येदियुरप्पा ने चौथी बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, 29 जुलाई को साबित करेंगे बहुमत

Webdunia
शुक्रवार, 26 जुलाई 2019 (22:15 IST)
बेंगलुरु। कर्नाटक में अचानक हुए एक राजनीतिक घटनाक्रम में भाजपा के वरिष्ठ नेता बी.एस. येदियुरप्पा ने शुक्रवार को चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने पक्ष में आंकड़े जुटाने की है। शपथ ग्रहण करने के बाद येदियुरप्पा ने कहा कि हम 29 जुलाई को विधानसभा में बहुमत साबित करेंगे।
 
येदियुरप्पा ने कहा कि उन्हें विश्वास मत जीतने का भरोसा है और उम्मीद है कि कांग्रेस और जद (एस) के 16 बागी विधायक विश्वास मत के दौरान भी अनुपस्थित रहेंगे जैसे वे मंगलवार को अनुपस्थित रहे थे, जिससे उन्हें बढ़त हासिल होगी। 
 
वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने राज्य में येदियुरप्पा के नेतृत्व में स्थिर सरकार बनने का विश्वास जताया। कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन सरकार के 3 दिन पहले विश्वास मत हारने के बाद येदियुरप्पा ने शुक्रवार को अकेले शपथ ली।
 
राज्यपाल वजुभाई वाला ने शाम में राजभवन में हुए एक समारोह में 76 वर्षीय येदियुरप्पा को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। दक्षिण भारत में 2008 में पहली बार भाजपा सरकार बनवाने का श्रेय येदियुरप्पा को जाता है।
 
लिंगायत नेता ने शुक्रवार की सुबह अचानक सरकार गठन का दावा करने की पहल की। एक दिन पहले ही विधानसभा अध्यक्ष के आर रमेश कुमार ने कांग्रेस- जद (एस) के तीन बागी विधायकों को अयोग्य ठहराया था।
 
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने शपथ लेने के बाद बीएस येदियुरप्पा को बधाई दी और विश्वास जताया कि पार्टी राज्य में उनके नेतृत्व में स्थिर, किसान समर्थक और विकासोन्मुखी सरकार देगी।
 
केंद्रीय गृह मंत्री ने ट्वीट किया, ‘कर्नाटक के नये मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा को बधाई। मुझे पूरा विश्वास है कि उनके नेतृत्व और प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में भाजपा राज्य में स्थिर, किसान समर्थक और विकासोन्मुखी सरकार देगी। मैं कर्नाटक के लोगों को आश्वास्त करता हूं कि भाजपा उनकी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।’
 
सरकार गठन पर अचानक बदले घटनाक्रम में येदियुरप्पा ने शपथ ग्रहण करने से पहले भाजपा कार्यकर्ताओं से कहा कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और गृह मंत्री अमित शाह ने सुबह में उनसे फोन पर बात की और शुक्रवार को उन्हें शपथ लेने के लिए तैयार रहने को कहा।
 
हफ्तों चले राजनीतिक ड्रामा और कानूनी लड़ाई के बाद उन्होंने शपथ ग्रहण किया। राज्य में कांग्रेस-जद (एस) की गठबंधन सरकार 99-105 के अंतर से विश्वास मत हार गई थी क्योंकि उनके 20 विधायक सदन में अनुपस्थित रहे थे। इन 20 विधायकों में से 3 को विधानसभा अध्यक्ष ने बृहस्पतिवार को अयोग्य ठहरा दिया था जबकि बसपा के एकमात्र विधायक का रूख अभी तक स्पष्ट नहीं है।
 
मई 2018 में राज्य में येदियुरप्पा की सरकार महज तीन दिन टिक पाई थी जब चुनावों में सबसे बड़े दल के रूप में उभरने के बाद उन्होंने सरकार बनाने का दावा किया था। लेकिन कांग्रेस-जद (एस) के बीच गठबंधन होने के कारण वहां कुमारस्वामी के नेतृत्व में सरकार बनी और येदियुरप्पा को तीन दिनों के अंदर ही मुख्यमंत्री पद की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी।
 
दिल्ली में भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने विपक्ष के दावे को खारिज कर दिया कि गठबंधन सरकार को गिराने में उनकी पार्टी ने दल-बदल करवाया। नड्डा ने कहा कि गठबंधन की सरकार अंदरुनी कलह की वजह से गिरी और पार्टी के लिए येदियुरप्पा मुख्यमंत्री पद के स्वाभाविक दावेदार थे।
 
ज्योतिष से प्रभावित होकर अपने नाम के अक्षरों को फिर बदला : येदियुरप्पा ने अपने नाम की अंग्रेजी स्पैलिंग फिर से बदल कर पहले जैसी ही कर ली है। उन्होंने स्पष्ट तौर पर अंक ज्योतिष से प्रभावित होकर यह बदलाव किया है। 
 
सरकार बनाने का दावा करने के लिए राज्यपाल वजुभाई वाला को शुक्रवार को लिखे उनके पत्र में और बाद में भाजपा नेता को कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनने के लिए शपथग्रहण समारोह के लिए भेजे गए आधिकारिक आमंत्रण में यह बदलाव सार्वजनिक हुआ।
 
उन्होंने अपने नाम के अक्षरों में पहली बार बदलाव तब किया था, जब उन्हें 2007 में मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था। उन्होंने इसे बदल कर yediyurappa की बजाए yeddyurappa कर लिया था, जिसे इस बार बदल कर उन्होंने फिर पहले जैसा ही कर लिया है।

अब सदस्यों की संख्‍या 222 : विधानसभा अध्यक्ष के आर. रमेश कुमार के तीन विधायकों को दलबदल कानून के तहत अयोग्य घोषित किए जाने के बाद 225 सदस्यीय सदन में सदस्यों की संख्या 222 रह गई है। इनमें एक विधायक बसपा और एक मनोनीत है, जिसे वोट देने का अधिकार है।

भाजपा को सदन में उसके 105 और एक निर्दलीय विधायक के साथ वर्तमान में 106 विधायकों का समर्थन है। कांग्रेस और जेडीएस के सदस्यों की संख्या क्रमश: 64 और 34 है। इनमें बागी विधायक भी शामिल हैं। येदियुरप्पा के सदन में बहुमत सिद्ध कर देने की उम्मीद है।

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