स्वतंत्रता सेनानी तथा बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के संस्थापक व महान राष्ट्रवादी मदन मोहन मालवीय को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित किए जाने का फैसला किया। 
 
कैबिनेट के इस आशय के फैसले के बाद राष्ट्रपति भवन की ओर से इस संबंध में अधिसूचना जारी की गई। बयान के अनुसार, 'राष्ट्रपति को पंडित मदन मोहन मालवीय और अटल बिहारी वाजपेयी को 'भारत रत्न' से सम्मानित कर खुशी हो रही है।'
 
राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने भी इस बारे में ट्वीट कर बधाई दी। तीन बार देश के प्रधानमंत्री रहे और पक्ष विपक्ष सभी के सर्वप्रिय नेता रहे वाजपेयी को भारत रत्न का पुरस्कार दिए जाने की मांग बरसों से उठाई जाती रही। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार में अनेक मर्तबा इस आशय की मांग की गई। 
 
प्रधानमंत्री मोदी ने आम चुनाव से पूर्व कहा था कि भाजपा की सत्ता आने पर उनकी सरकार वाजपेयी को भारत रत्न सम्मान प्रदान करेगी। वाजपेयी का प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल अनेक अहम फैसलों, विशेष तौर पर पाकिस्तान के साथ रिश्ते बेहतर बनाने की भारत की पहल बतौर एक महत्वपूर्ण काल खंड माना जाता है। 
 
प्रधानमंत्री मोदी ने इस फैसले पर खुशी जताते हुए कहा था 'सभी के दिलों में अटल जी के लिए एक खास जगह है। वे एक मार्गदर्शक, एक प्रेरक व्यक्तित्व और एक अग्रणी दिग्गज मानते हैं। देश के लिए उनका योगदान अमूल्य रहा। वाजपेयी और मालवीय को भारत रत्न दिए जाने पर उन्हें अपार हर्ष है। पक्ष और विपक्ष और समाज के सभी तबको आम और खास सभी ने इस घोषणा का स्वागत किया है।
 
सुषमा स्वराज ने दोनों हस्तियों को यह सर्वोच्च सम्मान दिए जाने पर बेहद प्रसन्नता ज़ाहिर करते हुए कहा था 'यह सम्मान दोनों को बहुत पहले दे दिया जाना चाहिए था, लेकिन जब दोनों को यह सम्मान मिला, यह बेहद गौरव और प्रसन्नता का दिन है। 
 
तब सुषमा जी ने कहा था,हमारी कामना है अटल जी जल्द ही स्वस्थ हो कर आए और हम सबका मार्गदर्शन करे।  अरूण जेतली ने भी इस घोषणा का स्वागत करते हुए कहा था, कि वाजपेयी ने आम सहमति की राजनीति की, वे देश के अब तक के सर्वाधिक सफल प्रधानमंत्री व राजनीतिज्ञ रहे। 
 
वाजपेयी के एक प्रशंसक के अनुसार अटल जी की शख्सियत में हजारों रंग, उनकी चुटकी, उनका ठहराव, उनके शब्द और उनके बोलने की कला का पूरा देश लोहा मानता है। वाजपेयी के मीडिया सलाहकार रहे अशोक टंडन ने भी इस फैसले पर खुशी जाहिर करते हुए कहा वाजपेयी इस सम्मान के सर्वथा सुपात्र है। प्रधानमंत्री मोदी उन्हें सुशासन का आदर्श मानते रहे है ऐसे मे एक आदर्श पुरुष को यह सम्मान दिया जाना वाकई सम्मान शब्द का सम्मान है।
 
वाजपेयी व मालवीय दोनों का ही 25 दिसम्बर को जन्मदिन आता है। मोदी सरकार वाजपेयी के 90वें जन्मदिन को 'सुशासन दिवस' के रूप मे मनाए जाने की घोषणा कर चुकी है। वाजपेयी लंबे समय अस्वस्थ रहे तथा सक्रिय राजनीति से दूर रहे। इन सब के बीच एक आम आदमी की प्रतिक्रिया अपने से नेता के नाम उनकी कविता को उद्धत करते हुए।
 
बाधाएं आती हैं आएँ
घिरें प्रलय की घोर घटाएँ
पावों के नीचे अंगारे
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ
निज हाथों में हँसते-हँसते
आग लगाकर जलना होगा
कदम मिलाकर चलना होगा ....

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