नई दिल्ली। देश में भ्रामक (Misleading) विज्ञापनों पर नकेल कसने के लिए केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने सख्त दिशा निर्देश जारी किए हैं। इन गाइडलाइंस के अनुसार अब भ्रामक विज्ञापन निर्माताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसी तरह सरोगेट एडवर्टाइजमेंट पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। CCPA ने कहा है कि विज्ञापन बनाते समय उपभोक्ता के हित को ध्यान में रखना अनिवार्य है। ये निर्देश तत्काल प्रभाव से लागू कर दिए गए हैं।
पिछले कुछ वर्षों से कंपनियों द्वारा अपने उत्पादों की बिक्री के लिए ऐसे विज्ञापन बनाए जा रहे हैं, जो उपभोक्ताओं को भ्रमित करने के साथ-साथ उनकी मानसिक स्थिति पर गलत प्रभाव भी डाल रहे हैं। अब ऐसे सभी विज्ञापनों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। शराब, गुटका जैसे स्वास्थ के लिए हानिकारक उत्पादों के विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगने के बाद कंपनियों ने सरोगेट एडवर्टाइजमेंट के रूप में इसका तोड़ निकाल लिया था। लेकिन, अब सरकार ने इनपर भी प्रतिबंध लगा दिया है। CCPA के अनुसार इन सभी गाइडलाइंस का उद्देश्य विज्ञापनों में पारदर्शिता लाना है।
अब ब्रांड प्रमोशन के लिए संबंधित से जुड़े प्रोफेशनल का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। और तो और अगर कंपनी के विज्ञापन कंपनी से जुड़े लोग कर रहे हैं तो उन्हें बताना होगा कि उनका कंपनी के साथ क्या संबंध है। उत्पाद के नियम और शर्तों में अगर कुछ फ्री बताया गया है तो डिस्क्लेमर में भी वह चीज फ्री होना चाहिए। कुल मिलाकर मैन्युफैक्चरर और सर्विस प्रोवाइडर को विज्ञापन में दिखाए जाने वाले प्रोडक्ट की पूरी जानकारी देनी होगी।
बच्चों के विज्ञापनों के लिए विशेष प्रावधान:
सरकार ने बच्चों को निशाना बनाने वाले भ्रामक विज्ञापनों को नियंत्रित करने के लिए भी विस्तृत दिशानिर्देश जारी करते हुए बच्चों को निशाना बनाने वाले विज्ञापनों के बारे में 19 प्रावधान किए हैं। जिनमें कंपनियों को स्वास्थ्य व पोषण संबंधी फायदों के बारे में झूठे दावे करने से रोकने और उपहार का लालच देकर बच्चों को सामान व सेवाएं लेने के लिये राजी करने आदि पर रोक लगाने का प्रावधान है।
50 लाख तक के जुर्माने के साथ 3 साल का बैन:
एडवरटाइजिंग एजेंसी या कंपनी द्वारा बनाया गया कोई भी विज्ञापन भ्रामक या सरोगेट पाया जाता है तो संबंधित संस्था को 10 लाख से 50 लाख रुपए तक का जुर्माना देना पड़ सकता है। इसी के साथ एजेंसी या कंपनी पर 1 साल का प्रतिबंध भी लगाया जा सकता है। इसके बाद उल्लंघन करने पर बैन को बढ़ाकर 3 साल तक का भी किया जा सकता है। CCPA के नियम कंज्यूमर्स को ऐसे सभी विज्ञापनों के खिलाफ शिकायत दर्ज करने का अधिकार भी प्रदान करेंगे।