नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने मंगलवार को स्वीकार किया कि विभिन्न प्रयासों के बाद भी आयुर्वेदिक औषधियां तैयार करने के लिए स्थानीय स्तर पर विभिन्न जड़ी-बूटियां पर्याप्त मात्रा में नहीं उपलब्ध हो पा रही हैं। हालांकि केंद्र इसके लिए 75 प्रतिशत तक सब्सिडी मुहैया करा रहा है।
आयुष मंत्री नाइक ने कहा कि इंडियन मेडिसिन फार्मास्यूटिकल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आईएमपीसीएल) स्थानीय रूप से कच्ची सामग्री की व्यवस्था करने के लिए ठोस प्रयास करता है, लेकिन कई जडी-बूटियां पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं। इसके अलावा स्थानीय स्तर पर गुणवत्तापूर्ण कच्ची सामग्री की भी कमी है।
उन्होंने कहा कि औषधीय गुणों वाले पौधों के संरक्षण और उनकी खेती को बढ़ावा देने के लिए मंत्रालय ने राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड की स्थापना की है। इसके तहत विभिन्न योजनाओं के माध्यम से किसानों और स्थानीय समुदायों को सहायता मुहैया कराकर औषधीय पादपों की खेती को बढ़ावा दिया जाना है।
नाइक ने कहा कि केंद्र वित्तीय मदद मुहैया कराता है, लेकिन इस संबंध में अधिकतर कार्य राज्य को करना है। विभिन्न योजनाओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि औषधीय पादपों की खेती को बढ़ावा देने के लिए पहले 30 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाती थी, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 75 प्रतिशत तक कर दिया गया है।
मंत्री ने विभिन्न पूरक सवालों के जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मरीजों को बेहतर इलाज मुहैया कराने के लिए आयुर्वेद, सिद्धा और यूनानी जैसी विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों के एकीकरण का प्रयास किया जा रहा है और इस संबंध में एक प्रायोगिक परियोजना छह जिलों में शुरू की गई है। (भाषा)