उत्तर प्रदेश के चंदौली स्थित काशी वन्य जीव प्रभाग के परिसर में लगभग बीस महीने से बेड़ियों में जकड़े हाथी मिट्ठू को आखिरकार रिहा कर दिया गया। एक हत्या के मामले में उसे यह सजा दी गई थी।
हाल ही में उसे करीब 17 घंटे के सफर के बाद सोमवार की सुबह दुधवा नेशनल पार्क पहुंचा दिया गया। रविवार को उसे हाइड्रोलिक एलीफेंट ट्रांसपोटिंग वैन से ले जाया गया। दुधवा नेशनल पार्क के डॉ. दयाशंकर सहित 4 महावत व मथुरा के एसओएस सेंटर से डॉ. राहुल भटनागर की निगरानी में हाथी को ले जाने की कार्रवाई पूरी की गई।
वाराणसी के पुलिस कमिश्नर ए सतीश गणेश ने बताया कि उनको इस बात की जानकारी हुई थी कि एक हाथी कई सालों से वन्य जीव संरक्षण के कैद में है। हत्या के मामले में उसे यह सजा दी गई है, जो काफी अमानवीय प्रतीत हुई। इस दिशा में मथुरा में अपने मित्र से बातचीत करते हुए जल्द ही उसे दुधवा नेशनल पार्क भेजने की पहल की लेकिन लॉकडाउन की वजह से वहां शिफ्ट नहीं किया जा सका।
क्या था मामला
घटना 20 अक्टूबर, 2020 की है। उस वक्त रामनगर की रामलीला चल रही थी। महावत के बेटे रिंकू के अनुसार, रामलीला से लौटने के बाद हाथी मिट्ठू ने छेड़खानी से गुस्साए एक व्यक्ति को कुचलकर मार दिया। इस घटना के बाद से ही हाथी पर 302 के तहत मुकदमा दर्ज है। हाथी के साथ ही उसके मालिक पर भी वन्य जीव अधिनियम के तहत मुकदमा चन्दौली के बबुरी थाने में लिखा गया था।
इसमे महावत को तो जमानत मिल गई लेकिन बेजुबान जानवर मिट्ठू को कोई राहत नहीं मिली। वाराणसी पुलिस कमिश्नर ने इस संबंध में फॉरेस्ट सर्विस के अपने साथी रमेश पांडेय से संपर्क किया जो कि नई दिल्ली चिड़ियाघर के डायरेक्टर हैं। रमेश पांडेय ने चिड़ियाघर के अधिकारियों से बात कर मिट्ठू की रिहाई की बात कही है।