मुंबई। सरकार और रिजर्व बैंक ने मिलकर नोटबंदी के चलते बैंकों के पास जनता की ओर से जमा नकदी की बाढ़ को सुव्यवस्थित तरीके से संभालने के लिए विशेष बाजार स्थिरीकरण योजना (एमएसएस) के तहत जारी किए जाने वाले बांड की अधिकतम सीमा 30,000 रुपए से बढ़ाकर छ: लाख करोड़ रुपए कर दी।
आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने कहा कि ऐसा नहीं है कि रिजर्व बैंक एमएसएस की नई सीमा को एक ही दिन में इस्तेमाल कर लेगा बल्कि केंद्रीय बैंक जरूरत के मुताबिक इसके दायरे में रहकर काम करेगा।
उन्होंने कहा कि इस साल जो भी देनदारी आएंगी हम उन्हें इस बार के बजट में ब्याज भुगतान के लिए किए गए प्रावधानों से निपटा लेंगे। बजट में इसका प्रावधान पहले से किया हुआ है। इस बीच, रिजर्व बैंक ने आज भारत सरकार के 20,000 करोड़ के 28-दिन के नकदी प्रबंधन बिलों (सीएमबी) की नीलामी की घोषणा एमएसएस की सीमा बढ़ाने के कुछ मिनटों के अंदर ही की गई। नकदी प्रबंधन बिल एक तरह से सामान्य सरकारी बांड की ही तरह के होते हैं।
रिजर्व बैंक ने एक अधिसूचना में कहा है कि 500 और 1,000 रुपए के पुराने नोटों को अमान्य किए जाने के बाद 9 नवंबर से बैंकों में जमा पूंजी तेजी से बढ़ी है। अधिसूचना के अनुसार मौजूदा परिदृश्य में नकदी के बेहतर प्रबंधन के लिए रिजर्व बैंक के साथ विचार-विमर्श के बाद सरकार ने रिजर्व बैंक के सुझाव पर बाजार स्थिरीकरण योजना के तहत प्रतिभूतियां जारी करने की सीमा 6,000 अरब रुपए कर दी है। (भाषा)