#कालाधन : हंगामा क्यों है बरपा...

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मोदी सरकार द्वारा कालेधन पर लगाम कसने के लिए हजार और पांच सौ के नोट पर प्रतिबंध के खिलाफ देश में अचानक हंगामा शुरू हो गया है। सरकार ने एक तरफ आज से बैंकों और डाकघरों के माध्यम से नोटो का वितरण शुरू कर दिया है तो दूसरी तरफ राहुल गांधी, मुलायम सिंह यादव, मायावती समेत विपक्षी नेता अब फैसले के खिलाफ लामबंद होने लगे हैं। 
 
मुलायम और मायावती दोनों ही सरकार पर इस तरह आरोप लगा रहे हैं मानों मोदी सरकार ने यह कार्रवाई देश में कालेधन पर लगाम लगाने के लिए नहीं उत्तरप्रदेश में चुनाव को देखते हुए की है। राहुल तो यह भी सवाल उठा रहे हैं कि मोदी सरकार के इस फैसले से कालेधन का प्रवाह कैसे रुकेगा। 
 
दरअसल उत्तरप्रदेश में चुनावी घमासान शुरू हो चुका है और अचानक हजार और पांच सौ के नोट बंद होने से जनता को फिलहाल जनता धन की कमी से भी जूझ रही है। इस तरह इन तीनों ही दिग्गजों को इसमें एक बड़ा चुनावी मुद्दा नजर आ रहा है।
 
यही नहीं मुलायम ने यह कहकर मामले को और बढ़ा दिया है कि कालेधन को लेकर लड़ाई उन्होंने ही शुरू की थी और सरकार भले ही इस पर लगाम कसने के लिए इस पर रोक लगा दे लेकिन जनता को एक हफ्ते का समय को इसकी तैयारी के लिए दिया ही जाना चाहिए। 
 
अब सवाल अगर सरकार लोगों को इसकी तैयारियों के लिए एक हफ्ते का समय देती तो क्या कालेधन पर शिकंजा कसा जा सकता था। जिस तरह मोदी सरकार के ऐलान के बाद देश में लोग सोने की खरीदी के लिए टूट पड़े उससे तो नहीं लगता कि सरकार द्वारा अपने कदम वापस खिंचकर एक हफ्ते की छूट दी जानी चाहिए। 
 
इन नेताओं द्वारा मामले का राजनीतिकरण करना समझ से परे हैं। राहुल ने तो फिर भी प्रतिबंध के तुरंत बाद फैसले की निंदा की थी लेकिन मायावती और मुलायम द्वारा दो दिन बाद फैसले पर इस तरह की टिप्पणी करना समझ से परे हैं। 
 
निश्चित तौर पर जनता को परेशानियों का सामना करना पड़ा। बैंक बंद थे, एटीएम से भी पैसा नहीं मिल रहा था। कुछ लोगों के यहां शादियां थी, तो कुछ अपने शहरों के बाहर। लेकिन कड़े फैसले तो अचानक ही किए जाते हैं। 
 
अब तो बैंक, डाकघर और एटीएम से नई करंसी जनता तक पहुंचने लगी है। सरकार हर रोज पुराने नोटों के बदले चार हजार रुपए तक दे रही है। इससे आम आदमी का काम तो निकल ही जाएगा। एक हफ्ते में स्थिति पर नियंत्रित भी हो जाएगी। ऐसे में विपक्षी नेताओं द्वारा फैसले विरोध समझ नहीं आ रहा है?
 
अभी कल ही की तो बात है जब सरकार ने सरकार ने आगाह किया कि बड़े नोटों का चलन बंद करने के बाद उन्हें जमा कराने की 50 दिन की छूट की अवधि में 2.5 लाख रुपए से अधिक की नकद जमा के मामलों में यदि आय घोषणा में विसंगति पाई गई तो कर और 200 प्रतिशत जुर्माना भरना पड़ सकता है। 
 
नेताओं को बयानबाजी करते समय इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि कहीं उनका कालाधन रखने वालों को फायदा तो नहीं पहुंचा रहा है। सरकार को भी इस बात का ध्यान रखना होगा कि अब लोगों को कम से कम परेशानी का सामना करना पड़े और आसानी से नए नोट लोगों तक पहुंच पाएं। साथ ही 100 के नोटों के साथ नए नोटों के संतुलन का भी ध्यान रखना होगा।  
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