नई दिल्ली। भारत के महापंजीयक और जनगणना आयुक्त (RGI) ने कहा कि 2021 में पहली बार मिश्रित तरीके से जनगणना (Census) होगी जिसे मोबाइल एप (Mobile App) के जरिए भी किया जाएगा। इसे आरजीआई कार्यालय ने बनाया है।
राष्ट्रीय जनसंख्या पंजीयन (NPR) का काम घरों की सूची के चरण के साथ ही अंजाम दिया जाएगा। जनगणना के दौरान लोगों के लिए ऑनलाइन खुद ही गणना दर्ज कराने की सुविधा होगी।
महापंजीयक और जनगणना आयुक्त ने एनपीआर प्रक्रिया को लेकर चल रहे विवाद के बीच कहा कि जनगणना के आंकड़े गोपनीय हैं और इसे कानून के तहत गारंटी मिली हुई है और जो लोग इसका उल्लंघन करेंगे, उन्हें दंडित किया जाएगा।
RGI ने कहा कि आपके डाटा की गोपनीयता को जनगणना कानून, 1948 के तहत गारंटी मिली हुई है और इसी कानून में नियम के प्रावधानों का उल्लंघन करने वाले लोगों और जनगणना अधिकारियों के लिए जुर्माने का भी प्रावधान है।
RGI ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि भारतीय जनगणना दुनिया में सबसे बड़ा प्रशासनिक और सांख्यिकीय कार्य है जिसमें 30 लाख से अधिक लोग कार्य करते हैं और इसमें करीब 8,700 करोड़ रुपए का खर्च आता है। जनगणना, 2021 का घर सूचीबद्ध करने का चरण 1 अप्रैल से 30 सितंबर 2020 तक चलेगा।
जनगणना की संदर्भ तारीख 1 मार्च 2021 है लेकिन बर्फबारी वाले राज्यों जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के लिए यह 1 अक्टूबर 2020 होगी। कुछ राज्य सरकारों ने घोषणा की है कि वे अब एनपीआर में हिस्सा नहीं लेंगे। केरल और पंजाब की विधानसभाओं ने एनपीआर के विरोध में प्रस्ताव पारित किए हैं।
केरल अपनी जनगणना करेगा : केरल सरकार के राज्य मंत्रिमंडल ने भारत के रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त को सूचित करने का निर्णय लिया है कि वह अपनी जनगणना करेगा। केरल के वित्त मंत्री थॉमस इसाक ने दोनों निकायों को सूचित किया कि वे राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को लागू नहीं करेंगे। यह केरल द्वारा CAA, NPR के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने के बाद आया है।
राज्य सरकार के फैसले के बारे में थॉमस इसाक ने कहा, यह केरल में विरोधाभासी होगा क्योंकि विधानसभा ने सर्वसम्मति से एनपीआर के खिलाफ एक प्रस्ताव अपनाया है और इसे जनगणना के साथ-साथ रखा जाना है। लोग सहयोग नहीं करेंगे। यह एक ऐसा मुद्दा है, जिस पर केरल एकजुट है।