कुछेक हफ्तों बाद ही मिलेगा एटीएम से पैसा

Webdunia
गुरुवार, 19 अप्रैल 2018 (15:00 IST)
नई दिल्ली। देश के 11 राज्यों में कैश की किल्लत के बीच सरकार और रिजर्व बैंक ने दावा किया है कि देश में कैश की कमी नहीं है और एटीएम में नोट न होने की समस्या अस्थायी और तकनीकी कारणों से है। लेकिन एसबीआई रिसर्च की एक रिपोर्ट ने अनुसार बाजार में जितना कैश का फ्लो होना चाहिए, उसमें 70,000 करोड़ रुपए की अभी भी कमी है। ऐसी हालत में नकदी संकट से जूझ रहे लोगों को राहत पहुंचाने में सरकार और आरबीआई को कम से कम दो-तीन सप्ताह लग सकते हैं। और यह भी संभव है कि लोगों को पूरी राहत मिलने में डेढ़ से दो माह भी लग जाएं। 
 
जानकार अर्थशास्त्रियों का मानना है कि बाजार की मांग पूरी करने के लिए अतिरिक्त 70 हजार करोड़ से लेकर एक लाख करोड़ रुपए तक के नोट छापने में वक्त लगेगा। हालांकि आरबीआई दावा करती है लेकिन संभव है कि खुद आरबीआई के पास भी बैंकों को देने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं हो। इसलिए छपाई में इतना वक्त लग सकता है। आरबीआई की ओर से कहा जाता है कि बैंकों की प्रिंटिंग प्रेसों में छपाई का काम जारी है लेकिन बीच-बीच में यह समाचार भी आते हैं कि कुछेक जगहों पर छपाई नहीं हो पा रही है क्योंकि वहां स्याही नहीं है।
 
एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वित्त वर्ष 2018 में 10.8 पर्सेंट नॉमिनल जीडीपी ग्रोथ के आधार पर मार्च तक लोगों के पास 19.4 लाख करोड़ रुपए की करंसी होनी चाहिए थी, लेकिन असल में करंसी 1.9 लाख करोड़ रुपए कम थी। हालांकि डिजिटल तरीकों से कम से कम 1.2 लाख करोड़ रुपए का लेन-देन हो सकता है लेकिन फिर भी करीब 70000 करोड़ रुपए की कमी बनी हुई है।
 
नकदी की किल्लत की शुरुआत अप्रैल में तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में शुरू हुई थी और जल्द ही यह देश के दूसरे इलाकों तक पहुंच गई। सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि बुधवार को स्थिति में कुछ सुधार होता दिखा है और कई एटीएम से लोगों को फिर पैसा मिलने लगा। 
 
सरकार ने कहा है कि वह 500 रुपए के नोटों की प्रिंटिंग पांच गुना बढ़ाएगी। भारत में चार सिक्यॉरिटी प्रिंटिंग प्रेस हैं। मैसूर और सालबनी के प्रेस आरबीआई के पूर्ण स्वामित्व वाली सब्सिडियरी भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड चलाती है। इन दोनों में 500 रुपए के नोट छापे जाते हैं पर अगर दोनों शिफ्ट्स में काम हो तो ये दोनों प्रेस हर साल बैंक नोट के 1600 करोड़ पीस ही छाप सकते हैं। 
 
यह भी मान लिया जाए कि 70 हजार करोड़ रुपए की अनुमानित कमी को सरकार अगर केवल 500 रुपए के नोटों की छपाई से पूरी करेगी तो देश को लगभग 140 करोड़ अतिरिक्त बैंक नोटों की जरूरत होगी। ऐसे में मैसूर और सालबनी के छापाखानों को इन्हें छापने में कम से कम दो-तीन हफ्ते लगेंगे या संभव है कि और भी अधिक समय लग सकता है। 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

हिमाचल में सामने आई उड़ने वाली दुर्लभ गिलहरी, क्या है इसकी विशेषता

2011 से भी बड़ी तबाही आएगी 2025 में, सुनामी को लेकर एक महिला की भविष्यवाणी!

अब अमेरिका में ही बढ़ेगी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुश्किलें

केजरीवाल ने शीश महल के रखरखाव पर हर महीने खर्च किए 31 लाख रुपए

वक्फ के बाद अब संघ की नजर ईसाइयों की भूमि पर

सभी देखें

नवीनतम

भाषा विवाद के बीच PM मोदी का बड़ा बयान, DMK को लेकर कही बड़ी बात, स्टालिन पर कसा तंज

पश्चिम बंगाल में रामनवमी की धूम, हाईअलर्ट के बीच जुलूस और शोभायात्राएं, BJP और TMC के नेता हुए शामिल

Waqf amendment bill को लेकर सुप्रीम कोर्ट में नई याचिका, जानिए क्या की गई मांग

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने प्रदेशवासियों को दी रामनवमी की शुभकामनाएं

किसान नेता जगजीत डल्लेवाल ने तोड़ा अनशन, केंद्रीय मंत्री शिवराज ने की थी अपील

अगला लेख