भारत के हाथ लगी नवीनतम चीनी मिसाइल, टेक्नोलॉजी का हो सकता है खुलासा

राम यादव
India found debris of Chinese missile PL-15E: भारतीय और पाकिस्तानी वायु सेनाओं के बीच हुई नवीनतम हवाई लड़ाई में, भारत को चीन की एक सबसे नई मिसाइल के अवशेष मिले हैं। ये ऐसे अवशेष हैं, जिनमें छिपे तकनीकी रहस्य भारतीय वायु सेना की क्षमताओं को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ा सकते हैं और साथ ही चीन के लिए बड़ी चुनौतियां भी खड़ी कर सकते हैं।
 
सैन्य विषयों की अमेरिकी पत्रिका 'द नैश्लल इन्टरेस्ट' का कहना है कि भारतीय सैनिकों को एक पाकिस्तानी ZF-17 थंडर विमान से दागी गई मध्यम दूरी की PL-15E हवाई मिसाइल के कई हिस्से मिले हैं। यह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, क्योंकि मिसाइल के इन हिस्सों की जांच-परख से अब उसके ऐसे तकनीक के रहस्यों का पता चल सकेगा, जिनसे भारत लाभान्वित हो सकता है।
 
भारत का सौभाग्य : यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि आजकल की प्रत्येक नई मिसाइल आमतौर पर एक आत्म-विनाशक तंत्र से सुसज्जित होती है। उसे एक निश्चित समय के बाद विस्फोट द्वारा अपने आप को धवस्त कर देने के लिए डिज़ाइन किया जाता है, ताकि शत्रु के लिए उसके भेद जान कर 'रिवर्स इंजीनियरिंग' के माध्यम से उसकी नकल कर सकना मुश्किल हो जाए। हालांकि, किसी भी यांत्रिक या इलेक्ट्रॉनिक चीज़ की तरह, यह तंत्र भी किसी न किसी ख़ामी से ग्रस्त रहता है। हो सकता है कि मिसाइल पर प्रभाव डालने वाले अत्यधिक बलों के कारण, यह चीनी मिसाइल अपना काम ठीक से नहीं कर पाई। 
 
स्पष्ट है कि भारतीय इंजीनियर अब युद्धक विमानों से दागी जाने वाली इस चीनी मिसाइल के सारे भेद जानने और उसकी कमियों को पहचानने का पूरा प्रयास करेंगे। माना जा रहा है कि उनका का ध्यान PL-15E मिसाइल के 'ऐक्टिव राडार मल्टीफंक्शन हेड (AESA)' और उसकी संचार (कम्युनिकेशन) प्रणाली पर केंद्रित होगा, जो प्रक्षेपित मिसाइल और उसे दागने वाले विमान के बीच संचार को सक्षम बनाता है। मिसाइल के यो दोनों महत्वपूर्ण अवयव, लक्ष्य पर निशाना साधने की स्थिति को निरंतर अद्यतन करते रहने या उड़ान के दौरान उसे बदलने का काम करते हैं। यह भी संभव है कि अमेरिका भी इस चीनी मिसाल के रहस्यों को जानने में रुचि दिखाने लगे। 
 
अब तक केवल पाकिस्तान को बेची है : पीएल-15E मिसाइल को 'चाइना एयरबोर्न मिसाइल अकादमी (CAMA)' द्वारा विकसित किया गया है। चीनी मीडिया ने उसके निर्माण की घोषणा 2015 में की थी। उस समय की योजना यह थी कि चीनी वायु सेना उसे 2015 और 2017 के बीच किसी समय सेवारत करेगी। चीन ने यह मिसाइल अब तक केवल पाकिस्तान को बेची है।
 
पीएल-15E की लंबाई लगभग 4 मीटर और उसका व्यास 200 मिलीमीटर है। उसकी अनुमानित मारक पहुंच 200 किलोमीटर से अधिक बताई जाती है, जो अमेरिका की राडार नियंत्रित AIM-120D AMRAAM के नवीनतम संस्करण की मारक दूरी से भी कहीं अधिक है। इसलिए युद्धक विमानों द्वारा दागी जाने वाली यह चीनी मिसाइल अमेरिका के लिए भी एक बड़ी चिंता का विषय है। अमेरिका भी उसका सही जवाब विकसित करना चाहेगा।
 
सटीक विवरण अज्ञात हैं : हालांकि चीनी पीएल-15E के बारे में सटीक विवरण अज्ञात हैं, लेकिन बताया यह जा रहा है कि उसमें दो-चरणीय ऐसा रॉकेट-इंजन है, जो मिसाइल को 'मैक 5' (ध्वनि की गति से भी 5 गुनी अधिक गति) तक बढ़ा सकता है। यह भी हो सकता है कि लक्ष्य को सफलतापूर्वक भेदने की संभावना बढ़ाने के लिए, उड़ान के अंतिम चरण के दौरान, इंजन फिर से कुछ समय के लिए चालू हो जाता हो। उल्लेखनीय है कि चीन ने इस मिसाइल के दो संस्करण बनाए है- एक अपने लिए और एक निर्यात के लिए। मिसाइल के निर्यात संस्करण PL-15E की रेंज, चीन के अपने लिए आरक्षित संस्करण की पहुंच की तुलना में लगभग 150 किमी कम बताई जाती है।
 
इसे एक सौभाग्य ही कहना चाहिए कि चीन से पाकिस्तान को मिली पीएल-15E मिसाइल का मलबा भारत की भूमि पर गिरा। देखना यही है कि उसकी जांच-परख से क्या कुछ सामने आता है।

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