त्योहारों का महीना है - दिवाली, भाईदूज, छठ।
बिहार में इन त्योहारों का मतलब सिर्फ़ आस्था नहीं, घर लौटने की लालसा है - मिट्टी की खुशबू, परिवार का स्नेह, गांव का अपनापन।
लेकिन यह लालसा अब एक संघर्ष बन चुकी है। बिहार जाने वाली ट्रेनें ठसाठस भरी हैं, टिकट मिलना असंभव है, और सफ़र… pic.twitter.com/hjrYJJFJ0F
झूठ के बेताज बादशाह और जुमलों के सरदार ने शेखी बघारते हुए कहा था कि देश की कुल ????????,???????????? ट्रेनों में से ????????,???????????? रेलगाड़ियां छठ पर्व के अवसर पर बिहार के लिए चलाई जायेंगी। यह भी सफेद झूठ निकला।
???????? सालों की एनडीए सरकार में पलायन का दंश झेल रहे बिहारियों के लिए लोक आस्था के…