यूपी में पंचायत चुनाव में भाजपा पर भारी किसान आंदोलन और कोरोना,विधानसभा चुनाव के लिए भी खतरे की घंटी

विकास सिंह
बुधवार, 5 मई 2021 (15:41 IST)
बंगाल विधानसभा चुनाव के साथ देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में हुए पंचायत चुनाव के नतीजे भाजपा के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। अयोध्या में राम मंदिर बनने के साथ अगले साल जनवरी-फरवरी में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले चुनावी मोड में आई प्रदेश भाजपा को चुनाव से ठीक 8-10 महीने पहले पंचायत चुनाव के नतीजों ने बड़ा झटका दिया। सत्तारूढ़ पार्टी को समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के साथ निर्दलीयों से कड़ी टक्कर मिली है। पंचायत चुनाव में पहली बार उतरी सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा अति आत्मविश्वास का भी शिकार हो गई। साल भर से चुनावी मोड में चलने वाली पार्टी पर किसान आंदोलन और कोरोना संक्रमण भारी पड़ गया। 
 
किसान आंदोलन का साइड इफेक्ट-पंचायत चुनाव में पश्चिमी उत्तरप्रदेश में भाजपा की हुई हार को किसान आंदोलन से सीधा जोड़कर देखा जा रहा है। किसान आंदोलन के गढ़ बने मेरठ,बागपत,मुजफ्फरनगर, सहरानपुर,शामली और बुलंदशहर में भाजपा को बड़ा झटका लगा है। मेरठ में 33 वार्ड में भाजपा 5 सीटें ही जीत सकी। वहीं बागपत में 20 वार्ड भाजपा मात्र 4 सीटों पर ही हासिल कर सकी। यहां पर किसान आंदोलन के समर्थन में खुलकर उतरने वाली रालोद ने 9 सीटों जीत दर्ज की है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश जहां किसान आंदोलन का सबसे अधिक प्रभाव देखा गया था वहां भाजपा लाख कोशिशों और दिग्गजों के डैमेज कंट्रोल के बाद भी पार्टी किसान आंदोलन का असर कम नहीं कर पाई। कृषि कानून को लेकर किसान यूनियन के नेता चौधरी राकेश टिकैत और नरेश टिकैत के साथ राष्ट्रीय लोकदल के नेता अजित सिंह और उनके बेटे जयंत चौधरी ने लगातार रैलियों से भाजपा को घेरने का काम किया। पश्चिम उत्तर प्रदेश में रालोद की दमदारी वापसी के बाद अब विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा की चिंता बढ़ गई है। विधानसभा चुनाव में रालोद और सपा का गठबंधन भाजपा के लिए एक चुनौती साबित हो सकता है।
 
कोरोना संकट भी पड़ा भारी-पंचायत चुनाव में भाजपा की हार का बड़ा कारण कोरोना महामारी और उससे निपटने में सरकार का असंवेदनशील रवैया भी जिम्मेदार माना जा रहा है। पंचायत चुनाव में पार्टी अपने गढ़ माने जाने वाले  अयोध्या,गोरखपुर,बनारस और लखनऊ जैसे  इलाकों में हार गई।
उत्तर प्रदेश की राजनीति को बेहद करीबी से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं कि पंचायत चुनाव में भाजपा की हार का सबसे बड़ा कारण कोरोना जैसी महामारी  के प्रति सरकार का असंवेदनशील रवैया रहा है। वह कहते हैं कि आपदा के इस काल में सरकार और उसके मंत्रियों का पूरा ध्यान पंचायत चुनाव पर था न कि महामारी को रोकने पर। सरकार के मिस मैनेजमेंट का ही नतीजा है कि आज कोरोना यूपी के गांवों तक पहुंच गया है और अब स्थिति से बद से बदतर होती जा रही है। कोरोना से पीड़ित लोगों को न अस्पतालों में इलाज मिल रहा है और न दवा मिल रही है ऐसे में लोगों ने पंचायत चुनाव में भाजपा के खिलाफ गुस्सा निकाला और पंचायत चुनाव में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है। 
 
रामदत्त त्रिपाठी कोरोना से निपटने में सरकार की नीति पर सवाल उठाते हुए कहते हैं कि पंचायत चुनाव तो गांव के चुनाव थे और सरकार ने शहरों में भी कोई सख्ती नहीं की। इसके साथ एक महीने तक चार चरणों में हुए पंचायत चुनाव में जहां पर चुनाव पहले चरणों में हो गया था वहां भी सरकार नजर नहीं आई। वह आगे कहते हैं कि पंचायत चुनाव के बाद विधानसभा चुनाव में भी भाजपा को इसका खामियाजा उठाना पड़ेगा।
 
कार्यकर्ताओं की उपेक्षा और भितरघात–पंचायत चुनाव में भाजपा की हार का एक बड़ा कारण कार्यकर्ताओं की उपेक्षा और स्थानीय स्तर पर भितरघात भी रहा। अब नतीजों के बाद पार्टी उम्मीदवारों की नाराजगी खुलकर सामने आने लगी है। भाजपा के गढ़‌ माने जाने वाले  बहराइच जिले के वार्ड नंबर 50 से चुनाव हारने वाले हैं भाजपा उम्मीदवार ने चुनाव हारने के बाद अपना दर्द सोशल मीडिया के जरिए बयां करते हुए सीधे संगठन के लोगों‌ पर षड़यंत्र करने और पैसे लेने का गंभीर आरोप लगाया। ‌पिछले चार सालों से सत्ता में काबिज पार्टी के  कार्यकर्ताओं के जमीनी कार्यकर्ताओं की उपेक्षा भी पार्टी की हार का बड़ा कारण बनी। 
 
पंचायत चुनाव में मिली भाजपा की हार के निहितार्थ काफी गहरे है। ऐसे समय जब उत्तर प्रदेश कोरोना संकट से जूझ रहा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहली बार आम जनता के निशाने पर है। ऐसे में आने वाले समय देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए एक बड़ा चैलेंज बनने जा रहे है।पंचायत चुनाव के नतीजोें ने भाजपा को एक बार फिर अपनी रणनीति पर पुनर्विचार के लिए मजबूर कर दिया है। 
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

क्या नीतीश कुमार को बिहार का एकनाथ शिंदे बनाना चाहती है भाजपा?

ओडिशा आत्मदाह केस में प्रोफेसर समीर साहू ने छात्रा से कहा था—तुम बच्ची नहीं हो, समझो मैं क्या चाहता हूं

निमिषा प्रिया की फांसी, क्‍या ब्‍लड मनी के लिए राजी हुआ परिवार?

Odisha : शराबी ऑटो चालक ने हथौड़ा मारकर की माता-पिता की हत्या, रातभर रहा शवों के पास

राजा हरि सिंह पर खान सर की टिप्पणी से छिड़ा विवाद, जानिए कश्मीर के भारत में विलय की पूरी कहानी

सभी देखें

नवीनतम

आप भी रहें ऐसे ठगों से सावधान, शेयर बाजार के नाम पर धोखाधड़ी, पूर्व सरकारी कर्मचारी ने गंवाए 2.85 करोड़

भारत ने अपने लोगों को ईरान की यात्रा करने से बचने की सलाह दी, जानें क्यों जारी की ऐसी एडवाइजरी

Bihar: लोकसभा चुनाव फर्जी वोटर लिस्ट से जीतकर मोदी दोबारा PM बने तो अब दिक्कत क्यों? प्रशांत ने EC से पूछा

हरदा में क्षत्रिय हॉस्टल में पुलिस के लाठीचार्ज मामले ने पकड़ा तूल, सीएम ने तलब की पूरी रिपोर्ट

Monsoon Session : 21 जुलाई से शुरू होगा संसद का मानसून सत्र, 8 नए विधेयक पेश करने की तैयारी में सरकार

अगला लेख