नई दिल्ली। कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने गुरुवार को राज्यसभा में कहा कि सरकार देश के विकास के लिए मांग पैदा करने में विफल रही है तथा अकुशल आर्थिक कुप्रबंधन के कारण सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 3 साल पहले के स्तर पर पहुंच जाएगा। उन्होंने उच्च सदन में आम बजट पर चर्चा में भाग लेते हुए दावा किया कि 2021-22 का बजट विफल रहा है, क्योंकि गरीब को नकदी अंतरण के तहत छोटी राशि भी नहीं दी गई तथा राशन प्रदान करने की सुविधा को भी जारी नहीं रखा गया।
पूर्व वित्तमंत्री ने कहा कि विश्व के प्रत्येक अर्थशास्त्री ने कहा कि हमें मांग पैदा करनी होगी तथा मांग पैदा करने का श्रेष्ठ तरीका है कि लोगों के हाथों में पैसा दिया जाए। यह सरकार इसे लेकर विफल रही है। मैं अपना आरोप दोहरा रहा हूं। आप पिछले 36 माह के दौरान मिले सबक अभी तक नहीं सीख पाए हैं। मुझे भय है कि आपके द्वारा सबक नहीं सीखे जाने के कारण 12 महीने और व्यर्थ हो जाएंगे तथा गरीब परेशानी झेलेगा और बुरी तरह झेलेगा। 2004-05 में स्थिर मूल्यों पर जीडीपी करीब 32.42 लाख करोड़ रुपए थी, जो संप्रग सरकार के सत्ता से हटने के समय 3 गुना से अधिक बढ़कर 105 लाख करोड़ रुपए हो गई।
चिदंबरम ने कहा कि उसके बाद से क्या हुआ? 2017-18 में यह 131 लाख करोड़ रुपए थी। 2018-19 में यह 139 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गई। 2019-20 में यह थोड़ा और बढ़कर 145 लाख करोड़ रुपए हो गई। 2020-21 में, जो वर्ष समाप्त होने वाला है, पहली छमाही के दौरान यह 60 लाख करोड़ रुपए के करीब रही तथा वर्षांत तक यह करीब 130 लाख करोड़ रुपए पहुंचेगी। इसका मतलब है कि हम वापस वहीं आ गए, जहां हम 2017-18 में थे।
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने 3 साल में अकुशल आर्थिक कुप्रबंधन किया है। माननीय वित्तमंत्री को मेरे द्वारा 'अकुशल' शब्द का प्रयोग करने पर आपत्ति हुई। मैं संसद में कठोर शब्द का उपयोग नहीं कर सकता। मेरे पास जो उपलब्ध है, उसमें मैं सबसे मृदु शब्द का उपयोग कर रहा हूं। अकुशल आर्थिक कुप्रबंधन के 3 वर्षों के कारण का अर्थ है कि 2020-21 में हम ठीक वहीं पहुंच गए, जहां हम 2017-18 में थे। (भाषा)