नई दिल्ली। कावेरी जल विवाद को लेकर हुए आंदोलन के कारण लगभग 25000 करोड़ रुपए के नुकसान का अनुमान है।
वाणिज्य एवं व्यापार संगठन एसोचैम के अनुसार, कर्नाटक में, विशेषकर बेंगलुरु शहर में आंदोलन के दौरान शहरी क्षेत्र में आधारभूत सुविधाओं को हुए नुकसान, सड़क, रेल और विमान सेवाओं में बाधा तथा कार्यालय एवं कारखानों में कर्मचारियों के नहीं जाने के कारण 22000 से 25000 करोड़ रुपए के नुकसान का अनुमान है।
फॉर्च्यून 500 की लगभग सभी कम्पनियों के दफ्तर वाले भारतीय सिलिकॉन वैली की छवि आंदोलन और हिंसा से धूमिल हुई है। एसोचैम ने कर्नाटक और तमिलनाडु दोनों में ही शांति बनाए रखने की अपील की है।
एसोचैम के महासचिव डीएस रावत ने कहा कि जिस तरह से हिंसा की घटनाएं हुई है उससे विशेषकर कर्नाटक की राजधानी के व्यवसायी और औद्योगिक समुदाय हतोत्साहित हुए हैं। उन्होंने कहा कि कर्नाटक और तमिलनाडु के अधिकारियों को कानून एवं व्यवस्था से समझौता नहीं करना चाहिए। पानी बुनियादी जरूरत और भावनात्मक मुद्दा अवश्य है, लेकिन कुछ उपद्रवी तत्व इस स्थिति का नाजायज फायदा उठा रहे हैं।
एसोचैम के अनुसार, सूचना प्रौद्योगिकी और सूचना प्रौद्योगिकी आधारित सेवाओं में पिछले सात दिन से बेहद कम कर्मचारियों की उपस्थिति से भारी नुकसान हुआ है। दूसरी ओर अंतरराज्यीय पर्यटन और बेंगलुरु आने-जाने वाले लोगों के हवाई टिकट रद्द करने के कारण भी नुकसान हुआ है।
औद्योगिक उत्पादन, सामानों की आवाजाही, मॉल, सिनेमा घर तथा रेस्टोरेंट के बंद होने के कारण भी नुकसान हुआ है। ये सभी नुकसान 22000 से 25000 करोड़ रुपए के बीच होने का अनुमान है।
वाणिज्य एवं व्यापार संगठन ने केन्द्र से दोनों राज्यों में शांति स्थापना के लिए प्रभावशाली ढंग से निगरानी करने का अनुरोध किया है। साथ ही कहा है कि आंदोलन से व्यापार और कारखानों में उत्पादन को बुरी तरह नुकसान हो चुका है। बंद का आयोजन नहीं किया जाना चाहिए तथा खुफिया सूचना और कानून व्यवस्था से जुड़े लोगों को चुस्त-दुरुस्त किया जाना चाहिए। (वार्ता)