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CEC राजीव कुमार हुए सेवानिवृत्त, LS और JK विधानसभा समेत अनेक चुनाव कराए संपूर्ण

करीब 3 साल के अपने कार्यकाल के बाद मंगलवार को 25वें मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) के रूप में सेवानिवृत्त हुए। इस कार्यकाल के दौरान उनके नाम पर कई उपलब्धियां रहीं।

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

नई दिल्ली , मंगलवार, 18 फ़रवरी 2025 (19:33 IST)
CEC Rajiv Kumar retires: पिछले वर्ष लोकसभा चुनाव और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव करवाने वाले राजीव कुमार (Rajiv Kumar) करीब 3 साल के अपने कार्यकाल के बाद मंगलवार को 25वें मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) के रूप में सेवानिवृत्त हुए। इस कार्यकाल के दौरान उनके नाम पर कई उपलब्धियां रहीं, लेकिन विपक्षी दलों ने उन पर बार-बार पक्षपात के आरोप भी लगाए।
 
कुमार 1 सितंबर 2020 को चुनाव आयुक्त के रूप में निर्वाचन आयोग (ईसी) का हिस्सा बने थे। उन्होंने 15 मई 2022 को 25वें मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) का पदभार ग्रहण किया था। उन्होंने दोनों ही पदों पर रहकर लगभग साढ़े 4 साल तक निर्वाचन आयोग की सेवा की।ALSO READ: एनआरआई को मतदान करने का अधिकार दिया जाए : राजीव कुमार
 
एक पूर्ण चुनावी चक्र पूरा किया : निर्वाचन आयोग में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने संरचनात्मक, प्रौद्योगिकी, क्षमता विकास, संचार, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और प्रशासन जैसे उसके कामकाज के विभिन्न पहलुओं पर सुधार किए। कुमार ने 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चुनाव, 2022 में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव, 2024 में लोकसभा चुनाव और राज्यसभा चुनावों के संचालन की देखरेख करके एक पूर्ण चुनावी चक्र पूरा किया।ALSO READ: कौन होगा नया CEC, राजीव कुमार हो रहे रिटायर, अगले हफ्ते हो सकती है बैठक
 
विपक्षी दलों और कार्यकर्ताओं के निशाने पर भी रहे : हालांकि वे इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की प्रभावशीलता, मतदाता आंकड़ों में कथित हेराफेरी और सत्तारूढ़ भाजपा के प्रति नरम रवैए समेत कई मुद्दों पर विपक्षी दलों और कार्यकर्ताओं के निशाने पर रहे। वैसे तो आयोग आरोपों पर लिखित जवाब देकर उन्हें खारिज करता रहा, परंतु कुमार ने अपना एवं ईसी का बचाव करने के लिए अक्सर कविताओं एवं शेर/शायरी का सहारा लिया।ALSO READ: कौन हैं ज्ञानेश कुमार जो संभालेंगे चुनाव आयोग की कमान?
 
पद छोड़ने के बाद हिमालय की किसी सुनसान जगह पर जाएंगे : जब कुमार पर सेवानिवृत्त्ति के बाद नौकरी पाने के लिए सत्तारूढ़ भाजपा के प्रति नरम रुख अपनाने का आरोप लगाया गया तो उन्होंने घोषणा की कि वे पद छोड़ने के बाद स्वयं को डिटॉक्सीफाई (अंतस-शुद्धिकरण) करने के लिए 6 महीने के लिए हिमालय की किसी सुनसान जगह पर जाएंगे।
 
मंगलवार को अपने कार्यकाल के अंतिम दिन कुमार ने पीटीआई-वीडियो से कहा कि वे निर्वाचन आयोग को बहुत ही सक्षम हाथों में सौंप रहे हैं और भारतीय मतदाता पूरी ताकत से आयोग के पीछे खड़े होंगे। सरकार ने सोमवार रात घोषणा की कि चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार, राजीव कुमार का स्थान लेंगे।
 
चुनाव से ठीक पहले याचिकाएं दायर करना ठीक नहीं : मीडिया से बातचीत में राजीव कुमार ने अक्सर चुनाव प्रक्रिया पर संदेह जताने वाली याचिकाओं के समय पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि किसी चुनाव से ठीक पहले याचिकाएं दायर करने के पीछे की मंशा निर्वाचन आयोग और पूरी चुनाव प्रक्रिया को बदनाम करना है।
 
अपने विदाई भाषण में कुमार ने कहा कि उन्हें  कुछ खास विमर्श उठाए जाने के समय में एक चलन नजर आया। उन्होंने कहा कि ऐसे महत्वपूर्ण मोड़ों पर काफी समय से लंबित मामलों की सुनवाई का आंखों देखा हाल सुनना, कभी-कभी अविश्वास को बढ़ावा देता है और याचिकाकर्ता यही पैदा करना चाहता है। यह तब लाभकारी होगा जब ऐसी कार्यवाही चुनाव अवधि को ध्यान में रखते हुए निर्धारित की जाए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि चुनावी प्रक्रिया सुचारु और निर्बाध बनी रहे।ALSO READ: CEC पद पर ज्ञानेश कुमार की नियुक्ति से क्यों नाराज है कांग्रेस?
 
उन्होंने यह भी कहा कि निर्वाचन आयोग अनियंत्रित रेवड़ियों और घोषणापत्रों में अतिशयोक्तिपूर्ण वादों से जुड़ी चिंताओं को दूर करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर अडिग है। हालांकि रेवड़ियों से संबंधित मामला फिलहाल न्यायालय में विचाराधीन है और मैं न्यायालय से समय पर निर्णय की उम्मीद करता हूं, लेकिन इस बीच यह जरूरी है कि राजनीतिक वादों के साथ उनकी वित्तीय व्यवहार्यता और राज्य के राजकोषीय स्वास्थ्य पर उनके प्रभाव के बारे में स्पष्ट जानकारी दी जाए।
 
जब 2021 में दुनिया कोविड-19 महामारी से जूझ रही थी, तब चुनाव आयुक्त के तौर पर कुमार ने एक हलफनामा तैयार किया था जिसमें कहा गया था कि अगर वे गलत हैं तो अदालतें उन्हें सजा दे सकती हैं, लेकिन निर्वाचन आयोग को संदेह से मुक्त कर देना चाहिए। यह हलफनामा मद्रास उच्च न्यायालय और बाद में उच्चतम न्यायालय में दायर किए जाने की योजना थी, पर ऐसा नहीं हो सका।
 
वे मद्रास उच्च न्यायालय की इस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देना चाहते थे कि महामारी के बीच विधानसभा चुनाव कराकर तमिलनाडु में कोविड के मामलों में वृद्धि के लिए निर्वाचन आयोग पूरी तरह जिम्मेदार है। कुमार एक्जिट पोल के तरीके और मतगणना के शुरुआती दौर में समाचार चैनलों द्वारा रुझान दिखाने के तरीके के भी मुखर आलोचक रहे हैं। उन्होंने मतगणना के दिन समाचार चैनलों द्वारा शुरुआती रुझान दिखाने के चलन को बकवास करार दिया था।
 
निर्वाचन आयोग में कार्यभार संभालने से पहले कुमार अप्रैल-अगस्त 2020 के दौरान सार्वजनिक उद्यम चयन बोर्ड के अध्यक्ष थे। वे जुलाई 2019 से फरवरी 2020 तक केंद्रीय वित्त सचिव और सितंबर 2017 से जुलाई 2019 तक सचिव (वित्तीय सेवाएं) और मार्च 2015 से जून 2017 तक स्थापना अधिकारी रहे।
 
बिहार/झारखंड कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी : वे 1984 बैच के बिहार/झारखंड कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं। वे फरवरी 2020 में सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त्त हुए। मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान कुमार ने असम के संसदीय और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन करवाया।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta

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