Chief Justice DY Chandrachud's statement on stringent laws : प्रधान न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने सोमवार को कहा कि निजी और सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं के हितों की रक्षा के लिए कानूनी प्रावधानों की कोई कमी नहीं है, लेकिन अकेले कानून से न्यायपूर्ण व्यवस्था नहीं बनाई जा सकती। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि समाज को भी अपना पितृसत्तात्मक सामाजिक रवैया त्यागना होगा।
न्यूज18 नेटवर्क के शी शक्ति कार्यक्रम में न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, हमें पुरुषों की धारणा से परे देखने के लिए संस्थागत और व्यक्तिगत क्षमता को बढ़ावा देना चाहिए। उन्होंने कहा कि निजी और सार्वजनिक स्थितियों में महिलाओं के हितों की रक्षा के लिए ठोस और प्रक्रियात्मक कानूनी प्रावधानों की कोई कमी नहीं है, लेकिन केवल कड़े कानूनों सहित अच्छे कानूनों से ही न्यायपूर्ण समाज का निर्माण नहीं हो सकता।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, महिलाओं के अधिकारों के बारे में बात करना महिलाओं का काम नहीं है। मैंने जीवन के कुछ बेहतरीन सबक अपनी महिला सहकर्मियों से सीखे हैं। उन्होंने कहा, मेरा मानना है कि बेहतर समाज के लिए महिलाओं की समान भागीदारी महत्वपूर्ण है। भारत के संविधान को अपनाने से पहले, हंसा मेहता, जो नारीवादी थीं, ने भारतीय महिला जीवन चार्टर का मसौदा तैयार किया था। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour