बुरहान वानी के परिवार को मिलेगा सरकारी मुआवजा!

सुरेश डुग्गर
श्रीनगर। हालांकि जम्मू कश्मीर की गठबंधन सरकार ने हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर और पोस्टर ब्‍वॉय बुरहान वानी के बड़े भाई खालिद वानी की मुठभेड़ में हुई हत्या के एवज में वानी परिवार को मुआवजा दिए जाने की घोषणा की है, पर इस मुद्दे पर वानी परिवार ने चुप्पी साध रखी है, लेकिन कहा यही जा रहा है कि वानी परिवार इस मुआवजे के लिए उसी प्रकार हामी नहीं भरेगा जिस प्रकार कई कश्मीरियों ने अक्सर सरकारी मुआवजे को ठोकर ही मारी है।
दरअसल, बुरहान वानी का भाई खालिद वानी 13 अप्रैल 2015 को सेना के साथ हुई एक मुठभेड़ में मारा गया था। इतना जरूर था कि महबूबा मुफ्ती सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले की जमकर आलोचना हो रही है। जो मुआवजा वानी परिवार को दिया जाना है, वह उन आम नागरिकों को मिलता है जो कि आतंकी वारदातों या फिर आतंकवादियों के खिलाफ की गई सैन्य कार्यवाही में अपनी जान गंवाते हैं।
 
जानकारों का कहना है कि यह सीधे तौर पर मुआवजे के नियमों का उल्लंघन है, साथ ही इसे सेना का मनोबल तोड़ने वाला फैसला भी बताया जा रहा है। इस फैसले को लेकर अभी तक सत्तारुढ़ पीडीपी या भाजपा की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है।
 
इस घोषणा के बाद इस मुआवजे से खालिद की मुठभेड़ पर भी गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। सरकार द्वारा ऐलान किए गए इस मुआवजे में साफ तौर पर खालिद को 'आम नागरिक' बताया गया है। सेना द्वारा आतंकी ठहराए गए व्यक्ति को पीड़ित मानकर उसके परिवार को मुआवजा दिए जाने की घोषणा से राज्य सरकार की खासी आलोचना हो रही है। मालूम हो कि वानी परिवार लंबे समय से खालिद की मुठभेड़ को फर्जी बताता आ रहा है और अगर सच में सरकार ने बुरहानी वानी के भाई की मुठभेड़ को फर्जी माना तो फिर बुरहान वानी की मुठभेड़ को भी क्या फर्जी मान लिया जाएगा, यह सवाल हर शख्स की जुबां पर है।
 
खबरों के मुताबिक, खालिद की मौत के 20 महीने बाद सरकार ने वानी परिवार के लिए मुआवजे क ऐलान किया है। मालूम हो कि किसी भी आतंकी की मौत के एवज में मुआवजा नहीं दिया जाता। मुआवजा देने की जरूरी शर्तों में एक यह शर्त भी शामिल है कि मृतक आतंकी या फिर उग्रवादी नहीं होना चाहिए। ऐसे में महबूबा मुफ्ती की सरकार द्वारा खालिद वानी की मौत के बदले मुआवजा देने की घोषणा करना सीधे तौर पर सेना के रुख का विरोध करता है। सेना ने साफ किया था कि खालिद हिजबुल मुजाहिदीन का आतंकी था और उसकी मौत मुठभेड़ के दौरान हुई थी।
 
25 साल का खालिद इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में एमए कर रहा था। सेना का कहना है कि खालिद हिजबुल मुजाहिदीन का आतंकी था और वह एक मुठभेड़ में मारा गया। वहीं वानी परिवार का दावा है कि खालिद को यातना देकर उसकी हत्या की गई। उसके पिता मुजफ्फर वानी का कहना है, खालिद के दांत टूटे हुए थे। उसके शरीर पर गोली का कोई निशान नहीं था। उसके सिर पर किसी चीज से वार किया गया था। परिवार का दावा है कि 13 अप्रैल 2015 को खालिद ने अपनी मां से कहा था कि वह पिकनिक के लिए बाहर जा रहा है। कुछ घंटे बाद उसका शरीर पास के जंगल से बरामद हुआ था।
 
इस मुआवजे के तौर पर पीड़ित परिवार को 4 लाख रुपए नकद और परिवार के एक सदस्य को नौकरी दिए जाने का प्रावधान है। मुजफ्फर वानी के दोनों बेटे खालिद और बुरहान वानी आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन से जुड़े हुए थे। बुरहान तो हिजबुल का दक्षिणी कश्मीर का कमांडर भी था। जुलाई में सेना के साथ हुई एक मुठभेड़ के दौरान बुरहान की मौत हुई थी। उसकी मौत के बाद कश्मीर में हिंसा और जन विरोध का सिलसिला शुरू हुआ था। मुजफ्फर वानी का छोटा बेटा 12 कक्षा में पढ़ता है।
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