नई दिल्ली। सरकार ने चेक बाउंस होने की दशा में चेक जारी करने वाले को जवाबदेह बनाने के उद्देश्य से निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स (संशोधन) विधेयक, 2017 सोमवार को लोकसभा में पेश किया और कहा कि इस संशोधन से पीड़ित पक्ष को त्वरित न्याय मिल सकेगा तथा चेक की विश्वसनीयता एवं कारोबारी सुगमता बढ़ेगी।
वित्त राज्यमंत्री शिवप्रताप शुक्ला ने सदन में विधेयक पेश करने के बाद कहा कि चेक के अनादर पर समय-समय पर सरकार को विभिन्न पक्षों की ओर से ज्ञापन प्राप्त हुए हैं। कपटी जारीकर्ता के विरुद्ध न्यायालय जाने पर न्याय की प्रक्रिया भी लंबी हो जाती थी। लंबी अदालती कार्यवाही के कारण पीड़ित पक्ष को समझौता भी करना पड़ता था।
उन्होंने कहा कि विधेयक के जरिए अधिनियम में धारा 143 (क) का समावेशन किया गया है जिसमें अपील करने वाले पक्ष को ब्याज देने का प्रावधान है। धारा 138 के तहत अदालत में मुकदमा चलने पर पीड़ित पक्ष को नुकसान ना हो, इसलिए 20 प्रतिशत अंतरिम राशि का 60 दिन के भीतर भुगतान किए जाने की अनिवार्यता होगी।
बड़ी राशि होने और दो किस्तों में भुगतान करने की दशा में यह अवधि 30 दिन बढ़ाई जा सकती है। इसी प्रकार में धारा 148 में संशोधन करके अदालत को चेक जारी करने वाले पर जुर्माना लगाने का अधिकार दिया गया है।
शुक्ला ने कहा कि इस विधेयक से चेक के अस्वीकृत होने की समस्या का समाधान हो सकेगा। विधेयक में ऐसे प्रावधान किए गए हैं, जिससे चेक बाउंस होने के कारण जितने तरह के विवाद उपजते हैं, उन सबका समाधान इसी कानून में हो जाए। इससे चेक की विश्वसनीयता बढ़ेगी और सामान्य कारोबारी सुगमता में भी इजाफा होगा। (वार्ता)